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शब्दकोष 12 || एकचित्त से ओर तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और शब्दों के प्रयोग इत्यादि

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष / ए+ओ

        प्रभु प्रेमियों ! ' महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोश ' नाम्नी प्रस्तुत लेख में ' मोक्ष - दर्शन ' + 'महर्षि मेँहीँ पदावली शब्दार्थ भावार्थ और टिप्पणी सहित' + 'गीता-सार' + 'संतवाणी सटीक' आदि धर्म ग्रंथों में गद्यात्मक एवं पद्यात्मक वचनों में आये शब्दों के अर्थ लिखे गये हैं । उन शब्दों को शब्दार्थ सहित यहाँ लिखा गया है। ये शब्द किस वचन में किस लेख में प्रयुक्त हुए हैं, उसकी भी जानकारी अंग्रेजी अक्षर तथा संख्या नंबर देकर कोष्ठक में लिंक सहित दिया गया है। कोष्ठकों में शब्दों के व्याकरणिक परिचय भी देने का प्रयास किया गया है और शब्दों से संबंधित कुछ सूक्तियों का संकलन भी है। जो पूज्यपाद लालदास जी महाराज  द्वारा लिखित व संग्रहित  है । धर्मप्रेमियों के लिए यह कोष बड़ी ही उपयोगी है । आईए इस कोष के बनाने वाले महापुरुष का दर्शन करें--.

उक्ति - ऋषि  तक के शब्दों का अर्थ पढ़ने के लिए   👉  यहां दवाएं

सद्गुरु महर्षि में और बाबा लाल दास जी
बाबा लालदास जी और सद्गुरु महाराज

महर्षि मेँहीँ+मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष

एकचित्त - ओर

ए+ओ


एकचित्त ( सं ० , वि ० ) = एक चित्तवाला , एकाग्र या सिमटा हुआ मनवाला । 

(एकता = एक होने भाव । P07

(एकता का = एक होने का , एक हो जाने का । P06 ) 

एकदेशीय ( सं ० वि ० ) = एक . देश से संबंध रखनेवाला , किसी स्थान विशेष तक ही अपनी सीमा या स्थिति रखनेवाला । 

एकमेक ( सं ० , वि ० ) = एक - ही एक , किसी से मिलकर उसी के जैसा हो गया हुआ । 

एकविन्दुता ( सं ० , स्त्री ० ) = दशम द्वार में दिखलायी पड़नेवाले ज्योतिर्मय विन्दु पर देर तक सुरत के अवस्थित रहने की दशा ।

(एक सर्वेश्वर पर ही अचल विश्वास - परमात्मा एक ही है - इसपर अटल विश्वास होना । P06 ) 

एकाग्र ( सं ० , वि ० ) = स्थिर किया हुआ , सिमटा हुआ , किसी एक पदार्थ पर स्थिर , सामने के किसी एक ध्येय तत्त्व या लक्ष्य पर समेटा हुआ या सिमटा हुआ ।


 ओ 


ओत - प्रोत ( सं ० , वि ० ) = गुँथा हुआ , बुना हुआ , पूरी तरह भरा हुआ , फैला हुआ , मिला हुआ । 

ओम् ( सं ० , पुं ० ) = जिससे सृष्टि हुई है । आदिशब्द ।

{ओम् = आदिनाद , सारशब्द । ( सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज ओम् को त्रिकुटी का शब्द नहीं , कैवल्य मंडल का शब्द मानते हैं । ) P01 }

ओर ( हिं ० , स्त्री ० ) = तरफ , दिशा ।



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     प्रभु प्रेमियों ! संतमत की बातें बड़ी गंभीर हैं । सामान्य लोग इसके विचारों को पूरी तरह समझ नहीं पाते । इन पोस्टों  में संत , संतमत , संतमत की उपयोगिता , जड़ प्रकृति , चेतन प्रकृति , आदिनाद , सृष्टि - क्रम , सृष्टि के मंडल , जीव , ब्रह्म , ईश्वर , परमेश्वर , ईश्वर की भक्ति , परम मुक्ति , संतमत की साधना - पद्धतियों ( मानस जप , मानस ध्यान , दृष्टियोग तथा शब्द - साधना ) , साधना - पद्धतियों के अभ्यास से उत्पन्न अनुभूतियों , सद्गुरु की महत्ता , यम - नियम , साधकों के आहार-विहार, सत्संग,  एकचित्त, एकदेशीय, एकमेक, एकबिंदुता, एकाग्र, ओतप्रोत, ओम्, ओर, आदि से संबंधित बातों पर चर्चा की गई हैं । 



मोक्ष दर्शन का शब्दकोश
मोक्ष-दर्शन का शब्दकोष 

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शब्दकोष 12 || एकचित्त से ओर तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और शब्दों के प्रयोग इत्यादि शब्दकोष 12 ||  एकचित्त  से  ओर  तक के शब्दों के शब्दार्थ, व्याकरणिक परिचय और शब्दों के प्रयोग इत्यादि Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/13/2021 Rating: 5

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