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शब्दकोष 49 || सहजावस्ता से सारंगी तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / स

     प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--

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सद्गुरु महर्षि मेंंही परमहंसजी महाराज और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

सहजावस्ता - सारंगी

 

सहजावस्था ( सं ० , स्त्री ० ) = सहज समाधि की अवस्था , वह स्वाभाविक अवस्था जिसमें जीव परमात्मा से = मिलकर एक - ही - एक हो जाता है । 

सहस्रदल कमल ( सं ० , पुं ० ) भीतरी ब्रह्माण्ड का एक दर्जा जहाँ उगा हुआ चन्द्रमा दिखलायी पड़ता है ।  

(सहाई = सहाय , सहायक , दयालु , सहारा देनेवाला । अकाशा - आकाश , अंदर का आकाश , ब्रह्मांड  । P09 ) 

सहारा ( हिं ० , पुं ० ) = आसरा ,भरोसा , सहायता , मदद ।

सहित ( सं ० , क्रि ० वि ० ) = साथ , संग ।  

साकार रूप ( सं ० , पुं ० ) = कोई आकार रखनेवाला पदार्थ जो स्थूल या सूक्ष्म दृष्टि से देखा जा सके । 

साखी ( स्त्री ० ) = एक प्रकार का छन्द , दोहा जिसे कुछ संतों ने ' साखी ' भी कहा है । 

सात्त्विक गुण ( सं ० , पुं ० ) = दैविक गुण , उत्तम गुण , दैवी सम्पदा ; जैसे निर्भयता , दया , क्षमा आदि । 

साधक ( सं ० , वि ० ) = साधना करनेवाला , अभ्यास करनेवाला , कोई काम करने का प्रयत्न करनेवाला । 

साधन ( सं ० , पुं ० ) = कुछ पाने का माध्यम , कोई काम करने का प्रयत्न या उपाय , वह पदार्थ जो कुछ प्राप्त कराने में सहायक बने , साधना । 

साध्य ( सं ० , वि ० ) = साधनेयोग्य , प्राप्त करनेयोग्य , जिसकी प्राप्ति के लिए साधना की जाए , इष्ट , लक्ष्या  । 

सान्त ( सं ० , वि ० पुं ० ) - अन्त सहित , कहीं - न - कहीं आदि , मध्य और अन्त रखनेवाला , हददार , सीमा रखनेवाला । ( पुं ० ) सीमा रखनेवाला पदार्थ , सीमित पदार्थ । 

{सान्त ( स + अन्त ) = जिसके आदि - अन्त हों , सीमा - सहित , ससीम , सीमा रखनेवाला पदार्थ , हददार चीज । P01 }

(सापेक्ष = अपेक्षा साहित , जो कोई चाहना रखता हो . जिसे कोई आवश्यकता हो , जो किसी दूसरे पर आधारित हो , जो अपने आपमें स्वतंत्र नहीं - दूसरे के अधीन हो , जो किसी से प्रभावित होता हो , जो किसी की तुलना में किसी प्रकार का हो , जिसका किसी के साथ आनुपातिक संबंध हो । P01 ) 

(सापेक्षता के पार में = जो सापेक्ष नहीं है , जो परस्पर सापेक्ष भावों या पदार्थों में से भी नहीं कहा जा सकता ( सापेक्षता सापेक्षा होने का भाव । P01 ) 

साफ ( अ ० वि ० ) = स्वच्छ , निर्मल , स्पष्ट , उजला । 

साफ - साफ ( अ ० , क्रि ० वि ० ) = एकदम स्पष्ट रूप से ।

साम्यावस्थाधारिणी प्रकृति ( सं ० , स्त्री ० ) = सम अवस्था को धारण करके रहनेवाली प्रकृति , वह जड़ात्मिका मूल प्रकृति जो सदा सम अवस्था में रहती है , जो विक्षुब्ध या हलचल की अवस्था में नहीं रहती है , जिसमें त्रय गुण समान - समान मात्रा में रहते हैं , जो प्रकृति संतुलित रहती है , महाकारण मंडल । 

सायंकाल ( सं ० , पुं ० ) = सूर्य के अस्त होने के बाद का समय , शाम । 

सार ( सं ० , पुं ० ) = मुख्य बात , असली बात । ( वि ० ) सारभूत , असली । 

सारंगी ( स्त्री ० ) = एक प्रसिद्ध बाजा जिसमें लगे हुए तार कमानी से रगड़कर बजाये जाते हैं ।


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     प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इनके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इस पोस्ट में  शाहजाबस्ता, सहस्त्रदल कमल, सहारा, सहित, साकार रूप, साखी, सात्विक गुण, साधक, साधन, साध्य, सांत, साफ, साफ-साफ, साम्यावस्थाधारिणी प्रकृति, सायंकाल, सार, सारंगी, आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । हमें विश्वास है कि इसके पाठ से आप संतमत को सहजता से समझ पायेंगे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


हर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष


शब्दकोष, लेखक संतमत के वेद व्यास पूज्य पाद बाबा लाल दास जी महाराज
 

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शब्दकोष 49 || सहजावस्ता से सारंगी तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 49 || सहजावस्ता से सारंगी  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/15/2021 Rating: 5

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