महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मँहीँ परमहंस जी महाराज के जीवन से जुड़े कई रोचक संस्मरणों पुस्तकें उपलब्ध हैं, जो उनके शिष्यों द्वारा लिखे गए हैं। ये संस्मरण उनके व्यक्तित्व, आध्यात्मिक ज्ञान और उनके शिष्यों के प्रति करुणा को दर्शाते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में विशेष रूप से 155 से अधिक संस्मरणों का संग्रह कर प्रकाशित किया गया है । इसके लेखक पूज्यपाद लालदास जी महाराज सद्गुरु महर्षि मँहीँ परमहंसजी महाराज के सानिध्य में 12 वर्षों तक रहे हैं और उनके जीवन को निकटता से देखा है। उनके जीवन से संबंधित संस्मरणों की एक बृहद स्मृति इनके पास है । उन्ही स्मृतियों में से कुछ मधुर एवं शिक्षाप्रद संस्मरणों लिखकर छपाया गया है। आइये इस पुस्तक का संक्षिप्त अवलोकन करते हैं--
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१५५ मधुर एवं शिक्षाप्रद संस्मरणों में गुरदेव की अपूर्व महिमा का वर्णन की पुस्तक का संक्षिप्त विवरण
सद्गुरु महर्षि मँहीँ महाराज के भाव और आचरण को देखकर कई लोग यह कहते थे कि उनको "ईश्वर प्राप्त" हो गया है। इस पर वे अपने प्रवचनों में कहा करते थे कि संतों का विचार ही उनका प्राणधार है, जिसमें वे इतने दृढ़ हैं कि कोई उन्हें डिगा नहीं सकता। यह उनकी अपने मार्ग के प्रति अटूट आस्था को दर्शाता है। उन्होंने अपने महाप्रयाण से पहले अपने शिष्यों को आश्वस्त किया था, "मैं मोक्ष नहीं चाहता हूँ, तुम लोगों के उद्धार के लिए पुनः आऊँगा"। यह उनके शिष्यों के प्रति गहरे प्रेम और कल्याण की भावना को प्रदर्शित करता है। उनकी दिव्य शक्तियों से जुड़े संस्मरण भी मिलते हैं, जिनमें बताया गया है कि वे कभी-कभी दूसरों के मन की बातों को जानकर उसका जवाब देते थे और लोगों के दुखों को दूर करते थे। एक प्रवचन में उन्होंने अपने एक सत्संगी का उदाहरण दिया, जो धान की कटाई के समय अपने परिवार के साथ मिलकर स्तुति और सत्संग करता था। इसके माध्यम से उन्होंने घर-घर में सत्संग और सामूहिक उपासना के महत्व पर बल दिया, ताकि समाज में ईश्वर भक्ति बढ़े और लोग अच्छे कर्मों में संलग्न हों। सद्गुरु महर्षि मँहीँ महाराज ने अपने जीवन में कठोर तपस्या की। संस्मरण बताते हैं कि उनके आश्रम में भक्तजन साधना करते थे और वे स्वयं ध्यान योग में लीन रहते थे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्चे गुरु की दीक्षा से व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। ये संस्मरण महर्षि मेंहीं के सादे जीवन, उच्च विचारों और संतमत के सिद्धांतों के प्रति उनके समर्पण को स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं। आइये ऐसे ही 155 संस्मरणों को प्रस्तुत करने वाली पुस्तक का सिंहावलोकन करें 👇
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 01 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 02 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 03 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 04 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 05 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 06 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 07 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 08 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 09 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 10 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 11 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 12 |
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 | | महर्षि मँहीँ के रोचक संस्मरण 13 |
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 | | महर्षि मेँहीँ के रोचक संस्मरण 14 |
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 | | महर्षि मेँहीँ के रोचक संस्मरण 15 |
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LS35. महर्षि मेँहीँ के मधुर संस्मरण : में सद्गुरु महर्षि मेँहीँ के जीवन के अनुभवों, उनकी शिक्षाओं और उनके शिष्य लालदास जी महाराज द्वारा संकलित प्रसंगों का संग्रह हैं, जो उनकी सरलता, गहन साधना (ध्यान), अलौकिक शक्ति और संतमत के उपदेशों पर आधारित हैं । इनमें दिव्य अनुभव और जीवन को सफल बनाने के उपाय बताए गए हैं, खासकर आंतरिक प्रकाश और ध्वनि योग के माध्यम से। इन संस्मरणों में महर्षि मेँहीँ की सादगी, उनका प्रेम, और उनके जीवन के हर कार्य में झलकने वाला दिव्य ज्ञान मिलता है, जो पाठकों को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। बच्चों, बूढ़ों, किसानों, माताओं-बहनों के लिए सरल कहानियों के रूप में जीवनोपयोगी ज्ञान से भरा हुआ है ये संस्मरण की पुस्तक । (
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