महर्षि मेँहीँ : जीवन और उपदेश / उपदेश 01
प्रभु प्रेमियों ! पिछले पोस्ट में हमलोगों ने सदगुरु महर्षि मँहीँ के जीवन के बारे में जाना है. इस पोस्ट में शब्द से सृष्टि हुई है, शब्द की उतपति कैसे हुई है के बारे में जानेगें.
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१. शब्द से सृष्टि हुई है
जिधर से शब्द आता है , उधर को सुननेवाला खिंचता है । पशु भी मनुष्य की वाणी सुनकर मनुष्य के पास आता है । जिस आवाज से कुत्ते को पुकारा जाता है , उस आवाज से पुकारने पर कुत्ता उधर ही दौड़ता है , जिधर से शब्द आता है । साँप भी शब्द सुनकर उस ओर आता है । मेरे कहने का मतलब है कि विषधर साँप भी शब्द के उद्गम स्थान की ओर आता है ।
बहुत दिन पहले एक कुत्ता मेरे साथ - साथ चलता था । एक दिन मैं सत्संग - मंदिर में चला गया । लोग सब शामियाने में बैठे हुए थे । मेरी आवाज सुनकर वह कुत्ता मेरे पास चला आया । मैंने डाँट दी , तब वह बाहर चला गया ।
लोग शब्द की उत्पत्ति को नहीं जानते हैं । बिना शब्द वा कम्प के कुछ नहीं बन सकता । परमात्मा - कृत सृष्टि है । उन्होंने मौज की । मौज कम्पस्वरूप है । कम्प शब्द के बिना नहीं होता । कम्प शब्द के साथ रहता है और शब्द कम्प के साथ किसी शब्द को सुनते हो और किसी शब्द को नहीं सुनते हो । वैज्ञानिकों ने इसकी जाँच की है । तीस हजार फ्रीक्वेंसी ( आवृत्ति संख्या ) तक के शब्द को सकते हो , बीस हजार से नीचे की फ्रीक्वेंसीवाले सुन शब्द को सुन नहीं सकते । कम्प के बिना कुछ नहीं बनता । इसलिए शब्द से सृष्टि हुई है ।
जो शब्द जिस सृष्टि के लिए होता है , वह शब्द उस सृष्टि के कण कण में समा जाता है । जो शब्द समस्त सृष्टियों में व्याप्त है , उसको जो पकड़ता है , वह ईश्वर तक पहुँचता है ; क्योंकि उस शब्द की उत्पत्ति ईश्वर से हुई है । अपने अंदर ध्यान करो । ध्यान करते - करते एक दिन ऐसा होगा- ' शब्द सिंध में जाय सिरानी । ' जैसे सभी नदियों की गूँज समुद्र में समाप्त हो जाती है , उसी प्रकार सभी शब्द उसमें लय हो जाते हैं । केवल एक शब्द रह जाता है । वह शब्द तबतक अभ्यासी सुनता रहता है , जबतक उसका जीवन रहता है । वह शब्द भी ईश्वर में लय हो जाता है । वह शब्द निर्गुण है , वह मुँह से बोला नहीं जाता । ( शान्ति - सन्देश , अक्टूबर - अंक , सन् १ ९ ६७ ई ० ) ∆
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प्रभु प्रेमियों ! लालदास साहित्य सीरीज में आपने 'महर्षि मँहीँ जीवन और उपदेश' नामक पुस्तक से सद्गुरु महर्षि मेंहीं के बारे में जानकारी प्राप्त की. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। ऐसा विश्वास है .जय गुरु महाराज.
LS09 महर्षि मेँहीँ जीवन और उपदेश
महर्षि मेँहीँ जीवन और उपदेश |
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