महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के द्वारा लिखित, संपादित एवं उनके प्रवचनों के द्वारा बनाया गया साहित्य लगभग 18 या 20 है। जिनका नाम और संक्षिप्त परिचय नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है।
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सद्गुरु महर्षि मेँहीँ साहित्य सुमनावली
सदगुरु महर्षि मेंहीं
MS01 . सत्संग - योग ( चारो भाग ),
MS02 . रामचरितमानस - सार सटीक,
MS03 . वेद दर्शन - योग,
MS04 . विनय - पत्रिका - सार सटीक,
MS05 . श्रीगीता - योग - प्रकाश,
MS06 . संतवाणी सटीक,
MS07 . महर्षि मेँहीँ - पदावली,
MS08 . मोक्ष दर्शन,
MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति,
MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति,
MS11 . भावार्थ - सहित घटरामायण - पदावली,
महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली
MS15 . सत्संग - सुधा , चतुर्थ भाग,
MS16. राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग,
MS17 . महर्षि मेँहीँ-वचनामृत, प्रथम खंड,
MS18 . महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर भाग 1,
MS19 . महर्षि मेँहीँ सत्संग - सुधा सागर भाग 2,
सदगुरु महर्षि मेंहीं |
MS01 . सत्संग - योग ( चारो भाग ),
MS02 . रामचरितमानस - सार सटीक,
MS03 . वेद दर्शन - योग,
MS04 . विनय - पत्रिका - सार सटीक,
MS05 . श्रीगीता - योग - प्रकाश,
MS06 . संतवाणी सटीक,
MS07 . महर्षि मेँहीँ - पदावली,
MS08 . मोक्ष दर्शन,
MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति,
MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति,
MS11 . भावार्थ - सहित घटरामायण - पदावली,
महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली |
MS15 . सत्संग - सुधा , चतुर्थ भाग,
MS16. राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग,
MS17 . महर्षि मेँहीँ-वचनामृत, प्रथम खंड,MS18 . महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर भाग 1,
MS19 . महर्षि मेँहीँ सत्संग - सुधा सागर भाग 2,सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की अमूल्य कृतियों का संक्षिप्त परिचय-
MS01. सत्संग-योग (चारों भाग)
सत्संग योग (चारों भाग) |
MS02 . रामचरितमानस-सार सटीक- संत कवि मेँहीँ की यह दूसरी रचना है। यह 1930 ई0 में भागलपुर, बिहार प्रेस से प्रकाशित हुई थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी के रामचरितमानस के 152 दोहों और 951 चौपाइयों की व्याख्या की गयी है। इसका मुख्य लक्ष्य है-स्थूल भक्ति और सूक्ष्म भक्ति के साधनों को प्रकाश में लाना।
वेद-दर्शन-योग |
MS03 . वेद-दर्शन-योग-यह महर्षिजी की नौवीं कृति है। इसमें चारो वेदों से चुने हुए एक सौ मंत्रों पर टिप्पणी लिखकर संतवाणी से उनका मिलान किया गया है। इसका प्रथम प्रकाशन 1956 ई0 में हुआ था।
MS04 . विनय-पत्रिका-सार सटीक
विनय-पत्रिका-सार-सटीक |
MS04 . विनय-पत्रिका-सार सटीक-यह तीसरी रचना 1931 ई0 में भागलपुर के युनाइटेड प्रेस में छपी थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज रचित ‘विनय-पत्रिका’ के कुछ पदों की सरल व्याख्या की गई है।बहुत ही अच्छी और सारगर्भित पुस्तक है।
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MS05 . श्रीगीता-योग-प्रकाश
श्रीगीता-योग-प्रकाश |
इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है।
MS05a . श्री गीता-योग-प्रकाश (अंग्रेजी अनुवाद),
MS06 . संतवाणी सटीक- इसमें 31 सन्त- कवियों के चुने हुए पदों की व्याख्या महर्षिजी ने की है। इसका प्रथम प्रकाशन 1968 ई0 में हुआ था। संतवाणी सटीक के विषय में सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के निम्नलिखित उद्गार हैं- "गुरु महाराज ने दृढ़ता के साथ यह ज्ञान बतलाया कि सब संतों का एक ही मत है । मैंने सोचा कि यदि बहुत - से संतों की वाणियों का संग्रह किया जाए , तो उस संग्रह के पाठ से महाराज की उपर्युक्त बात की यथार्थता लोगों को उत्तमता से विदित हो जाएगी । इसी हेतु मैंने यत्र - तत्र से उनका संग्रह किया ।" 'संतवाणी का संग्रह हुआ , बड़ा अच्छा हुआ ; परन्तु इन वाणियों का अर्थ भी आप कर दें , तो और भी अच्छा हो । ' मुझको भी यह बात अच्छी लगी । सबका संग्रह कर एक पुस्तकाकार में छपवा दिया जाए कि लोग उस पुस्तक से विशेष लाभ उठावें ।"
MS07 . महर्षि मेँहीँ-पदावली-
महर्षि मेंहीं पदावली |
MS07 . महर्षि मेँहीँ-पदावली- यह महर्षि मेँहीँ की छठी पुस्तक है। इसका रचना-काल 1925 से 1950 ई0 है। यह महर्षिजी की बड़ी लोकप्रिय काव्य-कृति है। इसमें 142 पद हैं। इसके पदों का वर्गीकरण विषय के आधार पर किया गया है। परम प्रभु परमात्मा, सन्तगण और मार्गदर्शक सद्गुरु, इन तीनों को एक ही के तीन रूप समझकर इन तीनों की स्तुति-प्रार्थनाओं को प्रथम वर्ग में स्थान दिया गया है । द्वितीय वर्ग में सन्तमत के सिद्धान्तों का एकत्रीकरण है। तृतीय वर्ग में प्रभु-प्राप्ति के एक ही साधन ‘ध्यान-योग’ का संकलन है, जो मानस जप, मानस ध्यान, दृष्टि-साधन और नादानुसंधान या सुरत-शब्द-योग का अनुक्रमबद्ध संयोजन-सोपान है। चतुर्थ वर्ग में ‘संकीर्त्तन’ नाम देकर तद्भावानुकूल गेय पदों के संचयन का प्रयत्न है। पंचम वर्ग में आरती उतारी गई है अर्थात् उपस्थित की गई है।
साधकों की सुविधा का ख्याल करके नित्य प्रति की जानेवाली स्तुति-प्रार्थनाओं, सन्तमत- सिद्धान्त एवं परिभाषा आदि को प्रारम्भ में ही अनुक्रम-बद्ध कर दिया गया है और उसे स्तुति-प्रार्थना का अंग मानकर उसी वर्ग में स्थान दिया गया है।Buy now |
MS08 . मोक्ष दर्शन (भारती भाषा)
मोक्ष-दर्शन |
इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध । हैMS08a . मोक्ष दर्शन अंग्रेजी अनुवाद।
MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति
Gayaan |
MS09 . ज्ञान - योग - युक्त ईश्वर भक्ति- इसका रचना-काल 1970 ई0 है। इसमें बतलाया गया है कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ज्ञान-योग और भक्ति का समन्वय परमावश्यक है। किसी एक के अभाव में साधना पूर्ण नहीं हो सकती।
MS10 . ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति
MS11 . भावार्थ-सहित घटरामायण- पदावलीप्रकाश
घटरामायण-पदावली |
MS11 . भावार्थ-सहित घटरामायण- पदावली-महर्षिजी की यह चौथी रचना है। इसका प्रकाशन सर्वप्रथम 1935 ई0 में युनाइटेड प्रेस, भागलपुर से हुआ था। इसमें संत तुलसी साहब की पुस्तक ‘घटरामायण’ के 7 छन्दों, 3 सोरठों, 3 चौपाइयों, एक दोहे और एक आरती का भावार्थ दिया गया है।
MS12 . सत्संग - सुधा , प्रथम भाग,
सत्संग सुधा भाग- 1 |
MS13. सत्संग सुधा , द्वितीय भाग
सत्संग सुधा भाग 2 |
MS13. सत्संग सुधा , द्वितीय भाग - इसका प्रथम प्रकाशन 1964 ई0 में हुआ था। इसमें भी उनके 18 प्रवचनों का संकलन है। सत्संग-सुधा के दोनों भागों के त से पाठकों को यह बोध होगा कि वेदों, उपनिषदों, गीता, सन्तवाणियों में सदा से ईश्वर-स्वरूप उसके साक्षात्कार करने की सद्युक्ति एवं अनिवार्य सदाचार-पालन के निर्देश बिल्कुल एक ही हैं।
MS14 . सत्संग - सुधा , तृतीय भाग, - प्रकाशन बर्ष 2001 ई0। इसमें 18 प्रवचनों का संकलन है।
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MS15 . सत्संग - सुधा , चतुर्थ भाग,
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MS16. राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग
राजगीर हरिद्वार दिल्ली सत्संग |
MS17 . महर्षि मेंहाँ - वचनामृत , प्रथम खंड,
महर्षि मेंहीं-वचनामृत |
MS18 . महर्षि मेंहीं सत्संग - सुधा सागर भाग 1,
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सुधा सागर भाग- 2 |
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महर्षि मेँहीँ साहित्य-सुमनावली/ Maharishi Mehi's Books Introduction and sale
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
1/31/2019
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