शब्दकोष 26 || ध्यानाभ्यास से नशा तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन
महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / ध
महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष
ध्यानाभ्यास - नशा
ध्यानाभ्यास ( सं ०, पास) = देखे हुए इष्टदेव के स्थूल रूप को अपने मानस पटल पर ज्यों - का त्यों उगाने का प्रयास करना ।
ध्येय ( सं ० , वि ० ) = ध्यान करने के योग्य । ( पुं ० ) वह जिसका ध्यान किया जाए ।
ध्येय तत्त्व ( सं ० , पुं ० ) = वह तत्त्व ( प्राणी या पदार्थ ) जिसका ध्यान करने का अभ्यास किया जाए ।
ध्रुव निश्चित ( सं ० , वि ० ) = धुव तारे की तरह अटल , बिल्कुल सत्य ।
ध्रुव - संभव ( सं ० , वि ० ) = ध्रुव - निश्चित , ध्रुव तारे की तरह अटल - स्थिर । ( पुं ० ) बिल्कुल सत्य बात ।
ध्वनित ( सं ० , वि ० ) = ध्वनि - युक्त , शब्दायमान ।
ध्वनि - धार ( स्त्री ० ) = शब्द की धारा ।
(ध्वनियोग = शब्दयोग । P07 )
(ध्वनि राम = राम ध्वनि , रामनाम , सर्वव्यापक ध्वनि , आदिनाद जो समस्त प्रकृति - मंडलों में फैला हुआ है । ( राम व्यापक ) P05 )
ध्वन्यात्मक अनाहत आदिशब्द ( सं ० , पुं ) = सृष्टि के पूर्व परमात्मा से उत्पन्न वह शब्द जो ध्वनिमय है और किसी पदार्थ के कंपन का फल नहीं है ।
ध्वन्यात्मक शब्द ( सं ० , पुं ० ) वह शब्द जिसके अक्षरों का पता नहीं लग सके कि वह किस - किस अक्षर के मेल से बना हुआ है , जो शब्द अक्षरों से नहीं , ध्वनि से बना हुआ हो ; जैसे पशु - पक्षी की आवाजें , किसी वाद्य यंत्र आदि की आवाजें ।
न
नकल ( अ ० , स्त्री ० ) = अनुकरण ।
नगाड़ा ( फा ० नक्कारः , पुं ० ) = डुगडुगी की तरह का एक बड़ा बाजा ।
नचावनिहारे ( हिं ० , वि ० ) = नचानेवाले ।
{नजर निहाल ( अरबी - फारसी ) = दृष्टि डालकर सभी इच्छाओं को पूर्ण कर देनेवाला या खुशहाल कर देनेवाला । P03 }
नजात ( अ ० , स्त्री ० ) = मुक्ति , छुटकारा ।
नट ( सं ० , पुं ० ) = नाचनेवाला , स्वाँग करनेवाला ।
नटी ( वि ० स्त्री ० ) = नाचनेवाली ।
(नदरि = नजर , दृष्टि। नानक वाणी 52 )
(नन = बिना । नानक वाणी 53 )
नफीरी ( फा ० , स्त्री ० ) = तुरही , शहनाई , एक प्रकार का लंबा बाजा जो मुँह से फूँककर बजाया जाता है , बाँसुरी की तरह का एक बाजा ।
(नमामी = नमामि , प्रणाम करता हूँ । P13 )
नमूना ( फा०, पुं० ) = उदाहरण ।
(नमो = नमः , नमस्कार , प्रणाम । P03 )
नम्रता ( सं० , स्त्री ०) = नम्र होने का भाव, झुक कर रहने का भाव, अहंकार-रहित होकर रहने का भाव।
(न व्यक्त है = जो इन्द्रियों के ग्रहण में आनेयोग्य पदार्थों में से कुछ भी नहीं है । P06 )
नशा ( अ ० नश्शः , पुं ० ) = बीड़ी , सिगरेट , शराब आदि कोई नशीला पदार्थ , वह मानसिक अवस्था जो नशीले पदार्थ के सेवन से होती है।
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