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धम्मपद || गाथा और कथा सहित भगवान बुद्ध वचन धम्मपद का सम्पूर्ण परिचय || Best Book Review

धम्मपद 

     प्रभु प्रेमियों ! पाली साहित्य का एक अमूल्य ग्रन्थरत्न है । बौद्ध- संसार में इसका उसी प्रकार प्रचार है जिस प्रकार कि हिन्दू संसार में गीता का । यद्यपि गीता का एक ही कथानक है और श्रोता भी एक ही ; किन्तु धम्मपद के विभिन्न कथानक और विभिन्न श्रोता हैं । गीता का उपदेश अल्पकाल में ही समाप्त किया गया था , किन्तु धम्मपद तथागत के पैंतालीस वर्षों के उपदेश से संगृहीत है ।

धम्मपद की कथा और गाथा सहित सम्पूर्ण पुस्तक
कथा और गाथा सहित

धम्मपद की बिशेषता और उपयोगिता

     प्रभु प्रेमियों ! धम्मपद २६ वर्गों में विभक्त है और प्रत्येक वर्ग का वर्ण्य विषय भिन्न है । इसमें कुल ४२३ गाथायें हैं , जिन्हें भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्ति के समय से लेकर परिनिर्वाण पर्यन्त समय - समय पर उपदेश देते हुए कहा था । धम्मपद एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी प्रत्येक गाथा में बुद्धधर्म का सार भरा हुआ है । जिन गाथाओं को सुनकर आज तक विश्व के अनगिनत दुःख - संतप्त प्राणियों का उद्धार हुआ है । इन गाथाओं में शील , समाधि , प्रज्ञा , निर्वाण आदि का बड़ी सुन्दरता के साथ वर्णन है , जिन्हें पढ़ते हुए एक अद्भुत संवेग , धर्मरस , शान्ति , ज्ञान और संसार - निर्वेद का अनुभव होता है । धम्मपद बौद्ध साहित्य का सबसे अधिक लोकप्रिय ग्रन्थ है । धम्मपद की गाथायें सरल और मर्मस्पर्शिनी हैं । ये अनायास ही कंठाग्र भी हो जाती हैं । - आज की विषम परिस्थिति में धम्मपद के प्रचार की बहुत बड़ी आवश्यकता है । जितना ही इसका प्रचार होगा , उतना ही मानव - जगत् का कल्याण होगा ।


धम्मपद मुख्य कवर
धम्मपद



धम्मपद आंतरिक पेज1
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धम्मपद आंतरिक पेज2
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धम्मपद आंतरिक पेज3
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धम्मपद आंतरिक पेज4
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धम्मपद आंतरिक पेज5
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धम्मपद आंतरिक पेज6
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धम्मपद आंतरिक पेज7
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धम्मपद आंतरिक पेज12
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धम्मपद आंतरिक पेज9
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धम्मपद आंतरिक पेज8
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धम्मपद आंतरिक पेज10
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धम्मपद आंतरिक पेज11
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लास्ट कवर पेज धम्मपद
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चेतावनी


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धम्मपद कथा
धम्मपद


चेतावनी




॥ ॐ श्रीसद्गुरवे नमः ॥

    धम्मपद     
 
 विषय सूची


गाथा   कथा शीर्षक                                         शिक्षा

1_यमकवग्गो

१.१ चक्खुपाल स्थविर की कथा         मन ही प्रधान है।

१.२ मट्ठकुण्डली की कथा                 मन ही प्रधान है।

१३ थुल्लतिस्स स्थविर की कथा         बैर के शान्त होने का उपाय

१,४ काली यक्षिणी की कथा             बैर से बैर नहीं शान्त होता

१.५ कौशाम्बी के भिक्षुओं की कथा   किसके कलह शान्त होते हैं।

१.६ चूलकाल महाकाल की कथा     मार किसे नहीं डिगा सकता

१.७ देवदत्त की कथा                    काषाय वस्त्र का अधिकारी

१.८ अग्रश्रावकों की कथा             सार को प्राप्त करने वाले

१.९ नन्द स्थविर की कथा            किसके चित्त में राग नहीं घुसता

१.१० चुन्द सूकरिक की कथा        पापी शोक करता है।

१,११ धार्मिक उपासक की कथा    पुण्यात्मा प्रमोद करता है।

१.१२ देवदत्त की कथा                 पापी सन्ताप करता है

१.१३ सुमना देवी की कथा            पुण्यात्मा आनन्द करता हैं।

१,१४ दो मित्र भिक्षुओं की कथा      श्रामण्य का अधिकारी


2_अप्पमादवग्गो

२,१ सामावती और मागन्दियकी कथा  निर्वाण को प्राप्त करनेवाले

२,२ कुम्भघोसक की कथा                अप्रमादी का यश बढ़ाता है

२,३ चुल्लपन्थक स्थविर की कथा       अपने लिये द्वीप बनाना

२,४ बाल नक्षत्र घोषण की कथा         अप्रमादी सुख पाता है

२,५ महाकस्सप स्थविर की कथा        अज्ञानियों को देखता

२.६ दो मित्र भिक्षुओं की कथा           बुद्धिमान आगे हो जाता है

२,७ महाली के प्रश्न की कथा         अप्रमादी की प्रशंसा होती है    

२,८ किसी भिक्षु की कथा     अप्रमादी बन्धनों को जला डालता है

२,९ निगमवासी तिस्स स्थविर की कथा   अप्रमादी का पतन नहीं


3_ चित्तवग्गो

३, १ मेघिय स्थविर की कथा          चित्त चंचल है

३, २ किसी भिक्षु की कथा             चित्त का दमन सुखदायक है 

३,३ किसी उत्कण्ठित भिक्षु की कथा  सुरक्षित चित्त सुखदायक है

३,४ संघरक्खित स्थविर की कथा      चित्त का संयम

३, ५ चित्तहत्थ स्थविर की कथा        जागृत पुरुष को भय नहीं

३,६ पाँच सौ विपश्यक भिक्षुओं की कथा

                                         मार से युद्ध कर अपनी रक्षा करें 

३, ७ पूतिगत्त तिस्स स्थविर की कथा    शरीर क्षण-भंगुर है।

३,८ नन्द गोपाल की कथा     झूठे मार्ग पर लगा चित्त अहिकर

३,९ सोरेय्य स्थविर की कथा   ठीक मार्ग पर लगा चित्त हितकर


4_ पुप्फवग्गो

४, १ पाँच सौ भिक्षुओं की कथा               शैक्ष्य जीतेगा कथा 

४, २ मरीचि कर्मस्थानिक स्थविर की कथा  शरीर को असार जानो

४, ३ विडूडभ की कथा                       मृत्यु पकड़ ले जाती है।   

४,४ पति-पूजा की कथा                     मृत्यु वश में कर लेती है

४,५ कंजूस कोसिय सेठ की कथा   भ्रमर के समान भिक्षाटन करे

४, ६ पाठिक आजीवक की कथा    अपने ही कृत्याकृत्य को देखे

४, ७ छत्तपाणि उपासक की कथा    निष्फल और सफल वाणी

४,८ विशाखा उपासिका की कथा     बहुत पुण्य करना चाहिये

४,९ आनन्द स्थविर के प्रश्न की कथा   शील की सुगन्ध उत्तम है

४,१० महाकाश्यप स्थविर को पिण्डपान दान की कथा 

                                                   शील की सुगन्ध उत्तम है

४,११ गोधिक स्थविर के परिनिर्वाण की कथा  

                                      शीलवानों के मार्ग को मार नहीं पाता 

४,१२ गरहदिन की कथा               बुद्ध श्रविक प्रज्ञा से शोभता है


5_ बालवग्गो

५.१ दरिद्र सेवक की कथा       मूढ़ों के लिए संसार लम्बा होता है

५.२ महाकाश्यप स्थविर के शिष्य की कथा

                                             मूर्ख से मित्रता अच्छी नहीं

५,३ आनन्द सेठ की कथा           मनुष्य का कुछ नहीं

५.४ गिरहकट चोरों की कथा        यथार्थ में मूर्ख कौन है ?

५.५ उदायी स्थविर की कथा         मूर्ख को धर्म की जानकारी नहीं

५.६ भद्रवर्गीय भिक्षुओं की कथा   विज्ञ शीघ्र धर्म को जान लेता है 

५.७ सुप्रबुद्ध कोढ़ी की कथी       मूर्ख स्वयं अपना शत्रु बनता है  

५.८ कृषक की कथा         पछताने वाले कर्म को करना ठीक नहीं

५.९ सुमन माली की कथा  न पछताने वाले कर्म को करना ठीक है 

५.१० उप्पलवण्णा थेरी की कथा  मूर्ख पाप को मीठा समझता है

५.११ जम्बुक आजीवक की कथा  सोलहवें भाग के बराबर नहीं

५, १२ अहिप्रेत की कथा              पाप शीघ्र फल नहीं लाता

५.१३ साठ कूट वाले प्रेत की कथा   मूर्ख का ज्ञान अनर्थकारक

                                                         होता है 

५.१४ सूधम्म स्थविर की कथा    मूर्ख की इच्छा और अभिमान 

                                                          बढ़ते हैं

५.१५ वनवासी तिस्स स्थविर की कथा   सत्कार का अभिनन्दन

                                                           न करना


6 - पण्डितवग्गो

६.१ राध स्थविर की कथा                 पण्डित का साथ करे

६.२ अस्सजी और पुनब्बसु की कथा   उपदेशक प्रिय

                                                             और अप्रिय भी 

६, ३ छन स्थविर की कथा             उत्तम पुरुषों का सेवन करे

६,४ महाकप्पिन स्थविर की कथा     सुखपूर्वक सोता है

६.५ पण्डित श्रामणेर की कथा      पण्डित अपना दमन करते हैं

६.६ लकुण्टक भद्दिय स्थविर        पण्डित निन्दा और प्रशंसा                                   की कथा                    से नहीं डिगते

६.७ काणमाता की कथा          धर्म को सुनकर शुद्ध हो जाते हैं

६.८ पाँच सौ जूठा खाने वालों  की कथा   सत्पुरुष कामभोग की                                                               बात नहीं करते

६.९ धार्मिक स्थविर की कथा      कौन शीलवान, प्रज्ञावान 

                                                           और धार्मिक है

६.१० धर्म-श्रवण की कथा           पार जाने वाले थोड़े ही हैं।

६.११ आगन्तुक पाँच सौ भिक्षुओं        वह निर्वाण प्राप्त है

की कथा


7- अरहन्तवग्गो

७.१ जीवक की कथा               विमुक्त को कष्ट नहीं

७.२ महाकाश्यप स्थविर की कथा स्मृतिमान आलयको त्याग देते हैं

७.३ बैलट्ठिसीस स्थविर की कथा    निर्वाण प्राप्त की गति अज्ञेय है 

७.४ अनुरुद्ध स्थविर की कथा        निर्वाण प्राप्त की गति अज्ञेय है

७.५ महाकात्यायन स्थविर की कथा अर्हत् की देवता स्पृहा करते हैं

७.६ सारिपुत्र स्थविर की कथा         अर्हत् अकम्प्य होता है

७.७ कौशाम्बी वासी तिस्स स्थविर की कथा   अर्हत् शान्त होते है

७.८ सारिपुत्र स्थविर के प्रश्नोत्तर की कथा     उत्तम पुरुष

७, ९ खदिरवनिय रेवत स्थविर की कथा       अर्हतो के विहरने की                                                              भूमि रमणीय

७,१० किसी स्त्री की कथा     आरण्य में वीतराग रमण करते हैं 


8- सहस्सवग्गो

८.१ तम्बदाठिक चोरघातक की कथा  सार्थक एक पद श्रेष्ठ है

८.२ दारुचीरिय स्थविर की कथा        एक गाथापद

८.३ कुण्डल केशी थेरी की कथा        एक धर्म-पद श्रेष्ठ है

८.४ अनर्थ पूछने वाले ब्राह्मण की कथा   अपने को जीतना श्रेष्ठ है।

८.५ सारिपुत्र स्थविर के मामा की कथा    परिशुद्ध मन वाले की                                                                   पूजा श्रेष्ठ है

८.६ सारिपुत्र स्थविर के भांजा की कथा    परिशुद्ध मन वाले की                                                            पूजा श्रेष्ठ  है

८.७ सारिपुत्र स्थविर के मित्र की कथा   यज्ञ और हवन से प्रणाम                                                             करना श्रेष्ठ है

८.८ दीर्घायु कुमार की कथा                 चार बातें बढ़ती हैं 

८.९ सकिञ्च श्रामणेर की कथा      शीलवान का एक दिन                                                            का जीवन श्रेष्ठ है

८.१० खाणु कोण्डञ्ञ स्थविर की कथा  ध्यानी का एक दिन का                                                          जीवन श्रेष्ठ है 

८.११ सप्पदासक स्थविर की कथा    उद्योगी का एक दिन का                                                          जीवन श्रेष्ठ है

८.१२ पटाचारा थेरी की कथा        उत्पत्ति और विनाश का मनन                                                    करना श्रेष्ठ है

८.१३ किसी गौतमी की कथा       निवाणदर्शी का एक दिन का                                                   जीवन श्रेष्ठ है

८.१४ बहुपुत्तिका थेरी की कथा    धर्मदर्शी का एक दिन का 

                                               जीवन श्रेष्ठ है


9- पापवग्गो

९.१ चूलेकसाटक ब्राह्मण की कथा   पुण्य करने में शीघ्रता करे

९.२ सेय्यसक स्थविर की कथा   पाप का संचय दुःख दायक है

९.३ लाजदेवधीता की कथा    पुण्य का संचय सुखदायक है

९.४ अनाथपिण्डिक सेठ की कथा     फल प्राप्त होने पर कर्म                                                         सूझते हैं


६८...... 


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     प्रभु प्रेमियों !  धम्मपद ग्रंथ के उपर्युक्त विवेचन से हमलोगों ने जाना कि भक्त कवि लेखक विचारक भगवान ने इस ग्रंथ गाथा को लिखकर हमलोंगों का बड़ा उपकार किया है । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस पोस्ट के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। 


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धम्मपद || गाथा और कथा सहित भगवान बुद्ध वचन धम्मपद का सम्पूर्ण परिचय || Best Book Review धम्मपद || गाथा और कथा सहित भगवान बुद्ध वचन धम्मपद का सम्पूर्ण परिचय ||  Best Book Review Reviewed by सत्संग ध्यान on 3/10/2022 Rating: 5

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