google.com, pub-1552214826144459, DIRECT, f08c47fec0942fa0 MS06 संतवाणी सटीक || 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, बंधन-मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित सटीक वाणी - सत्संग ध्यान विस्तृत चर्चा

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MS06 संतवाणी सटीक || 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, बंधन-मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित सटीक वाणी

MS06 संतवाणी सटीक

      प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची' की छठी पुस्तक "संतवाणी सटीक" है । इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज  संतों के अनुभव युक्त योग, ध्यान, सदाचार, व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि की वाणियां है, जो गम्भीरतम अनुभूतियों और सर्वोच्च अनुभव को अभिव्यक्त करने की क्षमता से सम्पन्न और अधिकाधिक समर्थ है । उन्हीं वाणियों का भारती भाषा में अपने अनभव ज्ञान के सहारे टीका किये हैं। आइये इसकी एक झलक देखें--

'महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज' की पांचवीं पुस्तक "MS05 श्रीगीता-योग-प्रकाश  ||  गीता में फैले भ्रामक विचारों के निराकरण और योग समाधि की रहस्य को उजागर करने वाली पुस्तक" के बारे  में जानने के लिए   👉 यहां दवाएँ।

संतवाणी-सटीक
संतवाणी सटीक

संतवाणी सटीक की महत्वपूर्ण बातें

      प्रभु प्रेमियों  ! संतों ने ज्ञान और योग - युक्त ईश्वर - भक्ति को अपनाया । ईश्वर के प्रति अपना प्रगाढ़ प्रेम अपनी वाणियों में दर्शाया है । उनकी यह प्रेमधारा ज्ञान से सुसंस्कृत तथा सुरत - शब्द के सरलतम योग - अभ्यास से बलवती होकर , प्रखर और प्रबल रूप से बढ़ती हुई अनुभूतियों और अनुभव से एकीभूत हो गई थी , जहाँ उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ और परम मोक्ष प्राप्त हुआ था । उनकी वाणी उन्हीं गम्भीरतम अनुभूतियों और सर्वोच्च अनुभव को अभिव्यक्त करने की क्षमता से सम्पन्न और अधिकाधिक समर्थ है । ' संतवाणी सटीक ' में पाठकगण उसी विषय को पाठ कर जानेंगे । 


 

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MS08. THE PHILOSOPHY OF LIBERATION


     MS08. THE PHILOSOPHY OF LIBERATION : The infinite riches of the deepest mystery of the Supreme Yoga, Supreme knowledge and Supreme devotion are scattered throughout in the little space of this individual book which is the ripest and sweetest fruit of the Ultimate Experience acquired after long meditation and penance by great spiritual guide, Sadguru Maharshi Mehi Paramhansa. It is the overflow of his Universal love and kindness to mankind, (being inevitable for the Sants), to impart this higher knowledge to the world through this book, so that its craved 'Peace' or 'Shanti' can be found here, on this earth where there is a close struggle for existence, and hearafter too.      The urge for attaining Shanti is natural in the human-heart. In ancient times, under this inspiration, the ancient Sants made a complete search for Shanti and expressed their well-considered opinions for its attainment in the Upanishads. Similar to these views, Sants like Kabir Sahab and Guru Nanak Sahab etc. also have described the views in languages like Bharti and Punjabi etc. for the good of the general people. Only these thoughts are called Santmat. But only the hymns of Upanishads have got to be taken for granted as the groundwork of Santmat;  for the highest wisdom and the special means of Naadaanushandhaan or Surat Shabda Yoga (the 'Investigation of the Divine Word-Sound' or the 'Yoga of concentrating the consciousness-force into the Divine word-Sound') which leads to the state of that highest wisdom of which Santmat has its unique dignity, are still undimmed only on this ground work of the immemorial ages. It will become impossible to doubt the above statement after a careful study of all the three parts, first, second and third of the Satsang-Yoga. Review the book 
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION ---


THE PHILOSOPHY OF LIBERATION
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 01
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 01

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 02
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 02

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 03
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 03

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 04
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 04

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 05
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 05

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 06
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 06

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 06
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 07

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 08
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 08

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 09
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 09

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 10
THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 10

THE PHILOSOPHY OF LIBERATION 11
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    प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज के इस पोस्ट का पाठ करके आप लोगों ने जाना कि 👉  निर्गुण और सगुण भक्ति काव्य की तुलना, निर्गुण भक्ति क्या है, सगुण भक्ति क्या है, निर्गुण और सगुण भक्ति क्या है, निर्गुण और सगुण में हेलो, सगुण और निर्गुण भक्ति में क्या अंतर है, सगुण भक्ति काव्य की विशेषताएं pdf, निर्गुण भक्ति धारा के कवि,   इत्यादि बातें।  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार   का  कोई संका या प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें।  इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बताएं, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग के  सदस्य बने। इससे  आप आने वाले हर पोस्ट की सूचना  आपके ईमेल पर नि:शुल्क भेजा जायेगा। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.।!!!




     MS07 . महर्षि मेँहीँ-पदावली- संतमत के महान संत महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। यह पुस्तक मूल रूप से भजनों और पदों का संग्रह है। इसके पदों के शब्दार्थ, भावार्थ और टिप्पणियाँ शामिल हैं, ताकि पाठक उनके गहरे अर्थों को आसानी से समझ सकें। इसका रचना-काल 1925 से 1950 ई0 है। यह गुरु महाराज जी की बड़ी लोकप्रिय काव्य-कृति है। इसमें 142 पद हैं। इसके पदों का वर्गीकरण विषय के आधार पर किया गया है। परम प्रभु परमात्मा, सन्तगण और मार्गदर्शक सद्गुरु, इन तीनों को एक ही के तीन रूप समझकर इन तीनों की स्तुति-प्रार्थनाओं को प्रथम वर्ग में स्थान दिया गया है । द्वितीय वर्ग में सन्तमत के सिद्धान्तों का एकत्रीकरण है। तृतीय वर्ग में प्रभु-प्राप्ति के एक ही साधन ‘ध्यान-योग’ का संकलन है।     ( और जाने 

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MS06 संतवाणी सटीक || 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, बंधन-मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित सटीक वाणी MS06 संतवाणी सटीक || 33 सन्तो के ईश्वर-भक्ति, साधना, बंधन-मोक्ष इत्यादि से सम्बंधित सटीक वाणी Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/10/2023 Rating: 5

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