प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची' की दसवीं पुस्तक "ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति" है । इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराजईश्वर है? ईश्वर का स्वरूप कैसा है? ईश्वर कैसा है? ईश्वर क्या है? संतों के अनुसार ईश्वर की परिभाषा क्या है? तर्क बुद्धि से ईश्वर को कैसे समझ सकते हैं? वैदिक संस्कृति में ईश्वर का स्वरूप कैसा है? वैज्ञानिक दृष्टि से ईश्वर का स्वरूप कैसा है? ईश्वर से संबंधित हर तरह के प्रश्नों का उत्तर इस पुस्तक में है और इसमें नए सत्संग के लिए स्तुति प्रार्थना इत्यादि भी दिया गया है। आइये इस पुस्तक का दर्शन करें-
महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की नौवीं पुस्तक "MS09 ज्ञान-योग-युक्त ईश्वर भक्ति || भक्ति करना क्यों जरूरी है? Why is it necessary to do devotion?" के बारे में जानने के लिए 👉 यहां दवाएँ।
ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति
ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति
प्रभु प्रेमियों ! ईश्वर स्वरूप को ठीक से समझे बिना जीवनभर सुख शान्ति के लिए ईश्वर भक्ति के नाम पर किया जानेवाला सारा श्रम निष्फल ही चला जाता है ।
नावं न जानै गाँव का , कहो कहाँ को जाँव । चलते चलते जुग गया , पाँव कोस पर गाँव ॥
(संत कबीर साहब) "ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति" नामक इस लघुपुस्तिका में: ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को समझाया गया है और भक्ति कैसे करनी चाहिए? इसकी जानकारी के साथ-साथ नित्य सुबह शाम की जाने वाले स्तुति-प्रार्थना और कुछ भजनों का भी समावेश इस पुस्तिका में किया गया है . जिसे आप हमेशा पॉकेट में रख कर रोजाना के स्तुति पाठ को शुद्धि पूर्वक कर सकें.
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नोट-- 1. संतमत सत्संग की स्तुति-प्रार्थना, आरती, विनती और गुरु- कीर्तन "महर्षि मेंही पदावली" के सभी भजनों के लिए 👉 यहाँ दवाएँ।
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महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची' की ग्यारहवीं पुस्तक " MS11 भावार्थ सहित घट रामायण-पदावली || संत तुलसी साहब जीवनी और योगात्मक वाणी भावार्थ सहित" के बारे में जानने के लिए 👉यहां दबाएं।
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MS10 ईश्वर का स्वरूप और उसकी प्राप्ति || प्रातः, अपराह्न एवं सायंकालीन स्तुति-प्रार्थना आरती सहित
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
11/20/2021
Rating: 5
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