शब्दकोष 51 || सुरीला से सूर्ख तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णनशब्दकोष 51 || सुरीला से सूर्ख तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन
महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष/ स
महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष
सुरीला - सूर्ख
(सूरत = सुरत , चेतन आत्मा , चेतन - वृत्ति । P01 )
सुरीला ( हिं ० वि ० ) = मीठे स्वरवाला ।
सुरीलापन ( हिं ० , पुं ० ) = सुरीला होने का भाव , मिठास , मीठापन ।
(सर्वव्यापकता के भी परे = समस्त प्रकृति - मंडलों में व्यापक होकर उनसे बाहर भी अपरिमित रूप से विद्यमान रहनेवाला ।P06 )
(सर्वाधार ( सर्व + आधार ) = सबका आधार , जिसपर सब कुछ टिका हुआ है । P06 ) ( P03 )
(सर्वेश्वर ( सर्व + ईश्वर ) = सबका स्वामी , सबका शासक । P06 )
(सर्वेश्वर की भक्ति = परमात्मा की भक्ति , शरीर के अन्दर आवरणों से छूटते हुए परमात्मा की ओर चलना । P06 )
सुलभ ( सं ० , वि ० ) = जो सरलता से पाया जा सके ।
(सुबुद्धी = सुबुद्धि, सुन्दर बुद्धि, सात्त्विकी बुद्धि, अच्छा विचार या अच्छा ज्ञान । P11 )
सुषुप्त ( सं ० , वि ० ) = अच्छी तरह सोया हुआ ।
सुषुप्ति ( सं ० , स्त्री ० ) = अच्छी तरह या गहरी नींद में सोया हुआ होने का भाव ।
सुषुप्ति अवस्था ( सं ० , स्त्री ० ) = जाग्रत् और स्वप्न से भिन्न वह अवस्था जिसमें केवल चित्त इन्द्रिय रहती है और जिसमें कोई भाव - विचार उत्पन्न नहीं होता , गहरी नींद की अवस्था ।
सुहानी ( वि ० स्त्री ० ) = सुहावनी , अच्छी लगनेवाली ।
सूक्ष्म ( सं ० , वि ० ) = छोटा , महीन , योगदृष्टि से दिखलायी पड़नेवाला । जो स्थूल इन्द्रिय ( ज्ञानेन्द्रिय ) की पकड़ में नहीं आए ।
(सूक्ष्म अति = अत्यन्त छोटा । P139 )
सूक्ष्म कारण महाकारण अरूप उपासना ( सं ० , स्त्री ० ) = अनहद नादों का ध्यान ।
सूक्ष्म दृष्टि ( सं ० , स्त्री ० ) = स्थूल दृष्टि से भिन्न वह दृष्टि जो एकविन्दुता प्राप्त करने पर खुलती है , योगदृष्टि , दिव्य दृष्टि , जिस दृष्टि के खुल जाने पर स्थूल संसार और सूक्ष्म संसार की सभी वस्तुएँ दिखलायी पड़ने लग जाती हैं , चाहे वे दूर हों या नजदीक।
सूक्ष्म धार ( स्त्री ० ) = महीन धारा , महीन शब्द - धारा ; जो कान से नहीं सुरत से सुनने में आए ।
सूक्ष्म ध्यानाभ्यास ( सं ० , पुं ० ) = ज्योतिर्मय विन्दु और अनहद नादों के ध्यान का अभ्यास ।
सूक्ष्म नाद ( सं ० , पुं ० ) = महीन ध्वनि , सूक्ष्म मंडल की ध्वनि , सुरत से सुनायी पड़नेवाली ध्वनि ।
सूक्ष्म मंडल ( सं ० , पुं ० ) = स्थूल मंडल से ऊपर का एक मंडल जिसमें अलौकिक प्रकाश की अवस्थिति है , जो स्थूल मंडल का कारणरूप है ।
{सूक्ष्म वारता = गंभीर वार्ता ( बात ) । P04 }
सूक्ष्म सगुण अरूप ( सं ० , वि ० ) = जो सूक्ष्म , त्रय गुणों से बना हुआ और रूप - रहित हो ( पुं ० ) = अनहद नाद ।
सूक्ष्म सगुण रूप ( सं ० , पुं ० ) = वह रूप जो सूक्ष्म और त्रय गुणों से बना हुआ हो , ज्योतिर्मय विन्दु । सूक्ष्म सूक्ष्मता ( सं ० , स्त्री ० ) होने का भाव ; छोटा , महीन या पतला होने का भाव , सूक्ष्म मंडल ।
सूक्ष्मातिसूक्ष्म ( सं ० , वि ० ) = महीन - से - महीन , छोटे - से - छोटा ।
सूर्ख ( फा ० , वि ० ) = लाल । ( पुं ० ) = गहरा लाल रंग ।
{सोऽहम् = ( १ ) अन्तर्नाद , अनहद नाद ; अजपा जप , ( २ ) आदिनाद , ( ३ ) भंवरगुफा का शब्द । P01 }
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