गुरुसेवी स्वामी भगीरथ दास जी महाराज की सहित्य की विशेषता
अन्य साहित्य एवं सामग्री
आपके द्वारा रचित पुस्तक जो संतमत के गूढ़-गंभीर ज्ञान को सरलतम ढंग से समझाती है। इसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है-
१. महर्षि मेँहीँ के दिनचर्या उपदेश'-
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| महर्षि मेँहीँ के दिनचर्या उपदेश |
इसमें आपने गुरुदेव के दैनिक क्रिया-कलाप का वर्णन, उनके द्वारा बतायी गवी कुछ दवाडइयों एवं उनके कुछ प्रवचनों का संग्रह किया है। यह पुस्तक अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा की ओर से प्रकाशित किया जाता है। ( ज्यादा जाने )
२. 'संतमत तत्त्व ज्ञान बोधिनी' -
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| संतमत तत्त्व ज्ञान बोधिनी |
इसमें आपने संतमत में प्रतिपादित कुछ विषय जैसे -ईश्वर-स्वरूप, सत्संग, अपने से अपनी पहचान, गुरु-पूजा, सदाचार, योग के आठ अंग, जीव की नित्यता एवं आवागमन, जिज्ञासा-समाधान इत्यादि विषयों का वर्णन उदाहरण-सहित किया है। ( ज्यादा जाने )
३. अपने गुरु की याद में -
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| अपने गुरु की याद में |
इस पुस्तक में आपने अपने गुरुदेव के . कई चमत्कारिक संस्मरणों का समावेश किया है। इस पुस्तक से गुरुजनों की सेवा किस तरह से करनी चाहिए, इसकी जानकारी होती है। पूर्ण संत की कैसी-कैसी लीलाएँ होती हैं, उन सबका विवरण है। इस पुस्तक में पूरज्य गुरुदेव की प्रारंभिक और अंतिम जीवनी भी दर्शायी गयी है। ( ज्यादा जाने )
४. 'महर्षि मेँहीँ चैतन्य चिन्तन'-
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| महर्षि मेँहीँ चैतन्य चिन्तन |
इस पुस्तक में आपने सत्संग - योग, चतुर्थ भाग में जो सद्गुरु महाराज द्वारा गद्य में लिखित अनुभवगम्य वाणी है, उसको बड़े ही सरल ढंग से समझाया है। ( ज्यादा जाने )
५. साधक पीयूष' -
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| साधक पीयूष |
इस पुस्तिका में आपने साधक को किस प्रकार साधना में सफलता मिले इस संबंध में लिखे हैं। साथ-ही-साथ भगवान बुद्ध के पिछले जन्मों की कथा जो पुनर्जन्म को सत्यापित करता है, इसके साथ-साथ आध्यात्मिक और भी बातों को बड़े ही सरल ढंग से प्रस्तुत किया है, जो प्रेरणादायक है। ( ज्यादा जाने )
६. परमात्म प्राप्ति के साधन -
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| परमात्म प्राप्ति के साधन |
इसमें पूज्य गुरुसेवी स्वामी भगीरथ बाबा ने साधना के गहनतम अनुभूति का उपयोग करते हुए गुरु भक्त की मर्मज्ञता को प्रदर्शत किया है। इस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों के माध्यम से भक्ति के मार्ग पर चलकर सामान्य जीवन जीते हुए भी ईश्वर-भाक्ति करने की कला पर सरल-सहज ढंग से प्रकाश डाला गया है। अंतस्साधना के विकास के विभिन्न चरणों पर विशिष्ट्ता के साथ-साथ समग्रता में संतमत की साधना का विस्तृत परिप्रक्ष्य उपस्थित किया है। यह पुस्तक अत्यन्त उपयुक्त एवं पठनीय है। सामान्य जनों को भी साधना के लिए उत्प्रेरित करता है। ( ज्यादा जाने )
७. सेवा से मेवा -
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| सेवा से मेवा |
इसमें बताया गया है कि जो अभिवादनशील है और जो सदा वृद्धजनों की सेवा करने वाला है, उस मनुष्य की चार वस्तुएँ बढ़ती हैं-आयु, वर्ण, सुख और बल। गुरुजनों की सेवा करने का फल सेवा करनेवालों के वर्तमान जीवन में या इसके बाद वाले जीवन में अवश्य मिलता है। महापुरुषों कहना है कि सेवा का फल कभी भी निष्फल नहीं होता है; बल्कि कई गुणा अधिक बनकर सामने आता है। महापुरुषों की सेवा का संस्कार सेवा करनेवालों को उत्थान की ओर ले जाता है अर्थात् उनका यह लोक और परलोक दोनों सुखकर होता है। ( ज्यादा जाने )
८. गुरुदेव की डायरी -
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| गुरुदेव की डायरी |
परम पूज्य संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की हस्तलिखित डायरी बहुत पुरानी हो गयी है। इसका पन्ना बहुत कमजोर हो गया है। पूज्य गुरुदेव का लिखा हुआ अक्षर बहुत दिनों तक कायम रहे, इनके लिखे हुए अक्षर को सभी लोग देखे और लिखी हुई बातों को पढ़े और अंतःकरण में आध्यात्पमिकता का लाभ उठावे, इसी उद्देश्य को लेकर मेरे मन में यह बात आयी। अगर इसकी हू-ब-हू छपवा दिया जाए, तो जन-समूह को लाभ होगा, इसलिए इसकी छपाई की गयी है।
डायरी में कुछ पेज खाली था, लेकिन उस पन्ना पर पेज नंo अंकित था, उस खाली पन्ने को हटा दिया गया है और कहीं -कहीं कुछ अक्षर साफ -साफ दिखाई नहीं पड़ता था, उसको हाथ से लिखकर उगा दिया गया है, जिससे पढ़ने में कठिनाई न हो। कुछ पन्ना डायरी में नहीं हैं। ( ज्यादा जाने )
९. प्रेरक संत-संस्मरण -
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| प्रेरक संत-संस्मरण |
इसमें गुरु महाराज हस्तलिखित कई महापुरुषों के संक्षिप्त जीवन परिचय है और बहुत सारे भजन है, जिसे हू-ब-हू उन्हीं के लिखित अक्षर में प्रकाशित किया गया है और समझने के लिए भारती नागरी लिपि में भी उसका ट्रांसलेट किया गया है। यह पुस्तक भी गुरुदेव की डायरी का है छोटा रूप है। इसमें डायरी के सभी बातों के साथ-साथ गुरु महाराज के बहुत सारे संस्मरण भी दिये गये हैं। ( ज्यादा जाने )
१०. समय एवं ज्ञान का महत्व (संकलित) -
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| समय एवं ज्ञान का महत्व |
इसमें समय और ज्ञान के महत्व को दर्शाने वाला सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज का दुर्लभ प्रवचन प्रकाशित किया गया है और साथ में प्रातः, संयंकालीन स्तुति प्रार्थना भी दिया गया है । जिससे कि सभी नए सत्संगी इस पुस्तक का पाठ करके रोजाना अपने मानव जीवन को सफल बनाने का काम कर सके। ( ज्यादा जाने )
११. आध्यात्मिक ज्ञानोपदेश (संपादित) -
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| अध्यात्मिक ज्ञानोपदेश |
आद्यात्मिक धर्मशास्त्रों में आध्यात्मक ज्ञान भरे हुए हैं। यह ज्ञान जीवन के अंदर वह संस्कार डाल देता है, जिससे जीव अंतस्साधना के द्वारा कभी-न-कभी सभी बंधनों से छूटकर मोक्ष को प्राप्त कर सके। इसी उद्देश्य को लेकर श्रीमद्भागवत पुराण, योगवासिष्ठ, महाभारत, अध्यात्म-रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, भगवान बुद्ध और पूज्य गुरुदेव (महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज) एवं अन्य संतों के उपदेशों में से थोड़ा संकलन कर 'आध्यात्मिक ज्ञानोपदेश' नामक पुस्तक का रूप दिया है। ( ज्यादा जाने )
१२. संतों का उत्तम उपदेश (संकलित) -
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| संतों का उत्तम उपदेश |
स़तों के द्वारा ज्ञान-प्रदान करने की शैली भी अनोखी है। कभी वे वैदिक धर्मियों के वर्णमाला के आधार पर ज्ञान समझाते हैं, तो कभी इस्लाम-धर्मियों के वर्णमाला अलिफनामा के आधार कभी सिक्खों के वर्णमाला के आधार पर, कभी दिनों के नाम के आधार पर तो कभी महीनों के नाम के आधार पर। पूज्यपाद ने उनकी उसी अनोखी शैली में केवल बारहमासा, ककहरा एवं चौमासा का संग्रह कर 'संतों का उत्तम उपदेश' नामक पुस्तक का प्रकाशन करवा हमें संतों के ज्ञान को गागर में सांगर की भाति व्यवस्थित कर अध्ययन-मनन करने की प्रेरणा प्रदान किये हैं। ( ज्यादा जाने )
13. The Importance of time and knowledge ( completed) -
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| The Importance .. |
Dear devotees ! This booklet, "The Importance of Time and Knowledge," contains an old discourse by the revered Saint Sadguru Maharshi Mehi Paramhansji Maharaj, which he delivered in 1922 in Bhangha village of Katihar district. In this discourse, he explained that everyone should understand the importance of time and knowledge. Lost time can never be recovered. The more knowledge a person possesses, the more respect they receive in the world; therefore, everyone should strive to acquire knowledge. Through the cultivation of spiritual knowledge, one can eventually attain liberation. Everyone should make a special effort towards this. I have published this booklet with the aim of making this information available to all. Let's learn some information about this book.
यह पुस्तक "समय एवं ज्ञान का महत्व" का ही अंग्रेजी अनुवाद है। जो विदेशों में दीक्षित सत्संगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है। ( ज्यादा जाने )
१४. महर्षि मेंही चित्रावली
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| महर्षि मेंही चित्रावली |
(संकलित) - इस पुस्तक में गुरु महाराज और पूज्य बाबा के बहुत सारे सादे और ओरिजिनल व रंगीन चित्रों का संकलन है जो की सभी भक्त एवं सत्संगियों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक एवं मानस ध्यान करने में अत्यंत सहायक है। ( ज्यादा जाने )
१५. पूज्य गुरुदेव की अलौकिक दिनचर्या -
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| पूज्य गुरुदेव की अलौकिक दिनचर्या |
"मुझे विश्वास है कि इसके पढ़ने से अवश्य जानकारी होगी कि संतो की कैसी- कैसी मौज होती है और उस मौज-भरी दिनचर्यां में कितना उपदेश भरा रहता है। मैं पूज्य गुरुदेव से प्राथ्थना करता हूँ कि इस पुस्तक के पढ़ने से संतों के प्रति विशेष श्रद्धा उत्पन्न हो।" -गुरु चरणाश्रित भगीरथ 21/11/2024ई. ( ज्यादा जाने )
१६. महर्षि मेँहीँ के संक्षिप्त जीवन-उपदेश
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| महर्षि मेँहीँ के संक्षिप्त जीवन |
"जो मारग स्र्रति साधु दिखावै। तेहि मग चलत सबड सुख पावै।।" (गो० तुलसीदासजी ) वेद का जो रास्ता साधु दरसाते हैं, उस रास्ते पर चलने से सब कोई सुख पाते हैं। संत-महापुरुषों के जीवन एवं उनके उपदेश सभी मानव-समाज को सन्मार्ग पर लाने का एक प्रेरणास्त्रोत है। महापुरुष जिस मार्ग पर चलने का आदेश करते हैं, उस मार्ग पर चलने से सबों का परम कल्याण होता है।
महर्षि मेँहीँ के संक्षिप्त जीवन - उपदेश में गागर में सागर की भांति उपरोक्त बातें रखी गयी है। इसमें कुछ रोचक नवीन प्रसंगों के साथ-साथ सद्गुरु महाराज किस प्रकार सम्माननीय व्यक्तिय्यों, धार्मिक स्थलों एवं वहाँ के प्रसाद का भी सम्मान करते थे और किस प्रकार छोटी-छोरटी व्यावहारिक बातों को भी सिखाते थे। इन सभी प्रसंगों को भी दुर्शाया गया हैं। प्रस्तुत पुस्तक में पूज्यपाद ने अपनी लिखी महर्षि मॅंहीं के दिनचर्या-उपदेश एवं अपने गुरु की याद में से प्रश्नोत्तरी और पूज्य महर्षि महेश योगी के बीच हुए वातालाप एवं सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज के दो प्रवचनों को भी सम्मिलित किया गया हैं, जिससे साधकों को सत्संग-ध्यान की प्रेरणा मिले। जय गुरु महाराज !!! ( ज्यादा जाने )
अन्य साहित्य एवं सामग्री
महान कार्य में महती योगदान देने हेतु समस्त श्रद्धालु सत्संगियों , पादकीय सलाहकारों , प्रबंधकों एवं संपादक - मंडल को महासभा धन्यवाद ज्ञापित करती है और गुरुदेव से प्रार्थना करती है । कि ऐसे गुरुसेवक संत गुरुसेवी स्वामी भगीरथ महाराज को लंबी स्वस्थ आयु प्रदान करें , ताकि सतमत - सत्संग के प्रचार का संचार इनक द्वारा अनवरत होता रहे और जगत् लाभान्वित हो । पूज्य गुरुसेवी बाबा की 75 वीं जयन्ती वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर इन्हें महासभा की ओर से अनन्त शुभकामनाएँ । जय गुरु !" ( ज्यादा जाने )
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| योग-संगीत |
यह पुस्तक योगीराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी जी महाराज के महान शिष्य योगाचार्य पंडित पंचानन भट्राचार्य कृत 'योग-संगीत' जो की बंगाला भाषा में है उसी का भारती (हिन्दी) भाषा में लिप्यंतरण किया गया है। जिससे बंगाला भाषा में संतों का ज्ञान एवं भारती (हिन्दी) भाषा में संतों का ज्ञान का एकत्व का बोध कर आत्मकल्याण कर सके। ( ज्यादा जाने )
उपरोक्त सभी पुस्तकों के प्राप्ति स्थान-- महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर-3 (बिहार)
अथवा
"सत्संग ध्यान स्टोर" से ओनलाइन मंगा सकते हैं। किसी भी प्रकार के परेशानी होने पर आप हमारे नंबर 7547 006282 पर व्हाट्सएप मैसेज करें। फोन ना करें इससे मोक्ष पर्यंत ध्यान अभ्यास कार्यक्रम में विघ्न होता है
प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त सभी साहित्य के साथ-साथ सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के सभी साहित्य
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| सत्संग ध्यान स्टोर |
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/21/2025
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