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LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ 01 || एक सफल साधक की कहानी-- साधना में धैर्य और प्रेम चाहिए

महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  / 01

     प्रभु प्रेमियों  !  लालदास साहित्य सीरीज के 08 वीं पुस्तक 'महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ '  के इस लेख में  साधक को दृढ़ विश्वास के साथ साधना करते रहना चाहिए . ईश्वरीय कृपा कभी-न-कभी अवश्य होगी. जल्दी सफलता नहीं मिले तो घबराना नहीं चाहिए, धैर्य के साथ दृढ़तापूर्वक साधना करते रहना चाहिए . इन बातों को बाबा नारद मुनि और दो साधकों के कहानी से बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया गया है.


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LS08 महर्षि मँहीँ की बोध-कथाएँ  पर चिंतन करते लेखक

१. साधना में धैर्य और प्रेम चाहिए 

     एक लघु कथा है । एक राजा के मन में विरक्ति हो गयी । वे एक इसली गाछ के नीचे बैठकर तप करने लगे । एक दूसरा आदमी था , जो अपने परिवार से झगड़ा करके घर से निकल भागा और राजा की नकल में एक अरण्ड पेड़ के नीचे बैठकर तप करने लगा । भगवान् की ओर से राजा के लिए उत्तम भोजन और उस अरण्ड गाछ के नीचे बैठनेवाले के लिए मडुए की रोटी भेजी जाती थी । 

बाबा नारदजी और साधक
बाबा नारद और साधक

     संयोग से एक दिन नारद मुनि उसी होकर जा रहे थे । राजा ने नारदजी से पूछा , “ आप कहाँ जा रहे हैं ? " नारदजी ने कहा , “ मैं विष्णुलोक जा रहा हूँ । ” राजा ने कहा , “ महाराज ! जब आप विष्णु भगवान् के यहाँ जा रहे हैं , तो भगवान् से आप पूछेंगे कि मुझे इस इमली गाछ के नीचे कितने दिनों तक तप करने पर उनके दर्शन होंगे ? ” नारदजी ने कहा , “ अच्छा , ठीक है । मैं पूछ लूंगा । "

     नारदजी आगे बढ़े , तो अरण्ड गाछ के नीचे बैठनेवाले ने भी उनमें कहा कि महाराज ! केवल राजा के लिए ही नहीं , मेरे लिए भी भगवान से पूछेंगे कि मुझे इस अरण्ड गाछ के नीचे कितने दिनों तक तप करना होगा ? नारदजी ने कहा कि बहुत अच्छा , तुम्हारे लिए भी मैं भगवान् से पूछ लूँगा । 

     नारदजी जब भगवान् विष्णु के पास पहुँचे , तो भगवान् विष्णु से उन्होंने पूछा कि भगवन् ! एक राजा इमली गाछ के नीचे बैठकर तप कर रहे हैं और एक दूसरा आदमी अरण्ड गाछ के नीचे बैठकर तप कर रहा है । दोनों ने पूछा है कि उनलोगों को भगवान् के दर्शन के लिए कितने दिनों तक तप करना होगा ?

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज ध्यान में
महर्षि मेंहीं परमहंसजी

     भगवान् विष्णु ने कहा कि इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं , उतने वर्षों तक राजा को तप करने के बाद मेरे दर्शन होंगे और अरण्ड गाछ के नीचे जो बैठा है , अरण्ड वृक्ष में जितने पत्ते हैं , उतने वर्षों तक उसको भी तप करना होगा , तब मेरे दर्शन होंगे । 

     नारदजी जब भगवान् विष्णु के यहाँ से वापस लौटे , तो पहले अरण्ड वृक्षवाले से भेंट हुई । नारदजी ने उससे कहा कि इस अरण्ड वृक्ष में जितने पत्ते हैं , उतने वर्षों तक तुमको यहाँ तप करना होगा । ऐसा तुम्हारे लिए भगवान् विष्णु ने कहा है । वह आदमी जब अरण्ड गाछ के पत्तों को देखने लगा , तो बहुत - से पत्तों को देखकर घबड़ा गया और यह सोचकर चल दिया कि इतनो वर्षों तक कौन तप करे ! इससे तो घर का झगड़ा ही सही , घर ही में रहूँगा । वह अपने घर वापस हो गया । 

     जब नारदजी राजा के पास पहुँचे , तो राजा ने बड़ी आतुरता से उनसे पूछा कि महाराज ! मेरे संबंध में भगवान् से जानकारी ली थी ? नारदजी ने कहा कि हाँ , भगवान् विष्णु ने आपके लिए कहा कि इस इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं , उतने वर्षों तक आपको तप करना होगा , तब आपको भगवान् दर्शन देंगे ।

सूक्तियों के लेखक बाबा लालदास जी महाराज
लेखक

    यह सुनते ही राजा प्रेम में मग्न हो गये और नाचने लगे । राजा को खुशी थी कि भगवान् के कभी तो दर्शन होंगे ! इतने में भगवान् विष्णु वहाँ पहुँच गये । नारदजी ने भगवान् से पूछा कि आपने तो हद कर दी । मुझसे तो  आपने कहा था कि इमली वृक्ष में जितने पत्ते हैं , उतने वर्षों तक तप करने के बाद राजा को आपके दर्शन होंगे ; लेकिन आप तो तुरंत ही आ गये । 

     भगवान् विष्णु ने कहा कि देखते हैं , राजा को कितना प्रेम है । इनके प्रेम के वशीभूत होकर ही मैं अभी तुरंत यहाँ चला आया । जिस समय आपको इन्होंने मुझसे पूछने के लिए कहा था , उस समय ऐसा प्रेम इनमें नहीं था । 

     हमलोगों को खुश होना चाहिए कि जैसे इमलीवाले का काम खत्म हुआ , उसी तरह हमलोगों का भी काम खत्म होगा । गुरु महाराज की दया से हमलोग भी जन्म - मरण के चक्र से जल्दी छूट जाएँगे । ∆ ( शान्ति - सन्देश , अप्रैल - अंक , सन् १ ९९ ६ ई ०


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