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शब्दकोष 23 || तरंग से तोहफा तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष/ त

     प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--

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सद्गुरु महर्षि में और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

तरंग - त्रिकुटी


तरंग ( सं ० , स्त्री ० ) = लहर , शब्द लहर । 

(तर = नीचे । P01 ) 

तरफ ( अ ० , स्त्री ० ) = ओर , दिशा , बगल , पक्ष । 

तरह ( अ ० , स्त्री ० ) =प्रकार , समान , जैसा , युक्ति , उपाय । 

(तरुणं = तरुण , युवा , युवक ।  P13 ) 

(तप्तं = तप्त , गरम । P13 ) 

तर्क - बुद्धि ( सं ० , स्त्री ० ) = विचार करनेवाली बुद्धि , सोच - विचार या निर्णय करनेवाली बुद्धि । 

तल्ली ( सं ० तल्ल , स्त्री ० ) = छोटा छोटा सरोवर , तली , नीचे , ताल , अन्दर । 

(त्रय = तीनों । P07 ) 

त्रय गुण ( सं ० , पुं ० ) गुण ; सत्त्व , रज और तम - प्रकृति के ये तीनों गुण । 

त्रय संग ( सं ० , पुं ० ) = तीनों के साथ । 

त्रयगुण मंडल ( सं ० , पुं ० ) = सत्त्व , रज और तम - प्रकृति के इन तीनों गुणों से जैसे स्थूल , सूक्ष्म , और मंडल ; कारण महाकारण - मंडल । 

त्रयगुणमयी ( सं ० वि ० स्त्री ० ) = सत्त्व , रज और तम - प्रकृति के इन तीनों गुणों से बनी हुई । ( स्त्री ० ) जड़ प्रकृति । 

त्रयगुण - रहित ( सं ० , वि ० ) = सत्त्व , रज और तम-- प्रकृति के इन तीनों गुणों से रहित, निर्गुण, अगुण । चेतन प्रकृति, आदिनाद, परमात्मा।

(तृपलाः  = सत्त्व, रज और तम; तीनों को पार करके जानेवाले या काम-क्रोधादि पर प्रहार करनेवाले या उनको वश में करनेवाले  । MS01-3 )  

(तान्  = ऐसे। MS01-2 )

ताल ( सं ० तल्ल , पुं ० ) = तालाब , सरोवर , ताली , झाँझ , मजीरा । 

(तारिका मंडल = तारा - मंडल , तारागण ।  नानक वाणी 53 )

(त्रास = भय , डर , अहित होने की संभावना से उत्पन्न दुःख । P09 )

(त्रास = भय । P04 ) 

(त्रि = तीन । P01 ) 

त्रिकुटी ( सं ० , स्त्री ० ) = वह स्थान जहाँ तीन पदार्थ एक साथ हों , शरीर के अन्दर का या आन्तरिक किसी ब्रह्माण्ड का एक वह दर्जा जहाँ उगा हुआ सूर्य दिखायी पड़ता है , वह स्तर जहाँ से सत्त्व और तम - इन तीन गुणों की उत्पत्ति हुई है , दोनों भौंहों के बीच शरीर के अन्दर का वह स्थान जहाँ इड़ा , पिंगला और सुषुम्ना इन तीनों नाड़ियों का मिलाप होता है , आज्ञाचक्रकेन्द्रविन्दु ,  दशम द्वार । 

(त्रिकुटी = तीन गुणों का मूलस्थान , जड़ात्मिका मूलप्रकृति । नानक वाणी 52 )

(त्रिपुटी = ज्ञाता - ज्ञेय- नान , ध्याता - ध्येय - ध्यान अथवा भक्ति - भक्त भगवन्त - जैसे परस्पर संबद्ध तीन पदार्थ अथवा इन तीनों का पारस्परिक अन्तर । P01 ) 

(त्रिपुटी कुटी = वह स्थान जहाँ तक ज्ञाता - ज्ञेय और ज्ञान - इन तीनों में अन्तर बना रहता है , कैवल्य मंडल । P01 ) 

(त्रिबिध करम = तीन प्रकार के कर्म - राजस , तामस और सात्त्विक अथवा मानसिक , वाचिक और कायिका ।  नानक वाणी 52 )

(तीजै = तज दीजिये , छोड़ दीजिये ; तीनों ।  P145 )

तीन अवस्था ( स्त्री ० ) = जाग्रत् , स्वप्न और सुषुप्ति | 

तीन बन्द ( पुं ० ) = आँख बन्द , मुँह बन्द और कान बन्द |

तुरीयावस्था ( सं ० , स्त्री ० ) = चौथी अवस्था ; जाग्रत् , स्वप्न और सुषुप्ति से भिन्न उच्च कोटि की अवस्था जो आन्तरिक ब्रह्माण्ड में प्रवेश करने पर होती है । 

(तुच्छ करि = तुच्छ (असार, व्यर्थ, बेकार, ओछे) पदार्थ की तरह ।P10 ) 

तुल्य ( सं ० , वि ० ) = बराबर , समान । 

तेउ ( वि ० ) वे भी । 

तेज ( सं ० , पुं ० ) = चमक , प्रकाश , अग्नि , प्रताप , दबदबा , पराक्रम , ओज , वह जीवनी शक्ति जिसके जगने पर मनुष्य किसी से दबता नहीं , वह सबको अपने प्रभाव में ले आता है ; परन्तु दूसरे के प्रभाव में वह नहीं आता , आत्मिक शक्ति । 

(तेज = प्रकाश । P04 ) 

(तेज ( फा ० ) = तीव्र | P145 )

(तेहु = से भी ।  P13 ) 

तोड़ना ( स ० क्रि ० ) = पदार्थ के टुकड़े कर देना । 

तोहफ ए बेनजीर ( पुं ० ) = अनुपम भेंट या उपहार । 

तोहफा ( अ ० , पुं ० ) उपहार , सौगात | 



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शब्दकोष 23 || तरंग से तोहफा तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 23  ||  तरंग  से  तोहफा   तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/13/2021 Rating: 5

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