Ad

Ad2

महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली/ Maharishi Mehi's Books Introduction and sale

महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली

      प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ  परमहंस जी महाराज के द्वारा लिखित, संपादित एवं उनके प्रवचनों के द्वारा बनाया गया साहित्य लगभग 18 या 20 है। जिनका नाम और संक्षिप्त परिचय नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है।

महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली
महर्षि मेंहीं साहित्य सुमनावली


सद्गुरु महर्षि मेँहीँ साहित्य सुमनावली


सदगुरु महर्षि मेंहीं
सदगुरु महर्षि मेंहीं

MS01 . सत्संग - योग ( चारो भाग )

MS02 . रामचरितमानस - सार सटीक,

MS03 . वेद दर्शन - योग,   

MS04 . विनय - पत्रिका - सार सटीक

MS05 . श्रीगीता - योग - प्रकाश,

MS06 . संतवाणी सटीक

MS07 . महर्षि मेँहीँ - पदावली

MS08 . मोक्ष दर्शन

MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति,   

MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति

MS11 . भावार्थ - सहित घटरामायण - पदावली,

महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली
महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली



मूल पुस्तक के स्टॉक खत्म होने की चेतावनी



महर्षि मेंहीं साहित्य सुमनावली
महर्षि मेंहीं साहित्य सुमनावली


सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की अमूल्य कृतियों का संक्षिप्त परिचय-


MS01. सत्संग-योग (चारों भाग) 

सत्संग-योग
सत्संग योग (चारों भाग) 
  MS01 . सत्संग योग  (चारो भाग)   इसमें सूक्ष्म भक्ति का निरूपण वेद, शास्त्र, उपनिषद्, उत्तर- गीता, गीता, अध्यात्म-रामायण, महाभारत, संतवाणी और आधुनिक विचारकों के विचारों द्वारा किया गया है। इसके स्वाध्याय और चिन्तन-मनन से अध्यात्म-पथ के पथिकों को सत्पथ मिल जाता है। इसका प्रकाशन सर्वप्रथम 1940 ई0 में हुआ था। 

MS02 . रामचरितमानस-सार सटीक- संत कवि मेँहीँ की यह दूसरी रचना है। यह 1930 ई0 में भागलपुर, बिहार प्रेस से प्रकाशित हुई थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी के रामचरितमानस के 152 दोहों और 951 चौपाइयों की व्याख्या की गयी है। इसका मुख्य लक्ष्य है-स्थूल भक्ति और सूक्ष्म भक्ति के साधनों को प्रकाश में लाना।



वेद-दर्शन-योग
वेद-दर्शन-योग
MS03 . वेद-दर्शन-योग-यह महर्षिजी की नौवीं कृति है। इसमें चारो वेदों से चुने हुए एक सौ मंत्रों  पर टिप्पणी लिखकर संतवाणी से उनका मिलान किया गया है। इसका प्रथम प्रकाशन 1956 ई0 में हुआ था। 



विनय पत्रिका सार सटीक
विनय-पत्रिका-सार-सटीक
 MS04 . विनय-पत्रिका-सार सटीक-यह तीसरी रचना 1931 ई0 में भागलपुर के युनाइटेड प्रेस में छपी थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज रचित ‘विनय-पत्रिका’ के कुछ पदों की सरल व्याख्या की गई है।बहुत ही अच्छी और सारगर्भित पुस्तक है। 
वाय नाव
Buy now



श्रीगीता-योग-प्रकाश, श्रीमद्भागवत गीता पर व्याख्या, सद्गुरु महर्षि मेंहीं द्वारा,
श्रीगीता-योग-प्रकाश
MS05 . श्रीगीता - योग - प्रकाश- गीता के सच्चे भेद को इस रचना में उद्घाटित किया गया है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1955 ई0 में हुआ था। इस पुस्तक में एक स्थल पर महर्षिजी कहते हैं-‘समत्वयोग प्राप्त कर, स्थितप्रज्ञ बन कर्म करने की कुशलता या चतुराई में दृढ़ारूढ़ रह कर्त्तव्य कर्मों के पालन करने का उपदेश गीता देती है।’
इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है।  

MS05a . श्री गीता-योग-प्रकाश   (अंग्रेजी अनुवाद),




संतवाणी सटीक, सद्गुरु महर्षि मेंही साहित्य, संतमत साहित्य, कुप्पाघाट की पुस्तकें,
संतवाणी सटीक

MS06 . संतवाणी सटीक-  इसमें 31 सन्त- कवियों के चुने हुए पदों की व्याख्या महर्षिजी ने की है। इसका प्रथम प्रकाशन 1968 ई0 में हुआ था।    संतवाणी सटीक के विषय में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के निम्नलिखित उद्गार हैं- "गुरु महाराज ने दृढ़ता के साथ यह ज्ञान बतलाया कि सब संतों का एक ही मत है । मैंने सोचा कि यदि बहुत - से संतों की वाणियों का संग्रह किया जाए , तो उस संग्रह के पाठ से महाराज की उपर्युक्त बात की यथार्थता लोगों को उत्तमता से विदित हो जाएगी । इसी हेतु मैंने यत्र - तत्र से उनका संग्रह किया ।"  'संतवाणी का संग्रह हुआ , बड़ा अच्छा हुआ ; परन्तु इन वाणियों का अर्थ भी आप कर दें , तो और भी अच्छा हो । ' मुझको भी यह बात अच्छी लगी । सबका संग्रह कर एक पुस्तकाकार में छपवा दिया जाए कि लोग उस पुस्तक से विशेष लाभ उठावें ।"



पदावली
महर्षि मेंहीं पदावली
MS07 . महर्षि मेँहीँ-पदावली-  यह महर्षि मेँहीँ की छठी पुस्तक है। इसका रचना-काल 1925 से 1950 ई0 है। यह महर्षिजी की बड़ी लोकप्रिय काव्य-कृति है। इसमें 142 पद हैं। इसके पदों का वर्गीकरण विषय के आधार पर किया गया है। परम प्रभु परमात्मा, सन्तगण और मार्गदर्शक सद्गुरु, इन तीनों को एक ही के तीन रूप समझकर इन तीनों की स्तुति-प्रार्थनाओं को प्रथम वर्ग में स्थान दिया गया है । द्वितीय वर्ग में सन्तमत के सिद्धान्तों का एकत्रीकरण है। तृतीय वर्ग में प्रभु-प्राप्ति के एक ही साधन ‘ध्यान-योग’ का संकलन है, जो मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टि-साधन और नादानुसंधान या सुरत-शब्द-योग का अनुक्रमबद्ध संयोजन-सोपान है। चतुर्थ वर्ग में ‘संकीर्त्तन’ नाम देकर तद्भावानुकूल गेय पदों के संचयन का प्रयत्न है। पंचम वर्ग में आरती उतारी गई है अर्थात् उपस्थित की गई है।
     साधकों की सुविधा का ख्याल करके नित्य प्रति की जानेवाली स्तुति-प्रार्थनाओं, सन्तमत- सिद्धान्त एवं परिभाषा आदि को प्रारम्भ में ही अनुक्रम-बद्ध कर दिया गया है और उसे स्तुति-प्रार्थना का अंग मानकर उसी वर्ग में स्थान दिया गया है।

वाय नाव
Buy now


MS08 . मोक्ष दर्शन (भारती भाषा) 

मोक्ष-दर्शन
मोक्ष-दर्शन
MS08 . मोक्ष दर्शन (भारती भाषा)-  इसका प्रथम प्रकाशन 1967 ई0 में हुआ था। इसमें महर्षिजी ने सूत्र-रूप में प्रभु, माया, ब्रह्म, प्रकृति, जीव, अन्तस्साधना, परमपद, सद्गुरु, प्रणवनाद आदि का सुन्दर और सरल विवेचन किया है। उन्होंने बतलाया है कि सुरत-शब्द-योग किये बिना परमात्मा को प्राप्त करना असम्भव है।

इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध ।  हैMS08a . मोक्ष दर्शन अंग्रेजी अनुवाद।    


MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति

ज्ञान योग युक्त ईश्वर भक्ति
Gayaan
MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति- इसका रचना-काल 1970 ई0 है। इसमें बतलाया गया है कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ज्ञान-योग और भक्ति का समन्वय परमावश्यक है। किसी एक के अभाव में साधना पूर्ण नहीं हो सकती। 


MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति

MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति- इसका प्रथम प्रकाशन 1963 ई0 में हुआ था। इसमें ईश्वर के स्वरूप का निरूपण किया गया है। ईश्वर का स्वरूप कैसा है, उसकी प्राप्ति कैसे हो सकती है? इसका विशद   विश्लेषण इसमें किया गया है। यह पूर्णियाँ जिले के डोभा गाँव में 1950 ई0 में उनका दिया गया प्रवचन है।


MS11 . भावार्थ-सहित घटरामायण- पदावलीप्रकाश

भावार्थ सहित घटरामायण-पदावली
घटरामायण-पदावली   
MS11 . भावार्थ-सहित घटरामायण- पदावली-महर्षिजी की यह चौथी रचना है। इसका प्रकाशन सर्वप्रथम 1935 ई0 में युनाइटेड प्रेस, भागलपुर से हुआ था। इसमें संत तुलसी साहब की पुस्तक ‘घटरामायण’ के 7 छन्दों, 3 सोरठों, 3 चौपाइयों, एक दोहे और एक आरती का भावार्थ दिया गया है। 


MS12  .  सत्संग - सुधा , प्रथम भाग, 

सत्संग सुधा भाग- 1
सत्संग सुधा भाग- 1
MS12  .  सत्संग - सुधा , प्रथम भाग- यह महर्षिजी की सातवीं पुस्तक है। इसमें उनके 18 प्रवचनों का संकलन है। इसका प्रथम प्रकाशन 1954 ई0 में हुआ था।

MS13. सत्संग सुधा , द्वितीय भाग

सत्संग सुधा भाग 2
सत्संग सुधा भाग 2
MS13. सत्संग सुधा , द्वितीय भाग - इसका प्रथम प्रकाशन 1964 ई0 में हुआ था। इसमें भी उनके 18 प्रवचनों का संकलन है। सत्संग-सुधा के दोनों भागों के त से पाठकों को यह बोध होगा कि वेदों, उपनिषदों, गीता, सन्तवाणियों में सदा   से ईश्वर-स्वरूप उसके साक्षात्कार करने की सद्युक्ति एवं अनिवार्य सदाचार-पालन के निर्देश बिल्कुल एक ही हैं। 


MS14 . सत्संग - सुधा , तृतीय भाग, 

सत्संग सुधा भाग 3
सत्संग सुधा भाग 3

MS14 . सत्संग - सुधा , तृतीय भाग, - प्रकाशन बर्ष 2001 ई0। इसमें 18 प्रवचनों का संकलन है।

वाय नाव
Buy Now


MS15 . सत्संग - सुधा , चतुर्थ भाग,

MS15 . सत्संग - सुधा , चतुर्थ भाग- प्रकाशन वर्ष
 2003 ई0। इसमें 26 प्रवचनों का संकलन है।

वाय नाव
Buy Now


MS16. राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग

राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग
राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग
MS16. राजगीर, हरिद्वार दिल्ली सत्संग- इसमें राजगीर, हरिद्वार और दिल्ली में दिए गए सत्संग प्रवचनों का बहुत ही सुंदर संकलन है जो की अद्भुत प्रवचन है.


MS17 . महर्षि मेंहाँ - वचनामृत , प्रथम खंड,

महर्षि मेंहीं वचनामृत प्रथम खण्ड
महर्षि मेंहीं-वचनामृत

MS17 . महर्षि मेंहाँ - वचनामृत , प्रथम खंड- इसका रचनाकाल 1989 ई0 है। इसमें 16 प्रवचनों का संकलन है।





MS18 . महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग 1,
MS18 . महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग 1 - इसका प्रथम प्रकाशन वर्ष 2004 ई0 है. इसमें गुरु महाराज के 323 प्रवचनों का संकलन है। इन प्रवचनों का पाठ करके ईश्वर, जीव ब्रह्म, साधना आदि आध्यात्मिक विषयों का ज्ञान हो जाता है.

वाय नाव
Buy Now

MS19 . महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग 2, 

महर्षि मेंहीं सत्संग सुधा सागर भाग- 2
सुधा सागर भाग- 2
MS19 . महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग 2-  महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग-2  में महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग- 1 के प्रकाशन के बाद जो प्रवचन और उपलब्ध थे उसका प्रकाशन किया गया है.
---×---

मूल पुस्तक के स्टॉक खत्म होने की चेतावनी



      इन पुस्तकों में क्या है? इसके बारे में विशेष रूप से जानने के लिए इन पुस्तकों के नामों पर क्लिक करें। तो आपको एक दूसरे पेज में जाएंगे और उस पुस्तक से संबंधित सभी बातों की जानकारी के साथ इसे कैसे खरीद सकते हैं । इसकी भी जानकारी आपको मिलेगी । आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं "सत्संग ध्यान स्टोर" से। किसी प्रकार की जानकारी में कमी होने पर आप हमें कमेंट कर सकते हैं। संत महात्माओं द्वारा प्रकाशित कुछ और पुस्तकें हैं उनका परिचय जानने के लिए।      यहां दबाएं।


सत्संग ध्यान स्टोर पर उपलब्ध सामग्री

सत्संग ध्यान स्टोर पर उपलब्ध सामग्री चित्र, स्टोर पर मिलने वाली वस्तुएं एवं पुस्तकें,
सत्संग ध्यान स्टोर की सामग्री
"सत्संग ध्यान स्टोर" पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन उपलब्ध पुस्तकों की सूची एवं अन्य सामग्रियों की जानकारी के लिए   यहां दबाएं।

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए यहां दवाएं 
---×---

महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली/ Maharishi Mehi's Books Introduction and sale महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली/ Maharishi Mehi's Books Introduction and sale Reviewed by सत्संग ध्यान on 1/31/2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

सत्संग ध्यान से संबंधित प्रश्न ही पूछा जाए।

Ad

Blogger द्वारा संचालित.