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MS01-2-47 दृष्टि-साधन किसे कहते हैं || भारतीय योग विद्या में सर्वाधिक सिद्धि प्रदान करनेवाली साधना पर विशेष चर्चा

दृष्टि-साधन किसे कहते हैं? 

     प्रभु प्रेमियों ! भारतीय योग विद्या में सर्वाधिक सिद्धि प्रदान करनेवाली साधना दृष्टियोग है। इस लेख में सद्गुरु बाबा देवी साहब दृष्टियोग के संबंध में बताते हैं कि दृष्टि - साधन किसे कहते हैं? इस साधना को करने से क्या-क्या फायदा है? इसे करते समय क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए? इत्यादि बातें। अगर आप दृष्टियोग साधना में शीघ्र सफल होना चाहते हैं, तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ें-

दृष्टि - साधन

सद्गुरु बाबा देवी साहब के वचन घटरामायण की भूमिका से

     ( १ ) दृष्टि - साधन उसको कहते हैं कि जो आँख के साथ अभ्यास किया जाता है । इसके साधन करने के सैकड़ों गुर और  अमल हैं कि जो भारतवर्ष और दूसरे मुल्कों में जारी हैं , बाजे इनमें से ऐसे होते हैं कि जिनसे आँख के दोनों गोले टेढ़े पड़  जाते हैं । और बाजे ऐसे हैं कि जिनसे आँख जाती रहती है और बाजे कायदे ऐसे भी हैं कि जिनसे आँख की दोनों पुतलियों को , जिनमें से होकर रोशनी बाहर को निकलती है , खराब कर देते हैं , जिनसे फिर आँखों से धुंधला दिखाई पड़ता है और चाहे तमाम उमर हकीम , वैद्य , डॉक्टर इलाज करें किसी तरह पुतलिया दुरुस्त नहीं होतीं । दृष्टि से अभ्यास करने का वह कायदा है , जिसको आँख और आँख के गोले से कुछ तआल्लुक नहीं है और न दृष्टि के मानी आँख और आँख के गोले के हैं , जिनसे कि वह नुकसान होते हैं , जो ऊपर बयान किये गये हैं । 

     दृष्टि , निगाह को कहते हैं कि जो मांस और खून की बनी हुई नहीं है । मुनष्य में यह निगाह ऐसी बड़ी ताकतवर चीज है कि जिसने बड़े - बड़े छिपे हुए साइन्स और विद्याओं को निकालकर दुनियाँ में जाहिर किया है और सिद्धि वगैरह की असलियत और मसालों का पता जिससे कि वह हो सकती है , सिवाय इसके और किसी से नहीं लग सकता है । योग - विद्या के सीखने का दृष्टि पहिला कायदा है और इसके अभ्यास करने का गुर ऐसा उमदा है , जिससे स्थूल शरीर के किसी हिस्से को कुछ तकलीफ नहीं होती है और अभ्यासी इसके अभ्यास से उन निशानों को , जिनको कि ईश्वर या खुदा की आकाशी और आसमानो ग्रंथों और किताबों में सबसे बड़ा बतलाया है , जल्द पाकर मालूम कर लेता है और फिर तमाम दुनियाँ के सिद्धान्त और असूल अभ्यासी के रू - ब - रू हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं कि जो तमाम उमर पोथियों और ग्रंथों के पढ़ने और सुनने से हासिल नहीं होते । लेकिन दृष्टि सिर्फ उस जगह पहुँच सकती है , जहाँ तक कि रूप है और जहाँ से कि आवागमन हो सकता है , आगे उसके नहीं जा सकती , जहाँ कि रूप और रेखा कुछ नहीं है और जहाँ से कि मोक्ष होता है । सन्तों के मत में सबसे बड़ा पदार्थ मोक्ष है और उस जगह तक दृष्टि नहीं जा सकती । इसलिए शब्द का दूसरा कायदा वहाँ पहुँचने को उपदेश किया गया है ।  

     इल्म - योग में सबसे बड़ा सिद्धान्त मोक्ष पद पाने के लिए शब्दमार्ग है , जो बहुत - से नामों से बोला जाता है । बाजे महात्मा इसी शब्दमार्ग को धर्म और पंथ की बुनियाद डालकर इसका उपदेश करते हैं । और बाजे लोग इसके साइन्स और विद्या के नाम से कोई सुसाइटी वगैरह कायम करके उपदेश करते हैं , इसलिए धर्म और साइन्स दोनों की यह जान है - न तो कोई धर्म और पन्थ बिना इस सिद्धान्त के चल सकता है और न कोई साइन्स और विद्या , बिना इसके सहारे चल सकती है । ∆


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दृष्टि योग

दृष्टि योग.

दृष्टियोग..

   प्रभु प्रेमियों ! आप लोगों ने सत्संग योग से बाबा देवी साहब के माध्यम से जाना कि स्वस्थ जीवन के लिए योग की भूमिका क्या है? वर्तमान समय को देखते हुए योग हमारे स्वास्थ्य के लिए क्यों उपयोगी है? दृष्टि के लिए कौन-सा योग महत्वपूर्ण है? योग की आवश्यकता और महत्व क्या है? दृष्टि का अर्थ, Types of drishti, What is drishti, Drishti yoga, Meaning of drishti in hindi,  Yoga Drishti,  Bhrumadhya Drishti, Drishti in Ashtanga yoga, Drishti yoga meaning, Drishti definition, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई प्रश्न है। तो आप हमें कमेंट करें । हम गुरु महाराज के शब्दों में ही उत्तर देने का प्रयास करेंगे आप इस ब्लॉग का सदस्य बने। जिससे आने वाले पोस्टों की सूचना आपको नि:शुल्क ईमेल द्वारा सबसे पहले मिले।



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MS01-2-47 दृष्टि-साधन किसे कहते हैं || भारतीय योग विद्या में सर्वाधिक सिद्धि प्रदान करनेवाली साधना पर विशेष चर्चा  MS01-2-47  दृष्टि-साधन किसे कहते हैं || भारतीय योग विद्या में सर्वाधिक सिद्धि प्रदान करनेवाली साधना पर विशेष चर्चा Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/22/2021 Rating: 5

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