LS14 छंद-योजना 15 || चौपई, चौपाई में क्या अंतर है? चौपई, चौपाई, गोपी और चौबोला छंदों का सउदाहरण वर्णन,
महर्षि मँहीँ-पदावली' की छंद-योजना / 15
चौपई, चौपाई में क्या अंतर है? चौपई, चौपाई, गोपी और चौबोला छंदों का सउदाहरण वर्णन,
पिछले पोस्ट का शेष-
५. चौपई :
इस छंद का दूसरा नाम जयकरी है । इसमें १५-१५ मात्राएँ होती हैं और अंत में गुरु - लघु ( 51 ) ; यथा-
रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम ॥
( यहाँ ' पतित ' का उच्चारण ' पतीत ' की तरह करना होगा । )
अनहद में धुन सत लौ लाय । भवजल तरिबो यही उपाय | ( पदा ० , ५८ वाँ पद्य )
पदावली के ५८ वें पद्य में कुछ चरण चौपई के हैं ।
चौपई के चरण के आरंभ में १ मात्रा का अक्षर जोड़ देने पर शृंगार छंद का चरण बन जाता है ।
संत लालदास |
' चौपाई ' शब्द में ६ मात्राएँ हैं और ' चौपई ' शब्द में ५ मात्राएँ अर्थात् ' चौपई ' में ' चौपाई ' से १ मात्रा कम है । इसी तरह चौपई छंद में चौपाई छंद से एक मात्रा कम ( १५ मात्राएँ ) होती है । यदि किसी चौपाई के चरण के अंत में दो गुरु ( 55 ) हों और सबसे अंतवाले गुरु को लघु कर दिया जाए , तो वह चरण चौपई का हो जाएगा
मति कीरति गति भूति भलाई । जब जेहिं जतन जहाँ जेहिं पाई ॥ सो जानब सतसंग प्रभाऊ । लोकहुँ बेद न आन उपाऊ ॥ बिनु सतसंग बिबेक न होई । राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ॥ सतसंगत मुद मंगल मूला । सोइ फल सिधि सब साधन फूला ।
मानस की उपरिलिखित चौपाई छंद को चौपई में इस तरह बदला जा सकता है--
मति कीरति गति भूति भलाइ । जब जेहिं जतन जहाँ जेहिं पाइ ॥ सो जानब सतसंग प्रभाउ । लोकहुँ बेद न आन उपाठ ॥ बिनु सतसंग बिबेक न होइ । राम कृपा बिनु सुलभ न सोइ | सतसंगत मुद मंगल मूल । सोइ फल सिधि सब साधन फूल ॥
इसी तरह चौपई के चरण के अंतिम लघु को गुरु कर दिया जाए , तो वह चरण चौपाई का हो जाएगा ; जैसे नीचे के चौपई के चरण को चौपाई का चरण बनाना हो , तो ' विचार ' को ' विचारा ' और ' संसार ' को ' संसारा ' करना पड़ेगा ।
प्रेम सखी तुम करो विचार । बहुरि न आना यहि संसार | ( संत कबीर )
६. गोपी छंद :
इसके प्रत्येक चरण में १५-१५ मात्राएँ होती हैं । चरण के आरंभ में एक त्रिकल होता है और अंत में गुरु ( 5 ) । उदाहरण--
खुले आकाश भरे तारा । दीप टेम हरे अँधियारा ॥
पदावली के ५ ९वें पद्य में गोपी छन्द के ये दो चरण आये हैं ।
७. चौबोला छंद :
इसके प्रत्येक चरण में १५-१५ मात्राएँ होती हैं ; ८-७ पर यति और अंत में लघु - गुरु ( 15 ) । उदाहरण--
सुखमन झलझल , बिन्दु झलके । लख ले भैया , बन्द पलके ॥
पदावली के ५९वें पद्य में चौबोला छन्द के ये दो चरण आये हैं । क्रमशः
इस पोस्ट के बाद 'चौपाई, पादाकुलक, अरिल्ल छंद ' का बर्णन हुआ है, उसे पढ़ने के लिए 👉 यहां दबाएं.
प्रभु प्रेमियों ! इस लेख में चौपई, चौपाई, गोपी छंद, चौबोला छंद का उदाहरण सहित वर्णन चौपाई छंद में क्या है?चौपाई छंद का उदाहरण क्या है? चौपाई में कितनी मात्राएं होती हैं उदाहरण सहित? चौपाई छंद कैसे लिखें? चौपाई छंद उदाहरण, दोहा चौपाईछंद की परिभाषा उदाहरण सहित, चौपाई कविता, छंद का अंग, इत्यादि बातों को जाना. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है. जय गुरु महाराज.
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