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LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ 02 || हृदय की शुद्धि कैसे होती है ? How is the heart purified?

महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  / 02

     प्रभु प्रेमियों  !  लालदास साहित्य सीरीज के 08 वीं पुस्तक 'महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ '  के इस लेख में  तीर्थों भ्रमण करने से मनुष्य के आंतरिक विकार नही जातें हैं? आंतरिक विकार सत्संग करने, ध्यान करने और सद्गुरु कृपा से दूर होता है. इस बात को दो भाइयों के कहानी से बहुत अच्छा से समझाया गया है। 

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LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  पर चिंतन करते लेखक संतमत के वेदव्यास स्वामी लालदास लालदासजी महाराज, LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  पर चिंतन करते लेखक
संतमत के वेदव्यास स्वामी लालदास लालदासजी महाराज

२.  हृदय की शुद्धि कैसे होती है ? 


     दो भाई थे । बड़े भाई ज्ञानी , भक्त और सत्संगी थे । छोटा भाई संसारी और घर का कारबारी था । कारबार करते - करते छोटे भाई का मन एक बार ऊबा और बड़े भाई के पास जाकर उसने कहा- " अगर आप आज्ञा दीजिए ,  तो मैं कुछ काल के लिए यात्रा करूँ , तीर्थों में जाकर स्नान करूँ और धामों में जाकर देव मूर्तियों के दर्शन करूँ ? " बड़े भाई ने कहा- " बहुत अच्छा , जाओ और कुशलपूर्वक लौट आओ । मेरी इस समूची कोरी तुमड़ी को अपने साथ लेते जाओ । जिस - जिस तीर्थ में तुम स्नान करना , उस - उस तीर्थ में इस तुमड़ी को भी स्नान करा देना और जिस - जिस धाम में तुम दर्शन करना , उस उस धाम में इसको भी दर्शन करा देना । " 

|  हृदय की शुद्धि

     छोटा भाई उस तुमड़ी को लेकर चल पड़ा । कुछ दिनों के बाद तीर्थयात्रा करके तुमड़ी को लेते हुए घर लौटा । बड़े भाई को प्रणाम करके उस तुमड़ी को सामने रख दिया ।

     छोटे भाई को देखकर बड़ा भाई बड़ा प्रसन्न हुआ तथा आशीर्वाद दिया । उस तुमड़ी को बड़े भाई ने विधि से काटा और उसके भीतर का गूदा निकाल दिया । उस तुमड़ी के भीतर जल रखनेयोग्य स्थान हो गया । उसमें जल भरकर बड़े भाई ने छोटे भाई से कहा- " इस जल को जरा चखो । ” छोटे भाई ने वैसा ही किया । मुँह में उस जल को रखते ही छोटे भाई ने उस जल को कुल्ली से फेंक दिया और बड़े भाई से कहा- “ यह जल नीम - सा तीता है । " 

     बड़े भाई ने कहा- “ तीर्थों में स्नान करके और देव - मंदिरों में देव - मूर्तियों के दर्शन करके भी इस तुमड़ी के भीतर को कड़वाई दूर नहीं हुई । इसी तरह उपर्युक्त कामों से किसी के भीतर की मैल दूर नहीं होती और हृदय की शुद्धि नहीं होती , यह तो सत्संग और भजन से ही होता है । ” ∆ ( संतवाणी सटीक , पृष्ठ ३० ) 


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प्रभु  प्रेमियों ! इस लेख में  शुद्धि के लिए क्या करें? अपने घर को पवित्र करें? मन को शुद्ध कैसे करें? आत्मा को शुद्ध कैसे करें? अंतःकरण का अर्थ, शुद्ध अंतःकरण meaning in हिंदी, जड अंतःकरण वाक्यात उपयोग, इत्यादि बातों को  जाना. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है. जय गुरु महाराज.


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LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ 02 || हृदय की शुद्धि कैसे होती है ? How is the heart purified? LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ 02 ||  हृदय की शुद्धि कैसे होती है ? How is the heart purified? Reviewed by सत्संग ध्यान on 8/13/2022 Rating: 5

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