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LS08 महर्षि मेँहीँ की बोध-कथाएँ 04 || लालच बुरी बलाय --Lalach Buri Bala Hai Kahani

महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  / 04

     प्रभु प्रेमियों  !  लालदास साहित्य सीरीज के 08 वीं पुस्तक 'महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ '  के इस लेख में  लालच के कारण व्यक्ति दुर्गति को प्राप्त होतेह-होते मर जाता है लेकिन उसकी लालची प्रवृत्ति समाप्त नहीं होती . लालच की समाप्ति तो सत्संग-ध्यान करने से और संतोष धारण करने से होता है. इस बात को जमीन की इच्छा वाले लालची व्यक्ति की कहानी से बहुत अच्छा से समझाया गया है। 

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संतमत के वेदव्यास स्वामी लालदास लालदासजी महाराज
संतमत के वेदव्यास स्वामी लालदास लालदासजी महाराज

४. लालच बुरी बलाय 


     एक आदमी को धन का बड़ा लालच था । उसको मालूम हुआ कि उसके पास जितनी जमीन है , यदि उसको बेच ले , तो बिक्री के उतने रुपयों से दूसरी जगह अधिक जमीन मिल जाएगी । यह जानकर उसने अपनी सारी जमीन बेच दी और वहाँ गया , जहाँ अधिक जमीन मिलनेवाली थी । वहाँ के जमीनवाले ने रुपये लेकर उससे कहा कि दिनभर में तुम जितनी जमीन घूमकर सायंकाल मेरे पास आ जाओगे , उतनी जमीन तुम्हारी हो जाएगी ।


जमीन का लालची व्यक्ति
जमीन का लाली व्यक्ति

    वह लालच के मारे जमीन की ओर बढ़ा । जैसे - जैसे वह आगे बढ़ता जाता , वैसे - वैसे उसको अच्छी - से - अच्छी जमीन मिलती जाती । इसलिए वह आगे - ही - आगे बढ़ता गया । जब सूर्यास्त होने में थोड़ा समय बचा , तब उसको याद आया कि शाम तक उसे लौटकर जमीनवाले के घर पर भी पहुँचना है और दिन थोड़ा है । यह सोचकर वह उधर से लौट पड़ा । 

     धीरे - धीरे चलने से शाम तक वह नहीं पहुँच पाता , इसलिए उसने दौड़ लगाना शुरू किया । दौड़ते - दौड़ते संध्या होने तक तो वह जमीनवाले के घर पहुँच गया ; परन्तु परेशानी के कारण तुरंत बेहोश होकर गिर पड़ा और भर गया ( किसी ने कहा कि यह लालची आदमी उतनी ही जमीन पाने का अधिकारी है , जितनी जमीन पर वह मरा पड़ा है । उतनी ही जमीन पर वह अन्यत्र दफना दिया गया । )


प्रवचन करते गुरुदेव
सद्गुरु महर्षि मेंहीं

    यही हालत सब लोगों की है । संसार की वस्तुओं को देखकर बड़ा लालच होता है । लेते - लेते लेने के अंत का ठिकाना नहीं । अधिक - से अधिक लेने की हवस में आदमी अपनी शांति खो बैठता है । अपने को थोड़े में संतुष्ट करो । He who grips much , holds little . अर्थात् बहुत की आकांक्षा करनेवाला थोड़ा ही प्राप्त करता है । 

     अपने जीवन को खाली ( शांति से खाली ) मत बनाओ । अभी जो सुख मिलता है , वह अल्प है । विशेष सुख के लिए दूसरी ओर देखो । संतों ने कहा कि संसार की दूसरी ओर तुम्हारा अंदर है । ∆ ( शान्ति - सन्देश , जनवरी - अंक , सन् १ ९ ८ ९ ई ० ) 



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प्रभु  प्रेमियों ! इस लेख में  लालच क्यों बुरी बला है? लालच बुरी बला है इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं समझाइए? लालच का परिणाम क्या होता है? Lalach Buri Bala Hai Kahani, Lalach buri bala hai in English, 10 lines on Lalach Buri Bala hai इत्यादि बातों को  जाना. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है. जय गुरु महाराज.


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LS08 महर्षि मेँहीँ की बोध-कथाएँ 04 || लालच बुरी बलाय --Lalach Buri Bala Hai Kahani LS08 महर्षि मेँहीँ की बोध-कथाएँ 04 ||  लालच बुरी बलाय --Lalach Buri Bala Hai Kahani Reviewed by सत्संग ध्यान on 8/14/2022 Rating: 5

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