शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएँ
Ek Vajeer kee Sadbhaavana ।। जीवन का उद्देश्य क्या है
प्रभु प्रेमियों ! इस पुस्तक की प्रथम कहानी "एक वजीर की सद्भावना" में आप जानेंगे कि आपके जीवन का उद्देश्य क्या है? जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहिए? इस संबंध में शेख शादी के विचार क्या हैंं? इसके साथ ही आप निम्न बातों पर भी कुछ-न-कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं; जैसे कि जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या है? मानुष जन्म का मुख्य उद्देश्य क्या है? जीवन का सही अर्थ क्या है? जीवन का अर्थ क्या है? मनुष्य जीवन का चरम लक्ष्य क्या है? जन्म और जीवन क्या है? मनुष्य जीवन का सार क्या है? हमारा जीवन क्या है? जीवन का उद्देश्य पर कहानी, जीवन का उद्देश्य क्या है शेख शादी, जीवन का उद्देश्य क्या है in Hindi, जीवन क्या है हिन्दी में, मानव जीवन का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति, आदि बातें। आइए इन बातों को समझें-
१. एक वजीर की सद्भावना
एक बादशाह ने एक कैदी को मृत्यु दंड दे दिया । जब कैदी जीवन से निराश हो गया , तो वह क्रोध में आकर बादशाह को गालियाँ देने लगा । कहावत मशहूर है कि जो आदमी जान से हाथ धो लेता है , वह कुछ भी कहने - सुनने से नहीं डरता । जब दुश्मन फँस जाता है और उसे बच निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझता , तो वह हाथ से तलवार की पैनी नोक को पकड़ लेता है । मनुष्य जब जीवन से निराश हो जाता है , तो वह निडर होकर अनाप - शनाप बकने लगता है । बिल्ली जब कुत्ते के चंगुल में फँस जाती है , तो वह एकदम उसके ऊपर झपटती है ।
बादशाह ने पूछा , “ यह कैदी क्या कह रहा है ? " एक समझदार वजीर ( मंत्री ) ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया , “ हुजूर ! कैदी कह रहा है कि वे लोग कितने अच्छे होते हैं , जो क्रोध को पी जाते हैं और दूसरों को क्षमा कर देते हैं । " यह सुनकर बादशाह को कैदी पर दया आ गयी । उसने उसे दंड देने का इरादा बदल दिया ।
शेख शादी |
एक दूसरे वजीर ने , जो उस वजीर से जलता था , कहा , “ हुजूर ! हमलोगों का फर्ज तो यह है कि आपको ठीक सलाह दें और सच बात को साफ - साफ कह दें । इस कैदी ने हुजूर को गालियाँ दी हैं और जो नहीं कहना चाहिए था , वह कहा है । इसलिए इसे क्षमा नहीं किया जा सकता । "
बादशाह को इस दूसरे वजीर की बात पसन्द नहीं आयी । उसे क्रोध आ गया । उसने कहा , “ मुझे उसी वजीर की बात ठीक ऊंची । उसका झूठ भी तेरे सच से अच्छा है ; क्योंकि उसके दिल में भलाई करने का इरादा था । " किसी आलिम ( विद्वान् ) ने ठीक ही कहा है कि दूसरों का अहित करनेवाले सच से वह झूठ कहीं अच्छा है , जिससे किसी की जान बचती हो । बादशाह यदि अपने वजीर की सहायता से काम करे , तो वजीर को भी चाहिए कि वह जो सलाह दे, वह प्रजा के हित में हो ।∆
कोई टिप्पणी नहीं:
सत्संग ध्यान से संबंधित प्रश्न ही पूछा जाए।