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LS03 04 शब्द माध्यम में कैसे चलता है || ध्वनि की चाल क्या है || ध्वनि क्या है इन हिंदी

संतमत का शब्द-विज्ञान / 04

     प्रभु प्रेमियों  !   संतमत का शब्द-विज्ञान पुस्तक की चौथे लेख शब्द माध्यम में कैसे चलता है ?  में पूज्यपाद लालदास जी महाराज शब्द से संबंधित बातों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि-  ध्वनि की तरंगे किस तरह चलती है?  हम शब्द कैसे सुनते हैं?  ध्वनि और कंपन में क्या अंतर है ? गति और शब्द में क्या संबंध है? हम सभी शब्दों को क्यों नहीं सुन पाते हैं? योगी लोग बारिक शब्द कैसे सुनते हैं?  आदि बातें. इन बातों को अच्छी तरह समझने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें-

इस पोस्ट के पहले वाले पोस्ट में सब्द की महिमा के बारे में बताया गया है उसे पढ़ने के लिए     👉 यहां दबाएं.

शब्द माध्यम में कैसे चलता है


६. शब्द माध्यम में कैसे चलता है : 

       किसी शान्त सरोवर में पत्थर का एक ढेला फेंक देने पर जल का एक विशेष भाग क्षुब्ध हो जाता है , जिससे जल ऊपर होने लगता है और लहरें उत्पन्न होकर किनारे की ओर बढ़ती जाती हैं । सरोवर में कहीं एक पत्ता पड़ा हो , तो देखा जाता है कि वह इन लहरों के साथ आगे नहीं बढ़ता , वह एक ही स्थान पर ऊपर - नीचे काँपता रहता है । इससे सिद्ध होता है कि जल एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जाता , केवल लहरें आगे बढ़ती जाती हैं । 

      जिस प्रकार जल की लहरें एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं ; परन्तु जल नहीं , उसी प्रकार ध्वनि की तरंगें भी किसी माध्यम में आगे बढ़ती हैं ; परन्तु माध्यम का कण आगे नहीं बढ़ता , वह अपने ही स्थान पर ध्वनि - गमन की दिशा में आगे - पीछे काँपता रहता है । जब जल में ही उत्पन्न होती हैं , तो जल का कण लगभग ऊपर - नीचे काँपता रहता है , आगे - पीछे नहीं । 

      बहुत - से पदार्थों का काँपना देखा जा सकता है या स्पर्श करके अनुभूत किया जा सकता है ; परन्तु उससे उत्पन्न शब्द अदृश्य है , उसे केवल सुना ही जा सकता है । जल की लहरों को हम देख पाते हैं ; परन्तु ध्वनि की लहरों को हम देख नहीं पाते । कंपन स्थूल है और ध्वनि उसकी अपेक्षा सूक्ष्म

     किसी पदार्थ के दो परमाणुओं के बीच जगह होती है । परमाणु पदार्थ का सूक्ष्मतम कण है । जब घंटी बजती है , तो उसके सभी कण अगल - बगल काँपने लगते हैं । उन कणों के संपर्क में वायु के जो कण होते हैं , वे भी घंटी के काँपते हुए कणों से आघात खाकर काँपने लगते हैं । इस  प्रकार घंटी और कानों के बीच की वायु के सभी कण आगे - पीछे काँपने लगते हैं । वायु का काँपता हुआ कण कान के पर्दे में भी कंपन पैदा कर देता है । यह कंपन हमारे मस्तिष्क को अनुभूत होता है और इस प्रकार हमें शब्द की संवदेना होती है । इसी प्रकार की बात ठोस और तरल पदार्थों में भी होती है ।


 ७. शब्द से खाली संसार का कोई भी स्थान नहीं : 

      ऐसा संभव नहीं है कि किसी पदार्थ के कंपन से शब्द हो और किसी पदार्थ के कंपन से शब्द नहीं हो । जहाँ कुछ भी कंपन या गति है , वहाँ शब्द अवश्य होगा । भले ही कुछ शब्दों को हम सुन पाएँ और कुछ को नहीं सुन पाएँ । शरीर बढ़ता है , नाड़ी चलती है , पृथ्वी चलती है , विद्युत् धारा प्रवाहित होती है सबसे शब्द होता है ; परन्तु सब शब्दों को हम नहीं सुन पाते । इसका कारण यह है कि हमारी कर्णेन्द्रिय की श्रवण शक्ति सीमित है । 

     सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज कहते हैं- “ संसार में बिना शब्द के कोई जगह नहीं है । शब्द कैसे होता है ? शब्द संघर्ष से होता है , गति से होता है । गति कहते हैं चलने को , कम्प को । तारे चलते हैं , पृथ्वी चलती है - सबकी गति में शब्द होता है ; किन्तु सुन नहीं पाते । गति में ध्वनि है । संसार के सब पदार्थों में गति है । बिना शब्द के संसार का एक रत्ती भी स्थान खाली नहीं है । हमलोगों का शरीर बढ़ता है , इसमें भी गति होती है ; परन्तु इसके शब्द को हम सुन नहीं पाते । 

     नाड़ियाँ चलती हैं , इनसे भी आवाज होती है । जहाँ कुछ गति है , संचालन है , वहाँ ध्वनि है । संसार गतिशील है , इसलिए संसार शब्दों से भरा हुआ है । आपके शरीर में भी शब्द है । स्थूल शब्द को डॉक्टर लोग कान में यंत्र लगाकर सुनते हैं ; किन्तु बारीक शब्द को नहीं सुन पाते । बारीक शब्द को आप तब सुन सकते हैं , जब आप विन्दु को प्राप्त कर लें । ( सत्संग - सुधा , द्वितीय भाग , तीसरा प्रवचन ) ∆


आगे है-

८. हम सब शब्दों को क्यों नहीं सुन पाते :

भौतिक शास्त्री कहते हैं कि काँपती हुई वस्तु का ; जैसे दीवाल - घड़ी के दोलक का दायीं ओर से बायीं ओर और बायीं ओर से दायीं ओर आना एक कंपन या आवृत्ति कहलाता है । लहरें उठी हुई नदी के जल का ऊपर......


इस पोस्ट के बाद वाले पोस्ट LS03- 05 में बताया गया है कि
"शब्द माध्यम में कैसे चलता है "इसे अवश्य पढ़ें- उस पोस्ट को पढ़ने के लिए    👉 यहां दबाएं । ( अगला पोस्ट कबतक आयेगा पता नहीं अत: आज ही अपनी प्रति ओनलाइन मंगा लें, क्योंकि कुछ ही पुस्तक प्रकाशित किया गया है. स्टॉक रहने तक ही पुस्तक मिल सकेगी) 


प्रभु प्रेमियों  ! "संतमत का शब्द-विज्ञान" पुस्तक में उपर्युक्त लेख  निम्नांकित प्रकार से प्रकाशित है-


LS03 04   शब्द माध्यम में कैसे चलता है  1

LS03 04   शब्द माध्यम में कैसे चलता है  2

     प्रभु प्रेमियों ! 'संतमत का शब्द-विज्ञान' पुस्तक के उपर्युक्त लेख से हमलोगों ने जाना कि  ध्वनि के कितने प्रकार होते हैं? ध्वनि की चाल क्या है?ध्वनि क्या है इन हिंदी? ध्वनि की तरंग दैर्ध्य कितनी होती है? श्रव्य तरंगे, ध्वनि किसे कहते है Hindi, श्रव्य ध्वनि किसे कहते हैं, ध्वनि का माध्यम किसे कहते हैं, ध्वनि तरंगों की प्रकृति होती है, ,  इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस पोस्ट के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना ईमेल द्वारा नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त वचनों का पाठ किया गया है। इसे भी अवश्य देखें, सुनें और समझें। जय गुरु महाराज!!! 





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LS03 04 शब्द माध्यम में कैसे चलता है || ध्वनि की चाल क्या है || ध्वनि क्या है इन हिंदी LS03 04   शब्द माध्यम में कैसे चलता है  ||  ध्वनि की चाल क्या है  ||  ध्वनि क्या है इन हिंदी Reviewed by सत्संग ध्यान on 12/04/2021 Rating: 5

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