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LS15 अंगिका शतक भजनमाला || १६ मध्यकालीन,आधुनिक और वर्तमान संतों के सरस,गेय और भावपूर्ण १६२ पदों का संकलन

LS15 अंगिका शतक भजनमाला

     प्रभु प्रेमियों  ! लालदास साहित्य सीरीज के 15 वीं  पुस्तक  "अंगिका शतक भजनमाला"  है. इसमें कबीर साहब, धनी धर्मदासजी, गरीबदासजी, महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज, श्री शाही स्वामीजी महाराज जैसे १६ मध्यकालीन, आधुनिक और वर्तमान संत-महात्माओं के अत्यंत सरस, गेय और भावपूर्ण १६२ पद संकलित किये गये हैं, जिनमें से अधिकांशतः अंगिका के ही पद हैं। ये पद विभिन्न विषयों, रागों और छंदों से संबंध रखते हैं; जैसे चेतावनी, स्तुति प्रार्थना, आत्मोद्गार, विरह-वेदना, निर्गुण, स्वागत गान, विदाई - गान, समदन, लगनी, सोहर, जतसार, होली, बिरहा, मंगल आदि ।  आइए इस पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त करें-

अंगिका शतक भजनमाला

१६ मध्यकालीन,आधुनिक और वर्तमान संतों के सरस,गेय और भावपूर्ण १६२ पदों का संकलन

     प्रभु प्रेमियों ! 'अंगिका शतक भजनमाला' पुस्तक के संपादक इस पुस्तक के प्रस्तावना में लिखते हैं- "माता की गोद में हँसते-खेलते जो भाषा हम सीखते हैं, वह हमारी मातृभाषा कहलाती है। इस तरह हम देखते हैं कि हमारी मातृभाषा वह है, जिसे हम संसार में आने पर पहले-पहल माता द्वारा सुनकर सहज रूप से सीखते हैं। जन्म की भाषा होने के कारण मातृभाषा हमारी सहज भाषा होती है। यही कारण है कि मातृभाषा शुद्ध शुद्ध बोलने के लिए हमें भाषा का व्याकरण नहीं पढ़ना पड़ता और मस्तिष्क पर भी जोर नहीं लगाना पड़ता । जीवन के आरंभिक दिनों से ही मातृभाषा से लगाव रहने के कारण मातृभाषा के प्रति ममत्व और प्रेम का होना स्वाभाविक ही है।

     बिहार और झारखंड प्रान्त के भागलपुर, मुंगेर, बाँका, मधेपुरा, पूर्णियाँ, अररिया, कटिहार, सहर्षा, सुपौल, खगड़िया, साहेबगंज, देवघर, गोड्डा, संतालपरगना, पाकुड़ आदि अनेक जिलों के अधिकांश निवासियों की मातृभाषा अंगिका है। अंगिका भाषा में बने गीतों की ओर अंगिका भाषी बच्चे से लेकर वृद्ध स्त्री-पुरुष तक विशेष रूप से आकृष्ट होते हैं। जिस अंगिका गीत में नारी जीवन से संबंधित शब्द-समूह जुड़ा रहता है, उसके गायन में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ अधिक रुचि लेती दिखाई पड़ती हैं।

     "अंगिका शतक भजनमाला' अंगिका भाषी धर्मप्रेमियों के लाभ के लिए प्रकाशित करायी गयी है, जिसमें कबीर साहब, धनी धर्मदासजी, गरीबदासजी, महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज, श्री शाही स्वामीजी महाराज जैसे १६ मध्यकालीन, आधुनिक और वर्तमान संत-महात्माओं के अत्यंत सरस, गेय और भावपूर्ण १६२ पद संकलित किये गये हैं, जिनमें से अधिकांशतः अंगिका के ही पद हैं। ये पद विभिन्न विषयों, रागों और छंदों से संबंध रखते हैं; जैसे चेतावनी, स्तुति प्रार्थना, आत्मोद्गार, विरह-वेदना, निर्गुण, स्वागत गान, विदाई - गान, समदन, लगनी, सोहर, जतसार, होली, बिरहा, मंगल आदि ।

'अंगिका शतक भजनमाला' से पहले ऐसी कोई पुस्तक नहीं देखी गयी थी, जिसमें संत और भक्त कवियों के केवल अंगिका-पद ही संकलित किये गये हों । इस पुस्तक को देखकर अंगिका भाषी भक्तों को अत्यन्त हर्ष होगा और वे इसे अपनाकर इससे आध्यात्मिक लाभ उठाएँगे ऐसा मेरा विश्वास है। जय गुरु !
                                          - छोटेलाल दास ६-१-२००७ ई०"

तो आइये इसको अनमोल और मनोहर पुस्तक का सिंहावलोकन  निम्न चित्रों के माध्यम से करें--


अंगिका शतक भजनमाला

अंगिका शतक भजनमाला२

अंगिका शतक भजनमाला२

अंगिका शतक भजनमाला३

अंगिका शतक भजनमाला४

अंगिका शतक भजनमाला५

अंगिका शतक भजनमाला६

अंगिका शतक भजनमाला७

अंगिका शतक भजनमाला८

अंगिका शतक भजनमाला९

अंगिका शतक भजनमाला.


     प्रभु प्रेमियों ! 'अंगिका शतक भजनमाला' पुस्तक के बारे में इतनी अच्छी जानकारी के बाद आपके मन में अवश्य विचार आ रहा होगा कि यह पुस्तक हमारे पास अवश्य होना चाहिए, इसके लिए आप "सत्संग ध्यान स्टोर" से इसे ऑनलाइन मंगा सकते हैं और महर्षि मेंहीं आश्रम, कुप्पाघाट के पास से भी इसे ऑफलाइन में खरीद सकते हैं. आपकी सुविधा के लिए 'सत्संग ध्यान स्टोर' का लिंक नीचे दे रहे हैं-


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     प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज में आपने 'अंगिका शतक भजनमाला नामक पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे से समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.


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