Ad

Ad2

शब्दकोष 35 || बुद्धि-बल से भटकन तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / भ

     प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--

फुटाना - बुध्दि-पर  तक के शब्दों का अर्थ पढ़ने के लिए   👉  यहां दवाएं

सद्गुरु महर्षि में और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

बुद्धि-बल - भटकन



बुद्धि - बल ( सं ० , पुं ० ) = विचार बल , ज्ञान की शक्ति।

बुद्धिमानी ( सं ० , स्त्री ० ) = बुद्धिमान् का काम । 

बुद्धिमान् ( सं ० वि ० ) = अच्छी बुद्धिवाला , अच्छे ज्ञानवाला । 

बुद्धि - विपरीत ( सं ० वि ० ) = बुद्धि के उलटा , विचार के उलटा । जो बुद्धि के विचार के अनुकूल नहीं हो , जो बुद्धि के विचार में उचित नहीं ठहरे । 

बेनजीर ( फा ० अ ० , वि ० ) = अनुपम , उपमा - रहित , बेजोड़।

बेमेल ( फा ०, सं ० , पुं ० ) मेल का अभाव । 

(बेढंग = बेढंगा , बेतुका , अनुचित , असंगत । P04 ) 

बोध ( सं ० , पुं ० ) = ज्ञान । 

(बोध महान = जिसको बहुत ज्ञान हो , बड़ा ज्ञानवान् , महाज्ञानी । P04 ) 

ब्रह्म ( सं ० , पुं ० ) = परमात्मा , परमात्मा का वह अंश जो प्रकृति में या प्रकृति के किसी भाग में व्यापक हो । 

(ब्रह्मनाद = नादब्रह्म , शब्दब्रह्म , ब्रह्म का शब्दरूप , शब्दरूपी ब्रह्म , परमात्मा से संबंधित नाद , सृष्टि निर्माण हेतु परमात्मा से जो ध्वन्यात्मक शब्द उत्पन्न हुआ वह । P05  ) 

{ब्रह्मरूप = श्वेत ज्योतिर्मय विन्दु - रूपी । ( श्वेत ज्योतिर्मय विन्दु ब्रह्म का छोटे - से - छोटा सगुण - साकार रूप है । ) P03 }

ब्रह्मांड ( सं ० , पँ ० ) = विश्व , संसार , एक - एक सौर जगत् ।

ब्रह्माण्ड ( सं ० , पुं ० ) = सृष्टि या सृष्टि का कोई अंश जिसमें परमात्मा आंशिक रूप से व्यापक रहता है , पिंड से भिन्न बाहरी जगत् , पिंड में आँखों से ऊपर का भाग । (ब्रह्मांड = बाहरी जगत् , शरीर का दोनों आँखों से ऊपर का भाग । P30 )

ब्राह्म मुहूर्त ( सं ० , पुं ० ) = ब्रह्म वेला , अमृत वेला , रात्रि का पिछला  पहर।

ब्राह्मण ( सं ० पँ ० ) = चार वर्णों ( जातियों ) में से एक वर्ण जिसका काम है - पढ़ना - पढ़ाना , यज्ञ करना कराना और दान लेना - देना । 

भ 

भँवर गुफा ( हिं ० सं ० , स्त्री ० ) = आन्तरिक ब्रह्माण्ड का एक दर्जा , महाकारण - मंडल , साम्यावस्था धारिणी जड़ात्मिका मूल प्रकृति का मंडल , शरीर के अंदर का वह स्थान जहाँ -गुंजार सुनायी पड़ता है । 

भक्त ( सं ० , वि ० ) = बँटा हुआ , भक्ति करनेवाला । ( पुं ० ) भात । 

भक्ति ( सं ० , स्त्री ० ) - प्रेमपूर्वक की गयी सेवा , किसी का सेवन करना । 

{भक्ति = भक्ति भाव , प्रेमपूर्ण सेवा भाव । ( सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की दृष्टि में , शरीर के अन्दर आवरणों से छूटते हुए परमात्मा से मिलने के लिए चलना परमात्मा की निज भक्ति है । P04 }

भगवन्त ( सं ० , वि ० ) = भगवान् । 

भगवान् ( सं ० , वि ० ) = जो समग्र ऐश्वर्य , धर्म , यश , संपत्ति , ज्ञान और वैराग्य से युक्त हो । 

(भजत है = भजता है , भक्तिभाव से प्रणाम करता है , स्मरण करता है , नाम लेता है , गुणगान करता है , शरण लेता है , पूजा - आराधना करता है । P02 )

भजन - भेद ( सं ० , पुं ० ) = भक्ति करने की युक्ति । 

{भजन सँग = ध्यान-भजन करने के प्रति खिंचाव या प्रेम, ध्यान-भजन की रुचि या उत्साह । ( संग = आसक्ति, प्रेम ) P11 } 

भजना ( अ ० क्रि ० ) = भजन करना , भक्ति करना । ( स ० क्रि ० ) सेवन करना । 

भटकन ( हिं ० , स्त्री ० ) = भटकाव भटकने की क्रिया,  बिना लाभ के इधर-उधर घूमना। 


भटकना - मंडल    तक के शब्दों का अर्थ पढ़ने के लिए   👉  यहां दवाएं


      प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इनके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इस पोस्ट में  बुद्धि-बल, बुद्धिमानी, बुद्धिमान्, बुद्धि-विपरीत, बेनजीर, बेमेल, बोध, ब्रह्म, ब्रह्मांड, ब्रह्माण्ड, ब्रह्म मुहूर्त, ब्राह्मण, भंवर गुफा, भक्त, भक्ति, भगवंत, भगवान्, भजन-भेद, भजना,भटकन,  आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । हमें विश्वास है कि इसके पाठ से आप संतमत को सहजता से समझ पायेंगे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट-मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले  पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी।


हर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष


शब्द कोस,
 

प्रभु प्रेमियों ! बाबा लालदास कृत  ' मोक्ष - दर्शन का शब्दकोश ' के बारे में विशेष जानकारी तथा इस पुस्तक को खरीदने के लिए   👉 यहां दबाएं


सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए   यहां दवाएं

---×---

शब्दकोष 35 || बुद्धि-बल से भटकन तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन शब्दकोष 35  ||  बुद्धि-बल  से  भटकन  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और प्रयोग इत्यादि का वर्णन Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/13/2021 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

सत्संग ध्यान से संबंधित प्रश्न ही पूछा जाए।

Ad

Blogger द्वारा संचालित.