महर्षि मँहीँ-पदावली' की छंद-योजना / 14
उल्लाला, सखी छन्द, मानव छन्द और हाकली छन्द के उदाहरण सहित परिचय
सम मात्रिक छंद
१. उल्लाला :
उल्लाला दो प्रकार के होते हैं - अर्धसम मात्रिक और सम मात्रिका ।
अर्धसम मात्रिक उल्लाला के पहले-तीसरे चरणों में १५-१५ और दूसरे - चौथे चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं ; दूसरे - चौथे चरणों के अंत में दो गुरु ( 55 ) , लघु - गुरु ( 15 ) या दो लघु ( 11 ) होते हैं और इन्हीं दोनों चरणों में अन्त्यानुप्रास होता है । उदाहरण--
सम मात्रिक उल्लाला के चारो चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं ; दूसरे और चौथे चरणों के अंत में दो गुरु ( 55 ) , लघु - गुरु ( IS ) या दो लघु ( ii ) होते हैं और इन्हीं दोनों चरणों में तुक होती है । उल्लाला के चारो चरणों को दो पंक्तियों में लिखते हैं । उदाहरण--
२. सखी छन्द :
इसके प्रत्येक चरण में १४-१४ मात्राएँ होती हैं ; अंत में तीन गुरु ( 555 ) या लघु - गुरु - गुरु ( 155 ) । उदाहरण--
" सुखमन झलकै तिल तारा । निरख सुरत दशमी द्वारा ॥ "
" मँहीँ " युक्ति सरल साँची । लहै जो गुरु - सेवा राँची ।। "
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लेखक बाबा लालदास |
( ' जो ' का उच्चारण ह्रस्व की तरह करने पर चरण की मात्राएँ पूरी हो जाएँगी । )
अनहत अनहद धुन मीठी । सुरत गहे करि दिव दीठी ॥
धरि अस शब्द सुरत डोरी । सुरत चलो घर सत को री ॥
पदावली के ५८वें और ५९वें पद्य में सखी छंद के कुछ चरण आए हैं ।
३. मानव छंद :
इसके प्रत्येक चरण में १४ मात्राएँ होती हैं और चरणान्त में एक गुरु ( 5 ) । ( इसके चरण के आरंभ में यदि ३ चौकल आ जाएँ , तो वह हाकली छन्द का चरण हो जाएगा । ) उदाहरण--
" अनुपम चाँदनि जोति बरे । तरुण सूर्य दिव जोति करे ॥ ”
पदावली के ५९ वें पद्य में मानव छंद के चरण आए हैं ।
४. हाकली छंद :
इसके प्रत्येक चरण में १४-१४ मात्राएँ होती हैं । प्रत्येक चरण ३ चौकलों और एक गुरु से बना होता है ; उदाहरण--
पदावली के १३१ वें पद्य में हाकली के चरण आए हैं । क्रमशः
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