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LS61 शिक्षाप्रद कथाएँ || मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, शान्तिपूर्ण जीवन-यापन की शिक्षायुक्त १९७ कथाओं का संकलन

शिक्षाप्रद कथाएँ

      'शिक्षाप्रद कथाएँ'  लालदास साहित्य सीरीज की 61 पुस्तक है। इसमें आदरणीय बाबा श्रीछोटेलाल दासजी की डायरी से ली गयी । 197 मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, शान्तिपूर्ण ढंग से जीवन-यापन की शिक्षायुक्त कथाएँ इस पुस्तक में मिलेंगी । ये कथाएँ हमें संसार में अच्छे ढंग से जीने की कला सिखाती हैं ।हिंदी की छोटी व शिक्षाप्रद मज़ेदार लोक कथाएं, सहायक लोक कथाएं, दांत कथाएं, छत्तीसगढ़ी लोक कथा-कहानी, भूतिया कहानी, भूत की मनोरंजक कहानियाँ इत्यादि की भी कुछ झलक देखने को मिलेगी.


शिक्षाप्रद कथाएँ

मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, शान्तिपूर्ण जीवन-यापन की शिक्षायुक्त १९७ कथाओं का संकलन  

    प्रभु प्रेमियों  ! आख्यान , आख्यायिका , किसी के जीवन से संबंधित प्रसंग को कथा , कहानी या किस्सा कहते हैं । कथा मनोरंजक भी हो सकती है और ज्ञानवर्धक तथा शिक्षाप्रद भी । कथा पढ़ने - सुनने की रुचि बच्चे से लेकर बूढ़े तक — सबमें देखी जाती है । यही कारण है कि कथाओं की पुस्तकें समाज में अधिक बिका करती हैं । ' शिक्षाप्रद कथाएँ ' नाम्नी प्रस्तुत पुस्तक में १ ९ ७ कथाओं का संकलन किया गया है । ये सभी कथाएँ उत्तम ज्ञान और उत्तम शिक्षा देनेवाली हैं । इनके ज्ञान और शिक्षा को जीवन में अपनाकर हम संसार में शान्तिपूर्ण ढंग से जीवन यापन कर सकते हैं । दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि ये कथाएँ हमें संसार में अच्छे ढंग से जीने की कला सिखाती हैं ।

     अधिक क्या कहा जाए निम्नांकित चित्र में इस पुस्तक का आप स्वयं अवलोकन करें और हृदय को जंच जाए तो इसे ऑनलाइन मंगा कर अपने ज्ञान कोष की अधिकाधिक वृद्धि करें।

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* शिक्षाप्रद कथाएँ ॥ 

कथा - सूची ॥ 


क्रम संख्या  व कथा शीर्षक

१. लोभ का कारण ( निन्यानबे का फेर )   २. भक्तवत्सल भगवान् - ३. नकली भाव काम नहीं आता - ४. संपत्ति साथ नहीं जाएगी ५. ब्रह्ममुहूर्त की महिमा - ६. केवल विश्वास चाहिए - ७. अहंकार तथा दिखावट से पुण्य नष्ट ८. जो निष्पाप हो , वह पत्थर मारे - ९ . निन्दा की प्रशंसा -  १०. बुरे काम में देर करनी चाहिए - ११. जहाँ मन , वहीं हम - १२. धन का परिणाम - हिंसा - १३. अक्रोधेन जयेत् १४. दूसरों के दोष मत देखो - १५. सच्ची पतिव्रता जयदेव की पत्नी - १६. सच्ची क्षमा - १७. सबसे बड़ा दान अभयदान १८ दो निःसंतान स्त्रियों की कथा - १ ९ . अन्त मति सो गति -  २०. लगन हो , तो सफलता निश्चित है - २१. संसर्ग से गुण - दोष २२. दुर्जन- संग का फल - २३. जैसा संग , वैसा रंग - २४. सत्संग का लाभ - २५. ईश्वर सब जगह व्याप्त हैं २६. गुरु - उपदेश सदैव कल्याणकारी २७. क्षमाशील संत - २८. साधना में धैर्य चाहिए - २ ९ . थंभ शाह की कथा - कार ३०. बड़ा लालची ही बड़ा गरीब ३१. सोने का लालची राजा ३२. भक्त राँका बाँका - ५३. दया पात्र नहीं ढूँढ़ती ५४. विचार - शक्ति - ३३. अमूल्य जीवन बर्बाद मत करो - ३४. आगे की व्यवस्था अभी कर लो - ३५. मन पर काबू पाने की सहज युक्ति ३६. जैसा खाय अन्न , वैसा होय मन ३७. अज्ञानी भंगी - ३८. केवल कथनी से काम नहीं चलेगा   ३९ . आये थे हरिभजन को , ओटन लगे कपास - ४० संसार का मिथ्यात्व - ४१. सत्य संकल्प ४२. प्रभु- विश्वासी राजकन्या ४३. एक बहुरूपिये ने संन्यासी का स्वाँग दिखाया ४४. संत - दर्शन की महिमा -  ४५. विषय - भोगों की तृष्णा शांत नहीं होती - आशी ४६. सांसारिक प्रेम का ४७. साथ कुछ नहीं जाता    ४८. सच्ची श्रद्धा का चमत्कार - ४ ९ . लालची बंदर ५०. स्वामी शिवरामकिंकर योगत्रयानन्दजी ५१. ईर्ष्या का परिणाम - ५२. अज्ञानता विनाश का कारण - - ५५. बस्ती किधर है ५६. मूँछ की लड़ाई - ५७. नियम पालन का लाभ ५८. परमात्मा इन्द्रियगोचर नहीं - ५९ . परमात्मा और जीवात्मा में भेद - ६०. सत्यवादी की वाणी में सिद्धि ६१. सत्संग का माहात्म्य - ६२. प्रेमी को जान से मारने का विलक्षण उपाय - ६३. क्षमा ने दुर्जन को सज्जन बनाया ६४. तुकारामजी की शान्ति   ६५. संध्या का भय - ६६. ईश्वर के विधान पर विश्वास ६७. संयम मनुष्य को महान् बनाता है ६८. दुःख का कारण भ्रम ६ ९ . संत - वचन का प्रभाव - ७०. हृदय की शुद्धि कैसे हो ७१. अद्भुत गुरु ७२. हठयोग समाधि ७३. चाह गई चिन्ता मिटी ७४. जब भेदी लीजै साथ ७५. कर्म बंधन - ७६. अद्भुत पितृभक्ति ७७. उधरहिं अंत न होइ निबाहू ७८. पाप का फल भोगना ही पड़ता है ७ ९ . मनुष्य की खोपड़ी भी कहीं भरती है ? ८ ०. रविदास का चरणामृत - ८१. तिस्स स्थविर की अंतिम गति ८२. मोह सकल व्याधिन्ह कर मूला ८३. गाली कहाँ जाएगी - ८४. दुर्वासा और गोपियाँ ८५. तिरु वल्लुअर - ८६. धरती का रस ८७. वचन फलित होना ८८. तुलाधार - ८ ९ . सत्य व्यवहार की महिमा ९ ० . माँ का ममत्व ९ १ . नारदजी का अभिमान तोड़ा जाना - ९ २ . यत्र आशा , तत्र बासा ९ ३ . विश्वास का फल ९ ४ . गलत सजा देना ९ ५ . गृहिणी ने साधु से उपदेश माँगा - ९ ६ . जाके राखे साइयाँ , मारिन सकिहैं कोय ९ ७ . श्वपच मुनि ९ ८ . मनष्य की ९९ क्रोध मत कर १०७ हृदय में नारायण खोपड़ी १० ९ . सच्चा शिष्य १०२. शक्ति है इसमें १०३. शिष्य को डाँट १०४. लालो का सत्संग १०५. यथार्थ साधु १०६. यही माया है - १०७. रज्जब तैं गज्जब किया - १०८. राजा श्वेत का उद्धार - १० ९ . गुरु - गद्दी किसे ? ११०. मेहनत की रोटी - - १११. भगवान् श्रीकृष्ण की माया - ११२. विषयों की दुर्गन्ध ११३. दुर्दिन की जाँच ११४. विषयों में सुख कहाँ ! ११५. गुरु मिलने की प्रसन्नता ११६. सहनशक्ति की महिमा - ११७. अन्न का प्रभाव - ११८. हितभुक , मितभुक् और ऋतभुक् - ११ ९ . नम्र बनो , कठोर नहीं ( १२०. सिद्धि का मूल्य केवल चार आने १२१. सच्चे गुरु की पहचान १२२. धीरे - धीरे रे मना - १२८. आदमी का मूल्यांकन १२ ९ . खलीफा का तर्क १२३. प्रभु - भजन में तन्मयता - १२४. प्रभु जो करते हैं , अच्छा ही करते हैं १२५. जिन खोजा तिन पाइयाँ - १२६. पहले अपनी आदत छोड़ो १२७. संन्यास और पोशाक १३०. समस्या का हल १३१. ईश्वर भक्ति की लौ १३२. भगवद्भक्ति की श्रेष्ठता १३३. विचित्र दण्ड १३४. शरीर और आत्मा १३५. राजा को बोध - - - १३६. स्वावलम्बन १३७. असामान्य भिक्षु को असामान्य भिक्षा - १३८. दान और महान् सूर्य - १३ ९ . भजन - पूजन का प्रयोजन १४०. मनुष्य और पशु - १४१. सेवा और श्रम की महिमा १४२. चोट कहाँ लगनी चाहिए १४३. तन्दुरुस्ती का रहस्य १४४. सबसे बड़ा धनी - १४५. बुराई की जड़ काटो १४६. सच्ची सम्पदा १४७ , मन की महिमा १४८. लालच का नतीजा १४ ९ . संत का हृदय - १५०. सच्चा साधु अपना पराया १५१ . १५२. माँ ! मैं संन्यासी बनूँगा १५३. अनुपम बलिदान १५४. पसीने की कमाई का आनंद १५५. बिना सेवा के विद्या नहीं १५६. हम सब चोर हैं १५७. समर्पण - १५८. लुकमान की ऊँचाई १५ ९ . सच्ची मित्रता - - - १६०. प्रतिज्ञा १६१. उद्बोधन १६२. मानव सेवा का मूल्य १६३. सज्जनता और दुर्जनता १६४. हिंसा का डर - १६५. प्राणदाता का अधिकार १६६. अहंकार का भेद १६७. अहिंसा की बुनियाद १६८. कोई बेगाना नहीं १६ ९ . कीमती दुशाला १७० ययय  १७१. ययय १७२. संत की महिमा 
 लोभ से पुत्र शोक १७३. लोभ और पराक्रम मैं नहीं हूँ बगुला १७४. ययाति - १७५ अगस्त्य मुनि १७६. देवर्षि नारद - १७७. पाप का बाप १७८. सत्संग का प्रभाव - १७ ९ . सत्तर बार चबूतरे बनाये और गिराये १८०. आनंद का रहस्य १८१. अहंकार का परिणाम - १८२. दूसरों पर निर्भर रहने का फल १८३. ईश्वर की सर्वशक्तिमत्ता का अनुभव करना - १४२. दूसरों पर निर्भर रहने का फल १८३. ईश्वर की सर्वशक्तिमत्ता का अनुभव करना १८४. व्यर्थ खोज - - १८५. हीरा और जौहरी १८६. रास्ते का खर्च ले लो २८७ पाप कर्म बहुत काल तक पीछा करता है १८८ , सत्संग से सात दिन की आयु एक सौ बीस वर्ष में परिवर्तित १८ ९ . गोपीचन्द को माँ की शिक्षा - १ ९ ० . अनाथ बालक ईश्वर - कृपा से सर्वश्रेष्ठ वैद्य १ ९९ . लोभ प्राणघातक - १ ९ २ . अंगद देव की संगति से अमर दासजी गुरु बन गये - १ ९ ३ . कुसंगति से पुत्र माता - पिता का भी शत्रु बन जाता है १ ९ ४ . मोह का बंधन लोहे के बंधन से भी मजबूत १ ९ ५ . अंगुलिमाल - १ ९ ६ . अणिमाण्डव्य की कथा - १ ९ ७ . ईश्वर सदा और सर्वत्र है ।

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LS61 शिक्षाप्रद कथाएँ || मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, शान्तिपूर्ण जीवन-यापन की शिक्षायुक्त १९७ कथाओं का संकलन  LS61 शिक्षाप्रद कथाएँ || मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, शान्तिपूर्ण जीवन-यापन की शिक्षायुक्त १९७ कथाओं का संकलन  Reviewed by सत्संग ध्यान on 7/20/2022 Rating: 5

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