LS17 अनमोल वचन
प्रभु प्रेमियों !
लालदास साहित्य सीरीज के 17 वीं पुस्तक "अनमोल वचन" है.
इसमें १,००८ सूक्तियों का संकलन किया गया है। ये सूक्तियाँ शुच्याचार, शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान, सत्य नियम, अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंध रखती हैं। इस पुस्तक में चार साधनों से प्राप्त बातें हो सकती हैं; जैसे समाज में देखी हुई, पुस्तकों में पढ़ी हुई, किसी से सुनी हुई और स्वयं विचारी हुई या स्वयं अनुभव की हुई। पुस्तक में जो भी आचरण में उतारने के योग्य बातें आयी हैं । आइए इस पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त करें--
१,००८ सूक्तियों में सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों का विवेचन
प्रभु प्रेमियों ! 'अनमोल वचन' पुस्तक के संपादक इस पुस्तक के लेखक के शब्द में लिखते हैं- "‘अनमोल वचन' मेरी स्वतःस्फूर्त सूक्तियों की पुस्तक है। इसमें १,००८ सूक्तियों का संकलन किया गया है। ये सूक्तियाँ शुच्याचार, शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान, सत्य नियम, अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंध रखती हैं। इस पुस्तक में चार साधनों से प्राप्त बातें हो सकती हैं; जैसे समाज में देखी हुई, पुस्तकों में पढ़ी हुई, किसी से सुनी हुई और स्वयं विचारी हुई या स्वयं अनुभव की हुई।
पुस्तक में जो भी आचरण में उतारने के योग्य बातें आयी हैं, मेरा दावा नहीं है कि मैं उन्हें तत्परता के साथ अपने जीवन में उतार लिया करता हूँ। हाँ, मैं उन्हें यथासंभव उतारने का प्रयास अवश्य कर रहा हूँ। पुस्तक के वचनों को कई दशकों में बाँटकर संकलित किया गया है। वे वचन विषयबद्ध नहीं किये जा सके हैं।
मैंने यह पुस्तक इसलिए छपवायी कि यह भविष्य में मेरा और इसे पढ़नेवाले दूसरे कल्याणकामी लोगों का भी मार्ग प्रदर्शन कर सके। यदि इस पुस्तक से पाठकों को कुछ भी लाभ पहुँच सका, तो मैं अपना श्रम सार्थक समझँगा ।....
- छोटेलाल दास
२५-७-२००७ ई०
संतनगर, बरारी, भागलपुर - ३ ( बिहार )"
तो आइये इस अनमोल और मनोहर पुस्तक का सिंहावलोकन निम्न चित्रों के माध्यम से करें--
प्रभु प्रेमियों ! "अनमोल वचन" जैसी ही सूक्तियों की जैसी हजारों सूक्तियां पूज्य पाद लाल दास जी महाराज के लिखे हुए हैं जिसे छोटी-छोटी पुस्तकों के द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। जिनमें से कुछ अन्य प्रकाशित रचनाएं निम्नलिखित है। आप इसे भी "सत्संग ध्यन स्टोर" से ऑनलाइन मंगा सकते हैं।
सभी पुस्तकों में अलग-अलग सूक्तियाँ हैं । जो जीवन के अलग-अलग मोड़ पर होने वाले दिशा-भ्रम को दूर करने में अत्यंत सहायक है। आप इसे अभी औनलाइन औडर करें।
 |
अभी खरीदें |
 |
अभी खरीदें |
 |
अभी खरीदें |
'अनमोल वचन' पुस्तक के बारे में इतनी अच्छी जानकारी के बाद आपके मन में अवश्य विचार आ रहा होगा कि यह पुस्तक हमारे पास अवश्य होना चाहिए, इसके लिए आप "सत्संग ध्यान स्टोर" से इसे ऑनलाइन मंगा सकते हैं और महर्षि मेंहीं आश्रम, कुप्पाघाट के पास से भी इसे ऑफलाइन में खरीद सकते हैं. आपकी सुविधा के लिए 'सत्संग ध्यान स्टोर' का लिंक नीचे दे रहे हैं-
आप इस अनमोल ग्रंथ के मूल संस्करण के लिए न्यूनतम सहयोग राशि ₹75/- + शिपिंग चार्ज के साथ निम्नलिखित लिंक में से किसी एक से ओनलाइन आर्डर करें-
बिशेष-- प्रभु प्रेमियों ! पुस्तक खरीदने में उपरोक्त लिंक में से कहीं भी किसी प्रकार का दिक्कत हो, तो हमारे व्हाट्सएप नंबर 7547006282 पर मैसेज करें. इससे आप विदेशों में भी पुस्तक मंगा पाएंगे. कृपया कॉल भारतीय समयानुसार दिन के 12:00 से 2:00 बजे के बीच में ही हिंदी भाषा में करें.
प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज में आपने 'अनमोल वचन नामक पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे से समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.
प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज की अगली पुस्तक LS18 . महर्षि मँहीँ के प्रिय भजन' है. इस पुस्तक के बारे में विशेष जानकारी के लिए 👉 यहां दबाएं .
सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए शर्तों के बारे में जानने के लिए 👉 यहां दवाएं। ---×---
कोई टिप्पणी नहीं:
सत्संग ध्यान से संबंधित प्रश्न ही पूछा जाए।