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शब्दकोष 22 || टिकाकर से तमोगुण तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / ट+त

     प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--

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सद्गुरु महर्षि में और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

टिकाकर - तमोगुण 

ट 


(टारन = टालनेवाला , दूर करनेवाला , नष्ट करनेवाला । P30 )

टिकाकर ( हिं ० , पूर्वकालिक क्रिया ) = स्थिर रखकर , जमाकर । 

टिप्पणी ( सं ० , स्त्री ० ) = किसी विषय पर व्यक्त किया गया अपना संक्षिप्त विचार । 



डगर ( हिं ० , स्त्री ० ) = मार्ग , रास्ता । 

डीम ( पुं ० ) = आँख का गोला , पुतली । 

 


तकी ( अ ० वि ० ) = संयमी , इन्द्रिय - निग्रही , एक मुसलमान जिसे संत तुलसी साहब ने शिक्षा दी थी । 

तजना ( स ० क्रि ० ) = छोड़ना । 

तत्त्व ( सं ० , पुं ० ) = पदार्थ , वस्तु , अस्तित्ववान् पदार्थ । 

तत्त्व- दर्शन ( सं ० , पुं ० ) = आत्मतत्त्व या परमात्मतत्त्व का साक्षात्कार । 

तत्त्व - रूप ( सं ० , पुं ० ) = वास्तविक रूप , मूलरूप । 

तथा ( सं ० ) = इसी तरह , ऐसे ही , और । 

तथापि ( सं ० ) = फिर भी , तोभी । 

(तनधारि = शरीरधारी । P07

तनु ( पुं ० ) = तन , शरीर । 

(तप्तं = तप्त , गरम ।  P13 ) 

तम ( सं ० , पुं ० ) = अंधकार । P07

{तम - मोह = अज्ञान - अंधकार । ( तम = अंधकार । मोह = अज्ञानता । ) P04 }

{तरण = जो तर गया हो , जो पार हो गया हो , जो उद्धार पा गया हो । ( रामचरितमानस , उत्तरकांड में ' तारन तरन ' का प्रयोग देखें- " तारन तरन हरन सब दूषन । तुलसिदास प्रभु त्रिभुवन भूषन  " कहीं - कहीं सन्तों ने तारण और तरण - दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग ' उद्धार करनेवाला ' के अर्थ में भी किया है । ) P04 }

(तारण = तारनेवाला , पार करनेवाला , उद्धार करनेवाला । P04 ) 

(तामस विषय = वह विषय ( पदार्थ ) जो तमोगुण की वृद्धि करे । P13 ) 

(तुछ = तुच्छ , व्यर्थ , बेकार । P13 ) 

तमोगुण ( सं ० ,  पुं ० ) = प्रकृति का एक गुण या शक्ति जो विनाश का काम करती है।


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     प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इनके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इस पोस्ट में  टीकाकर, टिप्पणी, डगर, डिम, तकी, तजना, तत्व, तत्व-दर्शन, तत्व-रूप, तथा, तथापि, तनु, तम, तमोगुण  आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । हमें विश्वास है कि इसके पाठ से आप संतमत को सहजता से समझ पायेंगे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


हर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष


शब्द कोस,
 

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शब्दकोष 22 || टिकाकर से तमोगुण तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 22  ||  टिकाकर  से  तमोगुण  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/13/2021 Rating: 5

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