जीवन-दर्शन
'जीवन-दर्शन' नाम्नी पुस्तक में शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान, सत्य नियम, इस पुस्तक में चार साधनों से प्राप्त बातें हो सकती हैं; जैसे विचारी हुई या स्वयं अनुभव की हुई। इस पुस्तक का पाठ करके लोगों को आत्म कल्याण करने में महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। ऐसा मेरा विश्वास है। आईये इस पुस्तक का सिहाबलोकन करें।
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'जीवन-दर्शन' अनमोल सूक्तियों की पुस्तक
प्रभु प्रेमियों ! इस पुस्तक में चार साधनों से प्राप्त बातें हो सकती हैं; जैसे समाज में देखी हुई, पुस्तकों में पढ़ी हुई, किसी से सुनी हुई और स्वयं विचारी हुई या स्वयं अनुभव की हुई।
इसमें १,२१० सूक्तियों का संकलन किया गया है। ये सूक्तियाँ शुच्याचार, शिष्टाचार, सामाजिक व्यवहार, नीति, मनोविज्ञान, सत्य नियम, अध्यात्म-ज्ञान और मोक्ष-धर्म आदि विषयों से संबंध रखती हैं।
पुस्तक के वचनों को कई दशकों में बाँटकर संकलित किया गया है। वे वचन विषयबद्ध नहीं किये जा सके हैं।
जीवन पथ को प्रकाशित करने वाली इन अनमाेल सूक्तियाँ का पाठ करके और जीवन में उतार कर पाठक अपना वर्तमान और भविष्य का निर्माण करने में कुछ भी लाभ उठा सके तो लेखक और प्रकाशक मेहनत सफल हो सकेगा। आइये इस पुस्तक के महत्व पूर्ण अंगों का दर्शन करें।
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