प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज के 19 वीं पुस्तक "संत कबीर-भजनावली" है. इसमें उत्तरी भारत में प्रसिद्ध सभी भजनों सहित 'कबीर - शब्दावली' और 'कबीर - बीजक' के महत्वपूर्ण भजनों का संकलन हैं । ये भजन भाव, छन्द, गेयता, प्रामाणिकता और प्रसिद्धि की दृष्टि से सबसे अच्छे हैं । इन भजनों में संत कबीर साहेब अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के सभी आवश्यक ज्ञान का संकेत करते हैं। इसलिए उनको ये सभी भजन बहुत प्यारे लगते थे. अगर हमें भी उसी लक्ष्य को पाना है तो हमें इन भजनों कंठस्थ करना चाहिए। आइए इस पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त करें-
उत्तरी भारत में प्रसिद्ध सभी 169 सरस और गेय भजनों के अपूर्व संकलन
प्रभु प्रेमियों ! संत कबीर भजनावली पुस्तक के संपादक इस पुस्तक के प्रस्तावना में लिखते हैं- "'संत कबीर भजनावली' नाम्नी प्रस्तुत पुस्तक में संत कबीर साहब के चुने हुए १६९ सरस और गेय भजनों का संकलन किया गया है। यह अपने-आपमें एक अनूठा संकलन है और आजतक इसके जोड़ का दूसरा कोई संकलन नहीं निकल पाया है। संत कबीर साहब के जितने भजन उत्तरी भारत में प्रसिद्धि को प्राप्त हो गये हैं, उन सभी भजनों का इस संकलन में समावेश कर दिया गया है। इसके अधिकांश भजन 'कबीर - शब्दावली' से लिये गये हैं और कुछ थोड़े-से 'कबीर - बीजक' से।
इस पुस्तक के प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि हमारे धर्मप्रेमी महानुभावों को अलग से संत कबीर साहब के चुने हुए भजनों की कॉपी बनाने की आवश्यकता न पड़े।
आइये इसको निम्न चित्रों में प्रकाशित रूप में देखें--
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प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज में आपने 'संत कबीर-भजनावली' नामक पुस्तक के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे से समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.
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