संतमत+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / स
सारतत्व - सुरतशब्दयोग शब्द तक के शब्द और उसके अर्थ
सारतत्व - सुरतशब्दयोग
सारतत्त्व ( सं ० , पुं ० ) = सारभूत तत्त्व , वह तत्त्व जो किसी पदार्थ की स्थिति का कारण हो ।
सारधार ( स्त्री ० = सारशब्द की धारा , निर्मल चेतन शब्द ।
सारशब्द ( सं ० , ) = वह शब्द जो सृष्टि का सारतत्त्व है , वह शब्द जिससे सृष्टि हुई है और जिसके निकल जाने पर सृष्टि नष्ट हो जाती हैं , आदिनाद ।
साराधार ( सं ० , पूँ ० ) = सारतत्त्व और आधार , जो किसी पदार्थ का सारतत्त्व और उसके अस्तित्व का कारण हो ।
साहब ( अ ० , पुं ० ) = मालिक स्वामी , परमात्मा ।
सिंगी ( पुं ० ) = सींग का बनाया हुआ एक बाजा जो फूँककर बजाया जाता है ।
सितार ( फा ० , पुं ० ) = एक प्रसिद्ध बाजा जो उसके तारों को उँगली से झनकारने पर बजता है ।
सिद्क ( अ ० , पुं ० ) = सच्चाई , सत्यता ।
सिद्ध ( सं ० , वि ० ) = सिद्धि प्राप्त किया हुआ , पका हुआ , प्रमाणित , सत्य ठहराया हुआ ।
सिफ़त ( अ ० , स्त्री ० ) = गुण , विशेषता , लक्षण ।
सिफ़ात ( अ ० ) = ' सिफ़ात ' का बहुवचन , गुण - समूह ।
सिफ़ाती ( अ ० , वि ० ) = गुण संबंधी , विशेषता - संबंधी ।
सिफ़ाती नाम ( अ ० सं ० , पुं ० ) = गुण बतानेवाला नाम । ( परमात्मा के वर्णात्मक नाम उसके सिफ़ाती नाम हैं ; जैसे सर्वेश्वर , परब्रह्म परमेश्वर आदि । )
सिमटाव ( हिं ० , पुं ० ) = सिमटने का भाव , एकाग्र होने का भाव , सिकुड़ने या संकुचित होने का भाव , फैली हुई वृत्तियों के एक जगह जमा होने का भाव ।
सीमा ( सं ० , स्त्री ० ) = घेरा , परिधि , हृद ।
सील = शील , सत्य और नम्र व्यवहार । (श्रीचंद वाणी)
सुगम ( सं ० , वि ० ) = आसान , सरल , जहाँ जाना आसान हो ।
सुजान = सुंदर ज्ञानवाले , संत । (श्रीचंद वाणी)
सुनाम ( सं ० , पुं ० ) = सुन्दर नाम ।
सुन्न ( हिं ० , पुं ० ) = शून्य , आन्तरिक ।
सुपैद = उजला , ब्राह्मण । (श्रीचंद वाणी)
सुर ( सं ० , पुं ० ) = देवता । ब्रह्माण्ड का एक दर्जा ।
सुरखाई = सुर्ख , लाल , क्षत्रिय । (श्रीचंद वाणी)
सुरत ( हिं ० , स्त्री ० ) = चेतन - आत्मा , चेतन वृत्ति , चेतन तत्त्व जिसके आधार पर शरीर जीवित रहता है और शरीर से जिसके निकल जाने पर शरीर मृतक हो जाता है ।
सुरतशब्दयोग ( पुं ० ) = ऐसी यौगिक क्रिया जिसमें शरीर के अन्दर होनेवाली अनहद ध्वनियों के बीच सारशब्द में सुरत को जोड़ने का अभ्यास किया जाता है , नादानुसंधान ।
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