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34. शेखसादी की शिक्षाप्रद कथाएँ || सद्गुरु महिमा || गुरु-शिष्य का संबंध और माता पिता के कर्तव्य

34. शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएँ 

     प्रभु प्रेमियों ! 'शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएं' नामक पुस्तक में नैतिक , धार्मिक , व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक शिक्षाएँ बड़ी ठोस , अत्यन्त विचारपूर्ण , अनुभव की कसौटी पर कसी हुई और हृदय को छूनेवाली हैं । ये शिक्षाएँ आस्तिक भाव तथा विवेक जगानेवाली , बुद्धिमान् तथा व्यवहार - कुशल बनानेवाली , सम्मान तथा शान्ति के साथ जीवन जीने की कला बतलानेवाली और सत्कर्म की प्रेरणा देनेवाली तथा साहस बँधानेवाली हैं ।

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गुरु शिष्य परंपरा और संबंध

सद्गुरु महिमा- गुरु-शिष्य का संबंध और माता पिता के कर्तव्य

      प्रभु प्रेमियों  ! इस पुस्तक की 34वीं कहानी "उस्ताद का जुल्म बर्दाश्त कर" में आप जानेंगे कि Which religion comes from Shishya? Why was Guru-Shishya Parampara? Which religion comes from Shishya? What was the relationship between guru and shishya in the Vedic period? Why do we need guru Paramapara? इस संबंध में शेख शादी  के विचार क्या हैंं? इसके साथ ही आप निम्न बातों पर भी कुछ-न-कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं; जैसे कि गुरु और शिष्य में क्या अंतर है? गुरु का धर्म क्या है? , गुरु और शिष्य का संबंध, शिष्य का अर्थ, गुरु और शिष्य का रिश्ता, शिष्य धर्म, गुरु भक्ति की कहानी, गुरु शिष्य परंपरा मराठी, शिष्य की परीक्षा, गुरु और शिष्य के नाम, Guru-shishya examples, Guru Shishya in Hindi, Guru Shishya Quotes, Guru Shishya movie, Guru shishya in English, Guru shishya relationship Quotes, Guru Shishya Parampara UPSC, Guru Shishya Parampara Ayurveda, आदि बातें। इन बातों को समझें.


३४. उस्ताद का जुल्म बर्दाश्त कर 


     एक बहुत बड़ा विद्वान् बादशाह के बेटे को पढ़ाता था । वह उसे बेहद डाँटता और मारता रहता था । एक दिन मजबूर होकर लड़के ने पता के पास जाकर शिकायत की और कपड़े उतारकर अपना जख्मी जिस्म ( शरीर ) भी दिखलाया ।

     बादशाह का दिल भर आया । उसने उस्ताद को बुलवाया और कहा कि तू मेरे बच्चे को जितना झिड़कता और मारता है , इतना आम लोगों के बच्चों को नहीं । इसकी वजह क्या है ? 

     उस्ताद बोला कि वजह यह है कि यों तो सोच - समझकर बोलना और अच्छे काम करना सब लोगों के लिए जरूरी है । लेकिन बादशाहों के लिए खास तौर से जरूरी है । जो बात उनकी जबान से निकलेगी या जो काम उनके हाथ से होगा , वह सारी दुनिया में मशहूर हो जाएगा , जबकि आम लोगों की बात और काम का इतना असर नहीं होता । 

     यदि किसी फकीर में सौ ऐब हैं , तो उसके साथी उसका एक ऐब भी न लेंगे ; लेकिन बादशाह से एक नाजायज हरकत हो जाए , तो उसकी शोहरत ( प्रसिद्धि ) मुल्क के एक सिरे से दूसरे सिरे तक हो जाएगी । 

     इसलिए दूसरे बच्चों के मुकाबले में बादशाह के बेटे के चरित्र को सँवारने की उस्ताद को ज्यादा कोशिश करनी चाहिए और उसे खुदा से दुआ करनी चाहिए कि इस नेक काम में वह उसकी मदद करे । 

     जिस बच्चे को तू बचपन से अदब ( शिष्टाचार ) नहीं सिखाएगा , वह जब बड़ा होगा , तो उसमें कोई गुण नहीं होगा ।

     जबतक लकड़ी गीली रहती है , उसे कैसे ही मोड़ लो । जब वह सूख जाती है , तो आग में रखकर ही उसे सीधा किया जा सकता है । "

जो लड़का सिखानेवाले का जुल्म बर्दाश्त नहीं कर सकता , उसे जमाने का जुल्म बर्दाश्त करना पड़ता है । 

     बादशाह को उस काबिल उस्ताद की बात पसन्द आयी । उसने खुश होकर उसे कपड़ों का एक जोड़ा इनाम में दिया और उसके पद में तरक्की कर दी ।∆


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     प्रभु प्रेमियों ! शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएँ के उपर्युक्त कहानी से हमलोगों ने जाना कि गुरु और शिष्य में क्या अंतर है? गुरु का धर्म क्या है? गुरु और शिष्य का संबंध, गुरु और शिष्य का संबंध, शिष्य का अर्थ, गुरु और शिष्य का रिश्ता, शिष्य धर्म, गुरु भक्ति की कहानी, इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस पोस्ट के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्त वचनों का पाठ किया गया है। इसे भी अवश्य देखें, सुनें।



शेख सादी की शिक्षाप्रद कथाएँ

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34. शेखसादी की शिक्षाप्रद कथाएँ || सद्गुरु महिमा || गुरु-शिष्य का संबंध और माता पिता के कर्तव्य 34. शेखसादी की शिक्षाप्रद कथाएँ || सद्गुरु महिमा  ||  गुरु-शिष्य का संबंध और माता पिता के कर्तव्य Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/11/2021 Rating: 5

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