महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / न
महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष
नियमित - निर्मल
नियमित ( सं ० वि ० ) = नियमपूर्वक , नियम के साथ , नियम से बँधा हुआ ।
निरंजन ( सं ० वि ० ) = अंजन रहित , माया - रहित ।
( निरन्तरि = निरंतर , लगातार , एक समान , बिना अवकाश छोड़े ।नानक वाणी 03 )
(निरत= संलग्न ; यहाँ अर्थ है संलग्नता । ( सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ने अपनी पुस्तक ' सन्तवाणी सटीक ' में सन्तवाणियों में आये ' निरत ' का अर्थ प्रायः संलग्नता ही किया है । ) P01 )
निराकार ( सं ० वि ० ) = आकार रहित , रूप - रहित , स्थूल दृष्टि और सूक्ष्म दृष्टि से भी नहीं दिखलायी पड़नेवाला ( पुं ० ) जो पदार्थ स्थूल दृष्टि और सूक्ष्म दृष्टि से भी दिखलायी नहीं पड़े ।
(निरास = निराशा , सांसारिक पदार्थों से सुख पाने की इच्छा न रखना । श्रीचंदवाणी 1क )
निरीह ( स ० वि ० ) इच्छा - रहित , चेष्टा रहित , क्रिया - रहित ।
निरुपाधिक ( सं ० , वि ० ) = उपाधि -रहित , गुण - रहित , त्रयगुण रहित , निर्गुण , बाधा - रहित , माया - रहित ।
निरोध ( सं ० , पुं ० ) = रोक . रुकावट , नियंत्रण ।
(निर्गुण = गुण - रहित , जो त्रय गुणों ( सत्त्व , रज और तम ) सं विहीन हो , चेतन प्रकृति । P01 )
निर्गुण अनामी ( सं ० , वि ० ) = जो त्रय गुण - रहित और शब्द - विहीन हो । ( पुं ० ) परम प्रभु परमात्मा ।
निर्गुण - उपासक ( सं ० वि ० ) = त्रयगुण रहित आदिशब्द का ध्यानाभ्यास करनेवाला , त्रयगुण रहित परमात्मा की उपासना या भक्ति करनेवाला ।
निर्गुण - उपासना ( सं ० , स्त्री ० ) = त्रयगुण - रहित आदिशब्द का ध्यानाभ्यास , जयगुण - रहित परमात्मा की भक्ति ।
निर्गुण नाद ( सं ० , पुं ० ) = वह ध्वन्यात्मक शब्द जो त्रय गुणों से विहीन है , सारशब्द , आदिनाद ।
निर्गुण नाम ( सं ० , पुं ० ) = परमात्मा का त्रयगुण रहित ध्वन्यात्मक नाम , सारशब्द , ओंकार , आदिनाद ।
निर्गुण - निराकार ( सं ० , वि ० ) = त्रय गुण रहित और आकार ( रूप ) रहित । ( पुं ० ) सारशब्द , आदिनाद , परमात्मा ।
निर्गुण निराकार - उपासना ( सं ० , स्त्री ० ) = सारशब्द का ध्यान । ( ध्वन्यात्मक सारशब्द त्रयगुण रहित और रूप - रहित है । )
निर्गुण ब्रह्म ( सं ० , पुं ० ) = त्रय गुण - रहित चेतन प्रकृति मंडल में व्याप्त परमात्म - अंश , निर्गुण शब्दब्रह्म , आदिनाद , परमात्मा।
निर्गुण रामनाम ( सं ० , पुं ० ) = त्रय गुण - रहित सर्वव्यापक शब्द , आदिशब्द ।
निर्गुण रूप ( सं ० , पुं ० ) = वह रूप जो त्रय गुण - विहीन हो ।
निर्णय ( सं ० , पुं ० ) = फैसला , तय , बुद्धि विचार के द्वारा निश्चित की गयी कोई बात ।
निर्मल ( सं ० , वि ० ) = मल - रहित , शुद्ध ।
(निर्मल ( नि : + मल ) = मल - रहित , पवित्र , पवित्र करनेवाला । P139 )
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