संतमत+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / इ-ई
इति - ईश्वर शब्द तक के शब्द और उसके अर्थ
इति - ईश्वर
इ+ई
इति ( सं ० , स्त्री ० ) = पूर्णता , समाप्ति । ( अव्यय ) यह, इस प्रकार ।
इन्द्रिय ( सं ० , स्त्री ० ) = शरीर का वह अंग या अवयव जिससे प्राणी कोई काम करता है या सांसारिक विषय का ज्ञान प्राप्त करता है ।
(इन्द्रिय = कर्मेन्द्रियाँ और ज्ञानेन्द्रियाँ । P06 )
इन्द्रिय - मंडल ( सं ० , पुं ० ) = शरीर के अन्दर वह स्थान जहाँ तक जीवात्मा इन्द्रियों के साथ रहता है , वह स्थान जहाँ तक कोई इन्द्रिय अपना काम कर सकती है । ( त्रिकुटी या कारण मंडल तक इन्द्रिय मंडल है । )
इन्द्रियातीत ( सं ० वि ० ) = इन्द्रिय से या इन्द्रिय - ज्ञान से बाहर , इन्द्रिय के ग्रहण में नहीं आनेवाला ।
इम्पार्ट ( अँ ० , स ० क्रि ० ) = प्रदान करना ।
इम्ब्रेस ( अँ ० स ० क्रि ० ) छाती से लगाना ।
इश्क ( अ ० पुं ० ) प्रेम , मुहब्बत ।
इष्ट ( सं ० वि ० ) = इच्छित , मनचाहा । ( पुं ० ) वह जिसको हम प्राप्त करना चाहते हैं , वह जिसका हम ध्यान करते हैं ।
इष्टदेव ( सं ० , पॅ ० ) = देवता के समान आदरणीय पूजनीय इष्ट |
ईश्वर ( सं ० , पॅ ० ) परमात्मा का वह अंश जो किसी स्थान विशेष तक ही अपना प्रभुत्व ( शासन , मालिकपना , स्वामित्व या अधिकार ) रखता हो ।
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