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LS14 छंद-योजना 14 || उल्लाला, सखी छन्द, मानव छन्द और हाकली छन्द के उदाहरण सहित परिचय

महर्षि मँहीँ-पदावली' की छंद-योजना / 14

     प्रभु प्रेमियों ! 'महर्षि मँहीँ पदावली की छंद योजना' पुस्तक के इस भाग में हम लोग जानेंगे कि विविध छंदों के नाम और उनके परिचय, जिसमें उल्लाला छन्द, सखी छन्द, मानव छन्द, हाकली' छन्द के उदाहरण सहित परिचय दिया गया है ।

इस पोस्ट के पहले बाले भाग में  'छंदों के प्रकार ' के बारे में बताया गया है उसे पढ़ने के लिए   👉 यहां दबाएं.


छंद-योजना पर चर्चा करते गुरुदेव और लेखक


उल्लाला, सखी छन्द, मानव छन्द और हाकली छन्द के उदाहरण सहित परिचय


सम मात्रिक छंद 


१. उल्लाला : 

     उल्लाला दो प्रकार के होते हैं - अर्धसम मात्रिक और सम मात्रिका । 

     अर्धसम मात्रिक उल्लाला के पहले-तीसरे चरणों में १५-१५ और दूसरे - चौथे चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं ; दूसरे - चौथे चरणों के अंत में दो गुरु ( 55 ) , लघु - गुरु ( 15 ) या दो लघु ( 11 ) होते हैं और इन्हीं दोनों चरणों में अन्त्यानुप्रास होता है । उदाहरण--

हे शरणदायिनी देवि ! तू , करती सबका त्राण है । 
हे मातृभूमि ! संतान हम , तू   जननी तू  प्राण है ॥ 

     सम मात्रिक उल्लाला के चारो चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं ; दूसरे और चौथे चरणों के अंत में दो गुरु ( 55 ) , लघु - गुरु ( IS ) या दो लघु ( ii ) होते हैं और इन्हीं दोनों चरणों में तुक होती है । उल्लाला के चारो चरणों को दो पंक्तियों में लिखते हैं । उदाहरण--

"जय जय सतगुरु परम गुरु, अमित अमित परणाम मैं ।
नित्य   करूँ सुमिरत  रहूँ,  प्रेम सहित गुरु नाम मैं ॥
"जय जय जय सतगुरु सुखद , ज्ञान संपूरण अंग सम । 
कृपा  दृष्टि  करि  हेरिये ,   हरिय युक्ति  बेढंग मम ॥
                                                        ( पदा ० , ४ था पद्य ) 

     पदावली के ' छप्पय ' शीर्षक चौथे पद्य में सम मात्रिक उल्लाला के चार अनुच्छेद आये हैं और इनके दूसरे - चौथे चरणों के अंत में लघु - गुरु ( 15 ) या लघु - लघु ( 11 ) हैं ।

 २. सखी छन्द

     इसके प्रत्येक चरण में १४-१४ मात्राएँ होती हैं ; अंत में तीन गुरु ( 555 ) या लघु - गुरु - गुरु ( 155 ) ।  उदाहरण--

" सुखमन झलकै तिल तारा । निरख सुरत दशमी द्वारा ॥ " 

" मँहीँ " युक्ति सरल साँची । लहै जो गुरु - सेवा राँची ।। " 

पदावली' की छंद-योजना के लेखक पूज्य बाबा श्री लालदास जी महाराज
लेखक बाबा लालदास

    ( ' जो ' का उच्चारण ह्रस्व की तरह करने पर चरण की मात्राएँ पूरी हो जाएँगी । ) 

अनहत अनहद धुन मीठी । सुरत गहे करि दिव दीठी ॥ 

धरि अस शब्द सुरत डोरी । सुरत चलो घर सत को री ॥ 

पदावली के ५८वें और ५९वें पद्य में सखी छंद के कुछ चरण आए हैं । 


३. मानव छंद

     इसके प्रत्येक चरण में १४ मात्राएँ होती हैं और चरणान्त में एक गुरु ( 5 ) । ( इसके चरण के आरंभ में यदि ३ चौकल आ जाएँ , तो वह हाकली छन्द का चरण हो जाएगा । ) उदाहरण--

" तीसर तिल में दृष्टि धरे । पिण्ड त्यागि ब्रह्माण्ड चले ॥ " 
" अनुपम चाँदनि जोति बरे । तरुण सूर्य दिव जोति करे ॥ ”

 पदावली के ५९ वें पद्य में मानव छंद के चरण आए हैं ।


४. हाकली छंद

     इसके प्रत्येक चरण में १४-१४ मात्राएँ होती हैं । प्रत्येक चरण ३ चौकलों और एक गुरु से बना होता है ; उदाहरण--

' संतन  घट   में बतलाये । '
' संतन घट - पथ हो धाये । ' 
' लो धर यल करो दिल से । ' 

पदावली के १३१ वें पद्य में हाकली के चरण आए हैं । क्रमशः


इस पोस्ट के बाद 'चौपई, गोपी, चौवोला छंद ' का बर्णन हुआ है,  उसे पढ़ने के लिए   👉 यहां दबाएं.


प्रभु प्रेमियों ! इस लेख में  विविध छंदों के नाम और उनके परिचय, जिसमें उल्लाला छन्द, सखी छन्द, मानव छन्द, हाकली' छन्द के उदाहरण सहित परिचय  इत्यादि बातों को  जाना. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है. जय गुरु महाराज.



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