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शब्दकोष 45 || संभाल से सगुण ब्रह्म तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / स

     प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--.

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सद्गुरु महर्षि मेंंही परमहंसजी महाराज और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

संभाल - सगुण ब्रह्म

 

सँभाल ( स्त्री ० ) = रक्षा , हिफाजत । 

(संकट = विपत्ति , आफत , दुःख , कष्ट । P30 )

संकेत ( सं ० , पुं ० ) = इशारा । 

संग ( सं ० , पँ ० ) = साथ । 

संत ( सं ० , पुं ० ) = वे महापुरुष जिन्होंने शान्ति प्राप्त कर ली है । 

संतमत ( सं ० , पुं ० ) = संतों का मत , संतों के विचार , संतों के सिद्धान्त या ज्ञान । 

संतमत सत्संग ( सं ० , पुं ० ) = संतों के विचारों के आधार पर होनेवाला सत्संग । 

संतमत - सत्संग - महासभा ( सं ० , स्त्री ० ) = एक संस्था जो संतों के विचारों पर आधारित सत्संग का प्रचार करती है , इसका मुख्यालय महर्षि मँहीँ आश्रम , कुप्पाघाट , भागलपुर है ।  

संतुष्ट ( सं ० , वि ० ) = संतोष - युक्त , अच्छी तरह प्रसन्न । 

संतोष ( सं ० , पुं ० ) = न्यायपूर्वक की गयी कमाई से जीवन निर्वाह करते हुए प्रसन्न रहना । 

संदोह ( सं ० , पुं ० ) = समूह , भंडार , खानि । 

संधि ( सं ० , स्त्री ० ) = मिलाप , मिलन , मिलन स्थल । 

संधि - विन्दु ( सं ० , पुं ० ) = वह विन्दु जो दो पदार्थों के मिलन स्थान पर हो । 

संबंध ( सं ० , पुं ० ) = लगाव , सम्पर्क ।

संबंधित ( सं ० , वि ० ) = अच्छी तरह जुड़ा हुआ या बँधा हुआ , संबंध रखनेवाला , संबंध - युक्त । 

संभव ( सं ० , वि ० ) = जो हो सकता हो , हो सकनेवाला ।

संलग्न ( सं ० , वि ० ) = अच्छी तरह लगा हुआ । 

(संलग्न हो = अच्छी तरह लगा हुआ रहकर, तत्परतापूर्वक , मुस्तैदी के साथ । P07 ) 

संशय ( सं ० , पँ ० ) = सन्देह , शंका , अज्ञानता , किसी पदार्थ के विषय में निश्चित रूप से यह नहीं कह पाना कि वह अमुक पदार्थ ही है । 

संस्कार ( सं ० , पुं ० ) = मन पर पड़ी हुई छाप जो बारंबार कोई काम करने पर बनती है । 

(संसृतं = संसृति , संसार , आवागमन ।  P13 ) 

(संसृति = संसार , जन्म - मरण । P04 ) 

(स = साथ , सहित , गुप्त । P01 ) 

(सकल = सब । P04 , P03 

(सृजित = रचित , जो रचा गया हो , जो बनाया गया हो । P06 ) 

सगुण ( सं ० , वि ० ) = गुण - सहित , गुणवान् ; सत्त्व , रज और तम प्रकृति के इन तीनों गुणों से युक्त । ( पुं ० ) जड़ प्रकृति।

(सगुण = त्रय गुणों से बना हुआ , जड़ात्मक प्रकृति मंडल । P30 )

(सगुण =  . त्रय गुण - सहित , . त्रय गुणों से बना हुआ , जड़ प्रकृति मंडल । सत् जो अविनाशी या अपरिवर्तनशील है , चेतन प्रकृति । P01 ) 

{सगुण ( स + गुण ) = जो त्रयगुणों से युक्त है , जो  त्रयगुणों से बना हुआ है , जड़ प्रकृति । P06 }

सगुण प्रकृति ( सं ० , स्त्री ० ) = त्रय गुणों से बनी हुई प्रकृति , जड़ प्रकृति ।  

सगुण ब्रह्म ( सं ० , पुं ० ) = परमात्मा का वह अंश जो त्रय गुणों से बने शरीर में या जड़ प्रकृति के किसी भाग में व्याप्त हो , राम  कृष्ण आदि अवतारी पुरुष,  परमात्मा का जो अंश त्रय गुणों से बने पदार्थों ( पिंड- ब्रह्मण्डों या जड़ात्मक प्रकृति-मंडलों में व्यापक हो।


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     प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इनके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इस पोस्ट में  संभाल, संकेत, संग, संत, संतमत, संतमत-सत्संग, संतमत-सत्संग-महासभा, संतुष्ट, संतोष, संतोह, संधि, संधि-बिंदु, संबंध, संबंधित, संभव, संलग्न, संशय, संस्कार, सगुण, सगुण प्रकृति, सगुण ब्रह्म आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । हमें विश्वास है कि इसके पाठ से आप संतमत को सहजता से समझ पायेंगे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


हर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष


शब्दकोष, लेखक संतमत के वेद व्यास पूज्य पाद बाबा लाल दास जी महाराज
 

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शब्दकोष 45 || संभाल से सगुण ब्रह्म तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 45  ||  संभाल  से  सगुण ब्रह्म  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/14/2021 Rating: 5

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