प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची' की पंद्रहवी पुस्तक "सत्संग- सुधा भाग 4" है । इस पुस्तक में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के 26 प्रवचन हैं। इन प्रवचनों में मानव-जीवन के सर्वांगीण और पूर्ण विकास तथा कल्याण के लिए ईश्वर भक्ति या अध्यात्म-ज्ञान की अनिवार्य आवश्यकता है। वेदों, उपनिषदों, गीता, सन्तवाणियों में सदा से ईश्वर - स्वरूप, उसके साक्षात्कार करने की सयुक्ति एवं अनिवार्य सदाचार- पालन के निर्देश बिल्कुल एक ही हैं, केवल भाषा, शैली और शब्द-योजनाओं का ही उनमें भेद हैं- - तथ्य और अर्थ सभी के साररूप में एक ही हैं। ऐसा बताया गया है। आइये इस पुस्तक का अवलोकन करते हैं--
महर्षि मेँहीँ साहित्य सीरीज की चौदहवीं पुस्तक "MS14 सत्संग- सुधा भाग 3 || 24 प्रवचनों में विंदु ध्यान और नाद ध्यान सहित व्यवहारिक ज्ञान भी है। " के बारे में जानने के लिए 👉 यहां दवाएँ।
सत्संग सुधा भाग 4
वेद-उपनिषद्, गीता-रामायण एवं सन्तवाणी सम्मत ईश्वर-भक्ति, सदाचार आदि का वर्णन
प्रभु प्रेमियों ! 60 वर्षों से बिंदु-नाद की साधना करते हुए संत- साहित्य के प्रमाणों के आधार पर सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज ने अपने अट्ठारह प्रवचनों में सत्संग, ध्यान, ईश्वर, सद्गुरु, सदाचार एवं संसार में रहने की कला के बारे में बताये हैं। साथ ही यह भी बताया गया है कि वेद-उपनिषद एवं संत- साहित्य में वर्णित बातें बिल्कुल सत्य हैं और जांचने पर प्रत्यक्ष है। लोग इन साधनाओं को करके अपना इहलोक और परलोक के जीवन को सुखमय बना सकते हैं । जिन लोगों ने इसका अनुसरण किया वे धन्य धन्य हो रहे हैं । आप भी पीछे न रहे पढ़िये इन प्रवचनों को और मानव जीवन को धन्य-धन्य बनाइये। आइये पुस्तक का दर्शन करें--
सत्संग सुधा भाग 4
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सत्संग सुधा भाग 4
विषय-सूची
क्रमांक विषय
१. सत्संग करते रहना चाहिए
२. ईश्वर से मेल ऊंचे दर्जे का सत्संग है।
३. नीचे गिरने की ओर मत जाओ
४. भजन वह है, जिससे परमात्मा को पहचान सको
५. सब धर्मों का सार एक ही है
६. ईश्वर अवश्य है
७. गुरु, ध्यान और सत्संग
८. सत्यंग करते रहिए, मोक्ष नजदीक है
९. अंतर में आरती करो
१०. तुम्हारा निज विषय परमात्मा है
११. ईश्वर का ओर-छोर नहीं है
१२. श्रद्धाशील को ज्ञान होता है
१३. प्रत्यक्ष दर्शन अपने अन्दर होगा
१४. ईश्वर की खोज अपने अन्दर करो
१५. ईश्वर प्राप्ति का रास्ता एक है
१६. यही दृष्टियोग है
१७. ईश्वर ही सब धर्मों की जड़ है
१८. अन्तर के शून्य में खोजना
१९. घुसक नदी में जाय
२०. तीन अवस्था तजहु भज भगवन्त
२१. नैन नगर से रास्ता का आरम्भ
२२. बिना भजन अभ्यास किये समत्व नहीं
२३. विन्दु-नाद उपासना
२४. शब्द के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं
२५. शब्द-साधना से भक्ति का अंत
२६. निर्गुण रामनाम को जिया नहीं जानती
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''महर्षि मेँहीँ साहित्य सूची'' की सोलहवीं पुस्तक 'MS16 राजगीर-हरिद्वार-दिल्ली सत्संग || 26 प्रवचनों में ध्यानाभ्यास, सदाचार, सद्गुरु इत्यादि व्यवहारिक ज्ञान से भरपूर पुस्तक' के बारे में जानने के लिए 👉यहां दबाएं ।
प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ साहित्य 📚 सीरीज के इस पोस्ट का पाठ पढ़कर आप लोगों ने जाना कि 👉 सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज का प्रवचन वेद, उपनिषद, संतवाणी और धर्म शास्त्रों के कोटेशन से पुष्ट होता है और उसका पाठ करके उस पर आचरण करके मनुष्य जीवन के परम लक्ष्य को साधा जा सकता है । सत्संग, ईश्वर- भक्ति, सदाचार का पालन करना और अपनी जीवका के लिए कुछ उद्यम करना, जीवन के लक्ष्य साधने में आवश्यक कारक है। आदि बातें । इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई संका या प्रश्न है तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बताएं, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग के सदस्य बने । इससे आप आने वाले हर पोस्ट की सूचना अपने ईमेल पर नि:शुल्क भेज देंगे। ऐसा विश्वास है .। जय गुरु महाराज.!!
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MS15 सत्संग सुधा भाग 4 || 26 प्रवचनों में वेद-उपनिषद्, गीता-रामायण एवं सन्तवाणी सम्मत ईश्वर-भक्ति का वर्णन
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
7/22/2023
Rating: 5
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