google.com, pub-1552214826144459, DIRECT, f08c47fec0942fa0 MS03 वेद-दर्शन-योग || 100 मंत्रों और संतवाणियों के साक्ष्याधार से संतमत और वेदमत में एकता प्रमाणित - सत्संग ध्यान विस्तृत चर्चा

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MS03 वेद-दर्शन-योग || 100 मंत्रों और संतवाणियों के साक्ष्याधार से संतमत और वेदमत में एकता प्रमाणित

MS03  वेद-दर्शन-योग  

    प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची की तीसरी पुस्तक "वेद-दर्शन-योग" है । इस पुस्तक में संत सद्गुरु महर्षि मँहीँ परमहंस जी महाराचारो वेदों से चुने हुए एक सौ मंत्रों पर टिप्पणीयां लिखकर संतवाणी से उनका मिलान करके प्रमाणित किया है कि संतमत और वेदमत में भिन्नता नही एकता है इस पुस्तक का पाठ करके संतों के मूल विचार और वेदों के मूल विचार के साधनात्मक अनुभव से आप परिचित होगें तथा एकता और भाइचारा के प्रति आकर्षित होंगे। आइये इस पुस्तक का दर्शन करें-

महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की दूसरी पुस्तक "रामचरितमानस सार-सटीक" के बारे  में जानने के लिए   👉 यहां दवाएँ। 


वेद-दर्शन-योग मुख्य कवर
वेद-दर्शन-योग मुख्य कवर

वेद-दर्शन-योग की बिशेषता

     प्रभु प्रेमियों ! आबाल ब्रह्मचारी  सदगुरु महर्षि मँहीँ बाबा ने प्रव्रजित होकर लगातार ५२ वर्षों से सन्त-साधना के माध्यम से जिस सत्य की अपरोक्षानुभूति की है , उसी का प्रतिपादन प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है । 

वेद-दर्शन-योग पुस्तक का मुख्य कवर और आंतरिक पेज
वेद-दर्शन-योग

  इतने लम्बे अरसे से वेद , उपनिषद् एवं सन्तवाणियों का अध्ययन तथा मनन एवं उनके अन्तर्निहित निर्दिष्ट साधनाओं का अभ्यास करते हुए परमपूज्य सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि मानव मात्र सदाचार - समन्वित हो दृष्टियोग और शब्दयोग ( नादानुसंधान ) अर्थात् विन्दुध्यान और नादध्यान के द्वारा ब्रह्म - ज्योति और ब्रह्मनाद की उपलब्धि कर परम प्रभु सर्वेश्वर को उपलब्ध कर सकता है । इसी विषय का स्पष्टीकरण उन्होंने प्रस्तुत ग्रन्थ में किया है । साथ ही उन्होंने यह भी समझाने की भरपूर चेष्टा की है कि प्राचीन कालिक मुनि - ऋषियों से लेकर अर्वाचीन साधु - संतों तक की अध्यात्म - साधना पद्धति एक है

     वेद - उपनिषदादि में वर्णित अध्यात्म- ज्ञान और कबीर , नानक , तुलसी प्रभृति आधुनिक सन्तों के व्यवहृत आत्मज्ञान में ऐक्य या पार्थक्य है ? - इस भ्रम के निवारणार्थ ' वेद - दर्शन - योग ' का प्रणयन किया गया है । अथवा सीधे शब्दों में यों भी कह सकते हैं कि प्रस्तुत पुस्तक उपर्युक्त ऐक्य वा पार्थक्य के असमंजस को मिटाकर पूर्ण सामंजस्य की स्थापना करती है ।


' वेद - दर्शन - योग ' अभी जनवरी 2022ई. में निम्नांकित चित्रों जैसा प्रकाशित होता है-


वेद-दर्शन-योग का मुख्य कवर पेज
वेद-दर्शन-योग मुख्य कवर

MS03 आंतरिक पेज 1
MS03 आंतरिक पेज 1

MS03 आंतरिक पेज 2
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MS03 आंतरिक पेज 3
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MS03 आंतरिक पेज 4
MS03 आंतरिक पेज 4
MS03 आंतरिक पेज 5
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MS03 लास्ट कवर पेज
MS03 लास्ट कवर पेज

वेद-दर्शन-योग

 विषय - सूची 

ऋग्वेद - संहिता 

क्रमांक     विषय 

   आमुख ' ए ' से ' अ : ' तक । 
0१  प्रकाशक की ओर से ( प्रथम संस्करण ) 
0२  प्राक्कथन 
0३  भूमिका 
0४  प्रकाशकीय ( द्वितीय संस्करण 
0५  सम्मति 
0८  ब्रह्म की व्यापकता , प्रकृति और जीव 
0९  उत्तम रीति से ध्यानाभ्यास तथा 
       त्रिकाल सन्ध्योपासना 
१०  वाणी ( शब्द ) द्वारा ब्रह्मपद की प्राप्ति 
११  परमपद तक पहुंचे हुए का अनुकरण 
       और अनुसरण 
१२  गोवध निषेध स 
१३  इन्द्रियों के ज्ञान से आत्मा परे 
१४  अपने अभिमुख दृष्टियोग- 
१५  वीर्य - संचय , दमशील का महत्त्व 
       और ऊर्ध्वरेता
१६  सत्संग- यज्ञ 
१७  निर्गुण और सगुण उपासना 
१८  आरोहण 
१९  ब्रह्म और जीव में अभेद का संकेत 
२०  उपासित होकर ईश्वर हृदय में प्रकट होता है 
२२  परमात्मा तक आरोहण
२१  परमात्मा पवित्र हृदय में प्रकट होता है
२३  धर्म के दस लक्षण 
२४  सत्संग - तप में पवित्र नहीं होनेवाले को 
       ब्रह्म की  प्राप्ति नहीं होती है  
२५  न सत् था और न असत् था, सृष्टि के 
       पूर्व में तमस् था 
२६  सृष्टि के पूर्व की बातें 
२७  सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में परमात्मा 
       के अतिरिक्त कोई नहीं जानता है 
२८  त्रिकाल सन्ध्या 
२९  आपस में सब मेल से रहो और 
      ईश्वरोपासना करो

 सामवेद-संहिता

३०  वेदवाणी के अतिरिक्त मनुष्यवाणियों में 
       ईश्वर की स्तुति 
३१  समस्त उत्पन्न पदार्थों में परमात्मा का निवास 
३२  प्राण- अपान रूप आहुति 
३३  परमात्मा अवाङ् मनसगोचर 
३४  ध्यान लगाने का स्थान 
३५  जल में जल की भाँति परमात्मा में 
       जीवात्मा का  मिलन
३६  आत्मा की सत्यस्वरूप प्रियवाणी 
३७  तीन वेद 
३८  ज्योति का साक्षात्कार 
३९  अनाहत नाद को कौन नहीं
       प्राप्त कर - सकता 
४०  ब्रह्मानन्द के मधुर रस से पूर्ण अनाहत नाद 
४१  अनाहत नाद करनेवाली धारा 
४२  'सोऽहं' या 'ओं' अन्त नाद 
४३  ब्रह्म का घोष मेघगर्जन के 
४४  अनाहत नाद के अभ्यास से 
        प्राणवायु को वश करना 
४५  सर्वदर्शी परमात्मा नाद करता हुआ देह में व्याप्त है 
४६  व्यापक आत्मा अनाहत रूप से 
       नाद करता है 
४७  रमणीय अनाहत नाद 
४८  अनाहत नाद या परमेश्वर की स्तुति से मोक्ष 
४९  अध्यात्म यज्ञ के समक्ष द्रव्य यज्ञ व्यर्थ 
५०  आत्मा से ही आत्मज्ञान और मोक्ष 

यजुर्वेद संहिता 

५१  जीवन्मुक्त तथा अमर अविनाशी मोक्ष 
५२  प्राणायाम , ज्ञान और ध्यान से परमेश्वर 
       प्रकट होता है 
५३  चेतनांश 
५४  ब्रह्मपद को प्राप्त करना 
५५  विश्व को उत्पन्न करनेवाली ईश्वर की वाणी  
५६  प्राणियों में ध्वनि की विद्यमानता 
५७  गुरु, विद्वान और पूज्य पुरुषों से विनय 
५८  दृष्टि और शब्द - साधन 
५९  ज्योतिर्ध्यान का महत्त्व 
६०  ईश्वर सर्वव्यापक और सर्वव्यापकता के परे 
६१  ईश्वर का ज्ञान और साक्षात्कार 
६२  ब्राह्ममुहूर्त में ईश्वर और आचार्य की उपासना

अथर्ववेद संहिता

६३. आहुति   ६४.  आत्म - यज्ञ   ६५. प्रकाशमय लोक   ६६.  हृदयों में ध्वनि कर रहा है   ६७.  वेदों की संस्करण-सूची ∆


कुछ संकेत-  

ऋग्वेद संहिता  । अ ० = अध्याय । व ० = वर्ग । अ ० = अनुवाक | ऋ ० = ऋग्वेद | सू ० = सूक्त | खं ० = खण्ड | पृ ० = पृष्ठ | मं ० = मंडल |

सामवेद संहिता प्र ० = प्रपाठक । ५० = दशति । अ ० = अध्याय । यजुर्वेद संहिता मं ० = मन्त्र |

अथर्ववेद संहिता कां ० = काण्ड । 
गी ० र० = गीता रहस्य । भा ० = भाष्य ।

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सचेतन


      इस पुस्तक में कई वेराइटी है जैसे कि हार्डकवर युक्त संस्करण,  बिशिष्ट संस्करण, पीडीएफ संस्करण इत्यादि इसके साथ ही यह कई वेबसाइटों पर भी उपलब्ध है जैसे कि @amazon    ,   @instamojo ,   @satsangdhyanstore  इत्यादि वेबसाइटों  पर ।  इन सभी बातों की जानकारी के लिए अभी खरीदे पर दवाएँ। और इसे हमारे स्टोर पर भुगतान कर खरीदने के लिए  पुस्तक के चित्र पर दवाएँ।  तथा शिपिंग चार्ज सहित तुरंत एक प्रति औडर का भुगतान  करने के लिए  निम्न कोड को स्कैन कर पेमेंट करें।  यहाँ के पेमेंट से केवल भारत में शिपिंग शामिल है। विदेशी शिपिंग चार्ज के लिए हमारे वाट्सऐप नंबर 7547006282 पर मैसेज करें। कौल नहीं करेंगे। इससे ध्यान में विध्न होता है। 

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वेद-दर्शन-योग का अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्ध है-

MS03  इस पुस्तक का मूल संस्करण के लिए  न्यूनतम सहयोग राशि ₹99.00/ + शिपिंग चार्ज
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सचेतन


     प्रभु प्रेमियों  ! इस पुस्तक के बारे में इतनी अच्छी जानकारी प्राप्त करने के बाद हमें विश्वास है कि वेद कैसे योग का आधार हैं? योग में वेद कितने हैं? क्या वेदों में योग का उल्लेख है? योग के तत्वों के बारे में किस वेद में उल्लेख किया गया है? सबसे उत्तम आसन कौन सा माना गया है?  आप उपरोक्त   प्रश्नों के यथार्थ उत्तर पाने के लिए इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। इसका पाठ कर आफ आपने मोक्ष मार्ग के अनेक कठिनाईयों को दूर करने वाला एक सबल सहायक प्राप्त करेंगे. इस बात की जानकारी अपने इष्ट मित्रों को भी दे दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें और आप इस ब्लॉग वेबसाइट को अवश्य सब्सक्राइब करें जिससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना निशुल्क मिलती रहे और आप मोक्ष मार्ग पर होने वाले विभिन्न तरह के परेशानियों को दूर करने में एक और सहायक प्राप्त कर सके. नीचे के वीडियो  में वेद-दर्शन योग  बारे में और कुछ जानकारी दी गई है . उसे भी अवश्य देख लें. फिर मिलते हैं दूसरे प्रसंग के दूसरे पोस्ट में . जय गुरु महाराज


सद्गुरु महर्षि मँहीँ साहित्य सुमनावली


     MS04 . विनय-पत्रिका-सार सटीक- गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रंथ 'विनय-पत्रिका' का सार है, जिस पर महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज ने सटीक टिप्पणी या व्याख्या लिखी है। यह पुस्तक महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची की चौथी पुस्तक है। यह 1931 ई0 में भागलपुर के युनाइटेड प्रेस में छपी थी। इसमें गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज रचित ‘विनय-पत्रिका’ के कुछ पदों की सरल व्याख्या की गई है। बहुत ही अच्छी और सारगर्भित पुस्तक है। यह पुस्तक गोस्वामी तुलसीदास जी की साधना पद्धति और उनकी साधनात्मक गति का परिचयात्मक पुस्तिका है। 'विनय-पत्रिका' में भगवान श्री राम के प्रति तुलसीदास जी की गहरी भक्ति, विनम्रता (दास भाव), और पूर्ण समर्पण का भाव है, जिसे महर्षि जी ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सरल भावार्थ के साथ प्रस्तुत किया है। इस सार-सटीक का उद्देश्य पाठकों को गोस्वामी जी महाराज की अंतिम गति (मोक्ष की स्थिति) और उस तक पहुँचने के मार्ग को समझाना है, ताकि मनुष्य परम कल्याण प्राप्त कर सके।   इसके बारे में विशेष जानकारी के लिए   👉 यहां दबाएं।   

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए  👉  यहां दवाएं

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MS03 वेद-दर्शन-योग || 100 मंत्रों और संतवाणियों के साक्ष्याधार से संतमत और वेदमत में एकता प्रमाणित MS03  वेद-दर्शन-योग  || 100 मंत्रों और संतवाणियों के साक्ष्याधार से संतमत और वेदमत में एकता प्रमाणित Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/25/2020 Rating: 5

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