LS65 नीति-वचन 02 || Subtle things of behavior, the effect of association, hymns on things like success in work, etc.
नीति-वचन / 4. 5. 6.
प्रभु प्रेमियों ! 'नीति-वचन' पुस्तक के इस भाग में हमलोग जानेंगे-- व्यवहार की सूक्ष्म बातें, पाप, संगति का प्रभाव, काम की सफलता, निर्णय, भावना का प्रभाव, पुस्तक का प्रभाव इत्यादि बातों के साथ आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर भी पा सकते हैं-- व्यवहार की विशेषताएं क्या है? व्यवहार कितने प्रकार के होते हैं? व्यवहार से आप क्या समझते हैं? व्यवहार क्या है ? प्रकट एवं अप्रकट व्यवहार का उदाहरण दीजिए? संगति का महत्व, अच्छी संगति का महत्व, जीवन में अच्छे मित्रों की संगति का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है, , इत्यादि बातें.
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व्यवहार की सूक्ष्म बातें, पाप, संगति का प्रभाव, काम की सफलता इत्यादि बातों पर सूक्तियाँ--
१. यदि किसी से किसी कारणवश अनबन हो जाए , तो उससे भी , ऊपरी मन से ही सही , बातचीत करते रहने पर मानसिक तनाव विशेष नहीं होता है ; बातचीत करना बिल्कुल बंद कर देने पर विशेष तनाव बना रहता है ।
३. किन्हीं गुरु जन ने किसी व्यक्ति का कोई काम किसी कारणवश जान - बूझकर नहीं किया और आपने उस व्यक्ति का वह काम कर दिया , तो आपने उन गुरु जन की इच्छा के विरुद्ध काम किया , इससे वे गुरु जन आपपर प्रसन्न नहीं होंगे और वह काम करानेवाले पर भी नहीं ।
४. जिस व्यक्ति से हम बहुत प्रेम रखते हैं और वह प्रेम हम सदैव बनाये रखना चाहते हैं , यदि वह व्यक्ति हमसे दूर भागने लगता है और दूसरे से प्रेम करने लगता है , तो ऐसी स्थिति में हमारी बड़ी दयनीय दशा हो जाती है ।
५ . जो अपने मन पर नियंत्रण रखे बिना दूसरों को उपदेश किया करता है , एक दिन वह भी दूसरों से उपदेश पाने का पात्र बन जाता है ।
६. इच्छा पूर्ति का प्रबल खिंचाव हमें चंचल बना देता है और अनुचित काम करने के लिए तथा दूसरों के आगे हाथ पसारने के लिए या दूसरों से सहायता लेने के लिए भी हमें विवश कर देता है ।
७. पापी केवल वही नहीं है , जो पाप कर्म करता है ; पापी वह भी है , जो दूसरों के पाप कर्मों को लोगों के सामने प्रकट करता है ।
८. पाप कर्म करनेवाले से विशेष हानि वह उठाता है , जो पाप कर्म करनेवाले के पाप कर्मों को समाज के सामने प्रकट करता है ।
९ .एक से अधिक प्रमाण मिलने पर ही किसी बात के सत्य या असत्य होने का विशेष विश्वास करना चाहिए ।
१०. जो आपकी सहायता और सेवा करता है , वह आपको अपने प्रेम के बंधन से बाँधता है ।
लेखक- बाबा लालदास |
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१. नीचों की संगति करनेवाला बड़ा व्यक्ति भी नीच मालूम पड़ता है और बड़ों की संगति करनेवाला छोटा व्यक्ति भी बड़ा प्रतीत होता है ।
२. दूसरे का अशुभ सोचने से अपना भी अशुभ होता है और दूसरे का शुभ सोचने से अपना भी शुभ होता है ।
३. यदि दिखावे के लिए या प्रतिष्ठा की प्राप्ति के लिए भी अच्छा काम किया जाए , तो वह अच्छा काम लाभदायक ही होता है ।
४ . जो प्रत्येक काम नियमबद्ध होकर करता है , समझिए , उसे अपने मन पर नियंत्रण है ।
५. जो अपनी पूरी शक्ति किसी एक ही काम की ओर लगा देता है , वह उस काम में कुशल हो जाता है ।
६. जो सच्चा साधु होता है , वह चाहता है कि उससे संसार का कोई भी रहस्य अज्ञात नहीं रहे ।
७. पवित्र पुरुष के दर्शन तथा उनसे बातचीत करने से भी हमारे हृदय में पवित्रता का संचार हो जाता है और हमें सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है ।
८. संसार की किसी वस्तु या प्राणी में हम इतने आसक्त नहीं हो जाएँ कि उसके बिना हम अशान्त , अधीर या व्याकुल हो जाएँ ।
९ . जन - समूह में हम अपने को अच्छा दिखाने की भावना रखते हैं और इसीलिए हम जन - समूह में उचित कर्म ही करके दिखाते हैं ; परन्तु एकांत में ऐसी भावना नहीं रहती , इसलिए एकान्त में हम अनुचित कर्म भी कर बैठते हैं ।
१ . यदि हम प्रत्येक काम विवेकपूर्वक करें , तो दूसरे से ऋण लेने की स्थिति हमारे जीवन में नहीं आ पाएगी ।
३. जिसका अनुरोध आप ठुकराते हैं , वह आपसे मन - ही - मन प्रेम तोड़ लेता है ; वह आपसे विमुख हो जाता है ।
४. हम बुरा काम बड़ी शीघ्रता में करते हैं ; यदि हम बुरा काम विलंब से करने का निश्चय कर लें , तो बुरा काम हमसे होगा ही नहीं ।
५ .जिस काम की ओर हमारा अधिक खिंचाव होता है , उसे हम तुरंत कर लेना चाहते हैं ।
६. जिस काम की ओर हमारा विशेष खिंचाव नहीं होता है , उसे हम तुरंत करने के लिए प्रवृत्त नहीं होते , ऐसा काम भविष्य में भी अपूर्ण ही रह सकता है ।
७ . जिस तीव्र भावना को लेकर हम सोते हैं , सोकर उठने पर वही तीव्र भावना हमारे मन में उभड़ती है ।
८. सोच - समझकर कोई पुस्तक पढ़नी चाहिए । हमपर पुस्तक की बातों का भी प्रभाव पड़ता है ।
९ . सौ व्यक्तियों से अनादर पानेवाला व्यक्ति एक व्यक्ति के द्वारा आदर पाने पर प्रसन्न नहीं हो सकता ।
१०. अपनी कमाई का अन्न खानेवाला और दूसरे की कमाई का अन्न खानेवाला - दोनों की मानसिकता एक - जैसी नहीं हो सकती । क्रमशः
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सत्संग ध्यान से संबंधित प्रश्न ही पूछा जाए।