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शब्दकोष 18 || घटरामायण से चित्त तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / घ+च

    प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--.

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सद्गुरु महर्षि में और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष 

एकचित्त - ओर

घ+च

 

(घट = शरीर । P07

{घट - पट = शरीर के अन्दर जीवात्मा पर पड़े हुए आवरण - अंधकार , प्रकाश और शब्द। (P07)  P30  }

घटरामायण ( सं ० , पँ ० ) = संत तुलसी साहब हाथरसवाले की एक पुस्तक का नाम । 

घटाकाश ( सं ० , पुं ० ) = घड़े के अन्दर का आकाश । 

घन ( सं ० , पँ ० ) बादल , समूह । 

(घनेरा = बहुत अधिक । P10 ) 

(घड़ी = २४ मिनट का समय। P11 ) 

घेरा ( हिं ० , पुं ० ) = सीमा , घेरनेवाली चीज , परिधि , अहाता । 


च 


चंचल ( सं ० , वि ० ) = चलायमान , चलता हुआ , जो स्थिर नहीं हो । 

चंचलता ( सं ० , स्त्री ० ) = चंचल होने का भाव । 

(चर = चलनेवाला , जानेवाला । P06 )

चिढ़ ( हिं ० , स्त्री ० ) = चिढ़ने की क्रिया या भाव , किसी की छोटी - मोटी बात पर भी बिगड़ उठना , सहनशीलता का अभाव ।

चित् ( सं ० , वि ० ) = चेतन , ज्ञानमय । ( पुं ० ) ज्ञानमय तत्त्व , चेतन प्रकृति  । 


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     प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इसके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इस पोस्ट में  एकचित्त, एकदेशीय, एकमेक, एकबिंदुता, एकाग्र, ओतप्रोत, ओम्, ओर   आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । हमें विश्वास है कि इसके पाठ से आप संतमत को सहजता से समझ पायेंगे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


हर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष


शब्द कोस,
 

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शब्दकोष 18 || घटरामायण से चित्त तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 18 ||  घटरामायण  से  चित्त  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/13/2021 Rating: 5

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