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LS36 gkms 100 || लालची को कभी शांति नहीं || लालची कुत्ते की प्रसिद्ध कहानी और सद्गुरु महर्षि मेंहीं

गुरदेव के मधुर संस्मरण // 100

     प्रभु प्रेमियों  ! गुरदेव के मधुर संस्मरण के इस भाग में लालची कुत्ते की प्रसिद्ध कहानी के बारे में जानेंगे.  हिंदी नैतिक कहानियों में लालची कुत्ते की कहानी बड़ा प्रसिद्ध है. इस कहानी की विशेषता है कि इसमें मानव जीवन में लालच का क्या दुष्प्रभाव होता है? इसका व्यवहारिक स्वरूप क्या है ? सहज में समझ आ जाता है. 


इस संस्मरण के पहले वाले संस्मरण को पढ़ने के लिए   
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लालची कुत्ते की प्रसिद्ध कहानी


 १००. लालची को कभी शांति नहीं :


     एक नदी के ऊपर लकड़ी का एक पुल बना हुआ था । उस होकर एक कुत्ता मुँह में रोटी का एक टुकड़ा लिये हुए जा रहा था । उसे जल में अपनी परिछाहीं दिखाई पड़ी । उसने सोचा कि कोई दूसरा कुत्ता मुँह में रोटी का टुकड़ा लिये  हुए जा रहा है । उसके मन में लालच पैदा हुआ । 

     उसने परिछाहीं के कुत्ते के मुँह से रोटी छीन लेना चाहा । लालच के आवेश में वह असावधान हो गया । परिछाहीं के कुत्ते पर गुर्राते हुए वह उसकी ओर झपटा ; फलस्वरूप उसके मुँह की रोटी तो नदी में गिर ही गयी ; वह भी गिरकर जल धारा में बह गया  

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
सदगुरु महर्षि मेंहीं

     संत - महात्मा कहते हैं कि तुम न्यायपूर्वक जितना कमाते हो , उसी में अपना गुजारा करो ; दूसरे के धन पर लालच की दृष्टि मत गड़ाओ , नहीं तो तुम्हारे पास जो कुछ है , उसका भी ठीक से उपभोग नहीं कर सकोगे । लालची को कभी शांति नहीं मिलती.  

    एक दिन गुरुदेव किसी को लक्ष्य करके संत कबीर साहब की यह साखी गा रहे थे- “ रूखा सूखा खायकर , ठंढा पानी पीव | देख बिरानी चूपड़ी , मत ललचावे जीव ॥ "

बाबा लालदास जी महाराज
संस्मरण लेखक

     गुरुदेव ने दूसरे किसी दिन लालच से संबंधित शेख सादी का यह वचन भी सुनाया- “ लालची की आँखें दुनिया भर की भी संपत्ति देखकर संतुष्ट नहीं होतीं , जिस प्रकार ओस - कणों से कुआँ नहीं भरता । ” ∆


इस संस्मरण के बाद वाले संस्मरण को पढ़ने के लिए  


    प्रभु प्रेमियों ! इस लेख में हम लालच क्यों करते हैं? , लालची आदमी, गुस्सा लालच और जलन की भावना, Hindi Kahaniya, Hindi Kahaniya, SSOFTOONS KAHANIYA, लालच की कहानी हिंदी में, नैतिक कहानि,  कहानी का स्वरूप, कहानी के प्रकार?  कहानी का मूल अर्थ क्या है? इत्यादि बातों को  जाना. आशा करता हूं कि आप इसके सदुपयोग से इससे समुचित लाभ उठाएंगे. इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार  का कोई शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले हर पोस्ट की सूचना नि:शुल्क आपके ईमेल पर मिलती रहेगी। . ऐसा विश्वास है. जय गुरु महाराज.


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